नमस्कार मित्रों!
आज की बुधवारीय चर्चा मे आपकी मित्र शशि पुरवार पुनः आपके समक्ष हाजिर है , आज की चर्चा एक विषय पर न हो कर अनेक रंग समेटे हुए है ,कहीं प्यार के रंग , कहीं आक्रोश .....हर गलियों में पाए एक नया दर्शन .एक नया रंग ..काव्य संसार की घाटियों में --------- आप सभी का दिन मंगलमय हो . सुप्रभात....!
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झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (ठ) आधा संसार | (नारी उत्पीडन के कारण) (iv)पीड़ित बेटियाँ |
Devdutta Prasoon
मुझे अच्छी तरह मालूम है कि दहेज़ देने वाला बाप कभी भी नहीं कहता कि उस ने दहेज़ दिया | बेटी के लिये वर ढूँढना भगवान ढूँढने से भी कठिन है | बेटी के विवाह के नाम पर माँ बाप बिक जाते हैं | हाँ कभी कभी चमत्कार की तरह बहुत महान उदार बाप मिल जाता है जो दहेज़ नहीं मांगता | यह बात सब कोम मालूम है किन्तु ध्यान नहीं देते | मेरे भावुक मन में इस 'भीषण कुप्रथा' की गहरी छाप है | |
जो मेरा मन कहे -
![]() *कई दिन से 'सवाल' शब्द मेरे पीछे पड़ा था ,आज कुछ सोचते सोचते यह बेतुकी भी लिख ही दी :)* सवाल इस बात का नहीं कि सवाल क्या है सवाल इस बात का है कि सवाल , सवाल ही क्यों है सवाल सच में |
"कवि मदन “विरक्त” के सम्मान में कवि गोष्ठी सम्पन्न" ( रपट-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक)'
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) at उच्चारण -
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भोजपुर में महंत की हत्या कर अष्टधातु की मूर्तियां चुराई
बिहार में भोजपुर जिले के अगिआंव बाजार थाना क्षेत्र में सोमवार देर रात अज्ञात अपराधियों ने एक मंदिर से अष्टधातु की तीन प्राचीन कीमती मूर्तियां चुरा ली और व... |
निमिया के छाँव तले...ऋता शेखर मधुचैत के महीने में नीम की पत्तियाँ, फूल, फल, छाल आदि का प्रयोग खाने या लगाने के लिए किया जाता है| इससे काफी रोग दूर भाग जाते हैं| यह सबसे अधिक आक्सीजन देने वाला भी पेड़ है अतः |
हम न भूल पायेंगे![]() शारदा अरोराआज के दौर में एक मित्रता और सदभावना भरा दिल ही ढूँढना मुश्किल है ...और जब कभी ऐसा कोई मिल जाता है तो मन कुछ इस तरह गुनगुना उठता है ... *हम न भूल पायेंगे , ये जो तुम चले हो हमारे साथ * *दुनियावी बातों में , रूहानी सी हो जैसे कोई मुलाकात * |
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बचा लो बेटियाँ अपनी/कविता![]()
प्रसन्न वदन चतुर्वेदी
मित्रों ! दिल्ली की वारदातों और देश भर में ऐसी ही घटनाओं ने मुझे किसी नई रचना को जन्म देने से रोक रखा था क्योंकि मैं अपने हृदय की गहराइयों से स्वयं को बहुत ही दुखी महसूस कर रहा था। संयोग से मेरी बेटी को एक संस्था द्वारा आयोजित "बेटी बचाओ नशा छुड़ाओ" विषय पर कविता प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये एक कविता की आवश्यकता पड़ी तो मेरे कलम खुद-ब-खुद लिखते गये और यह कविता बन गयी। बेटी ने भी प्रथम पुरस्कार पाकर इस कविता को सार्थक किया। |
गलियों का मज़ा -![]() प्रेम की सकड़ी गली में दो समा सकते नहीं , कृष्ण राधा मिलन साक्षी ,कुञ्ज की गलियाँ रही रसिक भंवरा ही ये अंतर बता सकता है तुम्हे फूलों में ज्यादा...
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
BIKHARE SITARE पर kshama
(2)
आँखों में कोई सपना ना हो, तो जीने का मज़ा क्या है ? सपने के लिए बरबाद हुए, तो इसमें खता क्या है... ![]() Hindi Poem (हिंदी कविता ) पर Bhoopendra Jaysawal
(3)
![]() कर्मनाशा पर siddheshwar singh
(4)
सुशील जोशी बधाई रजिया ने दौड़ है लगाई ! अफसोस हुआ बहुत अभी अभी जब किसी ने खबर मुझे सुनाई होने वाला है ये जल्दी कह रही थी मुझसे कब से फेसबुकी ताई पर...
(5)
स्वयं से भागते, हम लोग
कभी सोचा है कि व्यक्ति को सबसे अधिक भड़भड़ाहट कब होती है, सर्वाधिक मन कब ऊबता है, कौन सा समय वह शीघ्रातिशीघ्र बिता देना चाहता है? उत्तर अधिक कठिन नहीं हो... |
शुभप्रभात
ReplyDeleteउम्दा लिंक्स के साथ मेरे लिखे को
मान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
और आभार
हार्दिक शुभकामनायें
शशि पुरवार जी!
