शुभम दोस्तो
आज रविवार को जब चर्चा बनाने बैठी तो ब्लॉग ,फेसबुक और समाचार पत्र सबमें माँ ही माँ नजर आई तो हाजिर हूँ ...
मैं
मुनव्वर राना
के कुछ चुनिंदा शेर लेकर
1.
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
2.
अभी जिन्दा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
3.
जरा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाए
दिये से मेरी माँ मेरे लिए काजल बनाती है
तो करते हैं शुरुआत
आज सबकी मैया
से
शालिनी कौशिक
सरिता भाटिया
अरुण शर्मा अनंत
सुशिल जोशी
महेन्द्र श्रीवास्तव
रउफ अहमद सिद्दीकी
मन्टू कुमार
विकेश कुमार
अपर्णा बोस
गुलाब कोठारी
डॉ.नीरज
अमित
राजेश कुमारी
शिखा कौशिक
सुश्री शान्ति पुरोहित
अजय कुमार झा
टी एस दराल
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(१)
बिन बुलाए तो कभी मान नहीं होता है..
--
ढल गयी उम्र तो फिर “रूप” दग़ा देता है
(२)
आ...एक बार तो... मनाने के लिए आ
रख बन्द जुबान अपनी,
लगा ले बस चुप्पी के डेरे...
यादें...पर Ashok Saluja
आ...एक बार तो... मनाने के लिए आ
रख बन्द जुबान अपनी,
लगा ले बस चुप्पी के डेरे...
यादें...पर Ashok Saluja
एक ही दिन
क्यों याद आती है वो ?
जो जन्म देती !
- जेन्नी शबनम (12. 5. 2013)
सरिता जी शुभ प्रभात |आज की लिंक्स भी माँ को समर्पित अच्छी लगीं |गाना भी बढ़िया है |
जवाब देंहटाएंआशा
शुक्रिया सरिता जी ............आभार ........
जवाब देंहटाएंकई नये सूत्र पढ़वाने का आभार
जवाब देंहटाएंसरिता जी!
जवाब देंहटाएंआपने बहुत मोहक चर्चा की है..!
दिन में फुरसत से बैठकर सभी लिंको को पढ़ूँगा!
आभार!
shukriya sarita ji .
जवाब देंहटाएंbahut acchi post aur meri post bhi shaamil karne ke liye aabhar.
dhanywaad.
बेहतरीन संदेशो के सूत्रों से
जवाब देंहटाएंचर्चा है आज सरोबार
उल्लूक का भी दिखा सूत्र
शास्त्री का दिल से आभार !
माँ को समर्पित बेहतरीन लिंकों का सम्पादन,आपका आभार.
जवाब देंहटाएंमाँ तुझे सलाम -सुन्दर लिंक्स संजोये हैं आपने .आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व् सार्थक लिनक्स संजोये हैं सरिता जी मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार .
जवाब देंहटाएं"तुलसी "कहे
जवाब देंहटाएं"क्या लीखु मै "माँ" के बारे मे
ना ही कोई शब्द बना है ऐसा
ना ही कोई अलंकार बना है ऐसा
जो कर सके " माँ " के मर्तबे की तारीफ "
- तुलसीभाई पटेल
वाह आदरणीया सरिता जी वाह बहुत सुन्दर प्यारे प्यारे लिंक्स समावेश किये हैं आज की चर्चा में और प्रस्तुतिकरण भी अत्यंत सुन्दर है हार्दिक बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंक्या बात है, सामयिक विषय पर सार्थक चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
मुझे शामिल करने के लिए आभार
Nice.
जवाब देंहटाएंसाफ़ सुथरी मनमोहक चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया। धन्यवाद आपका।
जवाब देंहटाएंप्रिय सरिता बहुत सुन्दर चर्चा सजाई है जहां देखूं माँ ही माँ नजर आई है सभी को हार्दिक बधाई है ,खुश हूँ मेरी रचना ने भी जगह पाई है सबको मातृ दिवस की बधाई है|
जवाब देंहटाएंमुनव्वर राणा के लाजवाब शेरों के साथ ही उम्दा लिंक्स मिले, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
माँ ही माँ सब जगह ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक .. शुक्रिया मुझे शामिल करने का ...
माँ को याद करने वाले हर लिंक को संजो कर अपने उस माँ जैसे रिश्ते को पूरा पूरा मन दिया है . सब पढ़ा तो लगा की उसकी तो एक ही परिभाषा है - वो माँ है जो सन्तति रचती ही है , वह बात और है कि सन्तति एक माँ को नहीं संभाल पाती है . मेरे आलेख को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंMaa ke lie itna sabkuch padhne ke baad bahut kuch baaki rah jaata hai...
जवाब देंहटाएंBadhiya links...aabhar...
माँ को समर्पित सभी लिंक
जवाब देंहटाएंमा तुझे सलाम :)
हर माँ को प्रणाम
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