परिवार के सभी सदस्यों और पाठक को शशि पुरवार का स्नेह भरा ♥......नमस्कार ......♥
क्या कुछ नहीं घट जाता है अनकहा ...कितना सत्य हम देख सकते है , जीवन क्या है .......जीवन के विभिन्न पहलुओं से रूबरू होता आज का चर्चा मंच ......... आपके प्यारे लिंक्स के साथ ।
मित्रों!
अगले बुधवार मै चर्चा नहीं कर सकूंगी , बाहर जा रही हूँ। तब तक के लिए आज्ञा चाहूंगी , उसके बाद पुनः आपके समक्ष उपस्थित रहूंगी बुधवार की चर्चा में... अपना स्नेह बनाये रखें , आप सभी का दिन मंगलमय हो और छुटियाँ सुखद हों।
इन्हीं शुभकामनाओं के साथ सुप्रभात...।
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धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
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मौजूदा दौर में दुनिया के विभिन्न देश दो बड़े विचारों के आक्रमण से पीड़ित हैं। इनमें एक उदारवाद है तो दूसरा धर्मनिरपेक्षता। जरूरत है कि विचारों के आक्रमण का हर स्तर पर मुकाबला किया जाए ताकि जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों, धर्म, नैतिकता, समाज, शिक्षा, रोज़गार और राजनीति इस मानसिक अशांति से निकल कर मनुष्य को वास्तविक जीवन का पालन करने में सहायक हों...
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त्रिवेणी
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महेंद्र मिश्रा
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Aamir dubai
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Pallavi saxena
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रेखा जोशी
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रश्मि शर्मा
गीली लकड़ी सा इश्क तुमने सुलगाया है ! ना पूरा जल पाया कभी , न बुझ पाया है !
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रश्मि प्रभा |
बेटियों से आह्वान !
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झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (ठ) आधा संसार | (नारी उत्पीडन के कारण) (१) वासाना-कारा (||) रूप-बाज़ारDevdutta Prasoonअसम्वैधानिक 'यौन व्यापार' हर गरीब करे यह आवश्यक नहीं | यदि 'धर्म का स्तम्भ' ठीक से थाम लिया तो गरीबी ''फकीरी' है और 'ईश्वर लीन' करेगी जैसा कि सुदामा का उदाहरण है, अन्यथा वह 'पापका कारण | |
घर में घुस आया वह अनचाहा संगीतज्ञ!
(arvind mishra)
वह संगीतज्ञ कब से हमारे घर में घुसा बैठा था मुझे पता ही नहीं चला . वो तो रात में पहली झपकी के दौरान ही एक ऐसे तेज संगीत से नीद उचट गयी जिसके आगे जाज और बीटल्स सब फेल थे . |
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मृत्यु से साक्षात्कार
Rekha Joshi
कहते है जिंदगी जिंदादिली का नाम है मुर्दा दिल क्या ख़ाक जीते है ,जी हाँ जिंदा दिल इंसान तो भरपूर जिंदगी का मज़ा लेते हुए उसे जीते है लेकिन वह लोग जिन्हें अपने सामने केवल मृत्यु ही नजर आती है |
तुम्हारे ख़त !!!
![]() आगे देखिए..."मयंक का कोना" 1. भुल्ल्कड़.....हास्य कविता मेरे साथ ये मुसीबत हैं, मुझे भूलने की आदत हैं|... 2. बिखर गया सब प्यार मेरा, बचपन का समेटा इन बाँहों में कहाँ मै खोजूं उन तस्बीरों को, बिरानी इन राहों में बिखर गया सब प्यार मेरा, बचपन का समेटा इन बाँहों में पुरवाई ले गयी उस आंचल को... राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' 3. "दुनिया की नियति" |
शुभ प्रभात
ReplyDeleteएक नज़र में पसंद आए सारे लिंक्स
आभार मेरी पसंदीदा ग़ज़ल लोगों तक पहुँचाने के लिये
सादर
खूबसूरत मंच और उस पर इतने सुसज्जित लिंक्स में अपनी भी रचना देख कर बहुत अच्छा लगा ! आपका आभार शशि जी ! आज दिन भर के लिये इतनी अच्छी सामग्री उपलब्ध कराने के लिये धन्यवाद !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा ......
ReplyDeleteसारे लिंक्स बहुत अच्छे लगे,मंच में मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार,,शशी जी
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन लिंकों का चयन,आपका आभार.
ReplyDeleteपहली नजर में दिख रही है आपकी मेहनत
ReplyDeleteबहुत सुंदर मंच सजाया आपने
शुभकामनाएं
शानदार सूत्रों से सजाई गयी चर्चा !!
ReplyDeleteaaj ki charcha men kafi achchhe rochak link diye hain ... samayachakr ki post ko sthaan dene ke liye Dhanyawad
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सूत्र..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिंक्स-सह चर्चा प्रस्तुति ..आभार..
ReplyDeleteआज काफी अलग और हटकर लिंक्स सजाये हैं। वैरी नाईस।
ReplyDeleteचर्चामंच के इस 'साहित्य-प्रीति-भोज' में सभी व्यंजन स्वादिष्ट हैं विशेषकर,'नूतनता और उर्वरा,घर में घुस आया वह अनचाहा संगीतज्ञ! इश्क ...धुआं-धुआं क्या ये नव सामंतवाद नहीं ?? -आदि !वास्तव में साहित्य जो सच को सामने लाता है, 'दर्पण'होता है |धन्यवाद !वधाई !
ReplyDeleteरेखा जी तहे दिल से आपका आभार .....शशि जी आपका आभार आपने हमारे लिखे शब्दों को चर्चा मंच पर स्थान दिया
ReplyDeleteतुम्हारे ख़त !!!मंच में मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार,,शशी जी
ReplyDeleteसारे लिंक्स बहुत अच्छे लगे,मंच में मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार
ReplyDeleteसुन्दर सूत्रों से सजाई गयी चर्चा !!
ReplyDeletesundar......... dhanyawad
ReplyDeleteशशि पुरवार जी!
ReplyDeleteआपने बुधवासरीय चर्चा में बहुत अच्छे लिंकों का चयन किया है!
आभार!
आप चिन्ता न करें अगले बुधवार की चर्चा मैं लगा दूँगा!
सादर...!
चर्चा मंच की अपनी एक अलग पहचान है
ReplyDeleteब्लॉग की दुनियां में
समूची टीम को साधुवाद
आज की चर्चा में सुंदर लिंक्स सहेजे हैं
शशि जी को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
अच्छा लगा पढ़ना ! सधन्यवाद
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