ReplyDeleteकितनी कटुता लिखे .......हर तरफ बबाल ही बबाल --- बुधवारीय चर्चा -1252
में आपने बहुत सामयिक और अद्यतन लिंकों का समावेश किया है।
अब आप चर्चा लगाने में पारंगत हो गयी हैं।
मेरे ब्लॉग्स के दो-दो लिंक देने के लिए आपका आभार!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
shukriya shashtr ji is naye karye ki jimmedari aapne hamare kandhe par daali aur aur naya sikhne ko bhi mila hamen . is tarah naye links ko padhna bhi sukhad anubhuti hai
Deleteकुछ अलग अंदाज में की गयी चर्चा
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रयास !
उल्लूक टाईम्स की तरफ से आभार !
चर्चा मंच की प्रस्तुति के लिए आभार ----------!
ReplyDeleteआभार शशि जी ...बढ़िया चर्चा में मेरी रचना को स्थान दिया ....!!
ReplyDeleteसुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा !!
ReplyDeleteसुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा, आभार।
ReplyDeleteकई रंगों का समावेश आज के चर्चा मंच पर |
ReplyDeleteआशा
Amazing links and thanks for the masters tach post link.
ReplyDeleteशानदार लिंक्स से सुसज्जित सुन्दर चर्चा आदरणीया शशि पुरवार जी. हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteलाजबाब लिंकों की प्रस्तुति ,,,बधाई
ReplyDeleteमेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिए आभार ....
बढ़िया सार्थक चर्चा प्रस्तुति ..आभार
ReplyDeleteआभार, मेरी पोस्ट को इस मंच पर जगह देने के लिए
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं सार्थक चर्चा
ReplyDeleteएक से एक समाजोपयोगी रचनाओं का संयोजन इस मंच को आज मानों विविध रस-स्वाद वाला थाल बना रहा है !वधाई!धन्यवाद मेरी कटु करेला-रस इस मूल्यवान थाल ,में परोसने हेतु !!
ReplyDeleteस्वर्णिम पल,सुन्दर मनन,अनुपम कथन उवाच |
ReplyDeleteश्रेष्ठ पलों को याद कर, करता मनुआ नाच ||
आभार
संक्षिप्त लेकिन सुन्दर प्रस्तुति .संयोजन करीना लिए हुए है .रंगों की छटा भाई .
ReplyDeleteलाजबाब लिंकों की प्रस्तुति शशि जी...
ReplyDeleteमेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिए आभार ....
कविवर मदन विरक्त से, मिलना सबका भाग्य |
ReplyDeleteकवितायें माध्यम बनी, चिंतन था सौभाग्य ||
बहुत-बहुत धन्यवाद
और आभार....
कितनी भला कटुता लिखें(गजल)
ReplyDeleteभर्त्सना के भाव भर, कितनी भला कटुता लिखें?
नर पिशाचों के लिए, हो काल वो रचना लिखें।
नारियों का मान मर्दन, कर रहे जो का-पुरुष,
न्याय पृष्ठों पर उन्हें, ज़िंदा नहीं मुर्दा लिखें।
रौंदते मासूमियत, लक़दक़ मुखौटे ओढ़कर,
अक्स हर दीवार पर, कालिख पुता उनका लिखें।
पशु कहें, किन्नर कहें, या दुष्ट दानव घृष्टतम,
फर्क उनको क्या भला, जो नाम, जो ओहदा लिखें।
पापियों के बोझ से, फटती नहीं अब ये धरा
खोद कब्रें, कर दफन, कोरा कफन टुकड़ा लिखें।
हों बहिष्कृत परिजनों से, और धिक्कृत हर गली,
डूब जिसमें खुद मरें वो, शर्म का दरिया लिखें।
कब तलक घिसते रहेंगे, रक्त भरकर लेखनी,
हों न वर्धित वंश, उनके नाश को न्यौता लिखें।
---कल्पना रामानी
हमारे वक्त के अव पतन का आईना है ये गजल ,
गिर गए कितना ये कहती हांफती है यह गजल .
ये है - माँ बाप के आँखों की पुतली फोड़ना फिर क्या ?
ReplyDeleteबचा लो बेटियाँ अपनी ,पड़ेगा तड़ पना फिर क्या ?
सशक्त मार्मिक अर्थगर्भित प्रस्तुति .समस्या सार लिए .
लाजबाब
ReplyDeletevisit all of you to
http://hinditech4u.blogspot.in/
लिंक्स काम के मिले। कुछ पढ़ा, कुछ पढ़ना है।
ReplyDeleteअरे वाह....आज तो इतने खूबसूरत लिंक्स के साथ-साथ मेरी दो-दो रचनाएं भी शामिल हैं। बहुत खुशी हुई ये देखकर। शशि पुरवार जी आपका बहुत-बहुत आभार...
ReplyDeleteshandar charcha -behtareen links .meri rachna ko yahan sthan pradam karne hetu aabhar
ReplyDeleteMere lekhanki link shamil karne ke liye bahut,bahut shukriya!Zyada se zyada links padhne kee koshish rahegee!
ReplyDeleteलाजबाब प्रस्तुति...बधाई...
ReplyDeleteमेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिए आभार...