आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
आधुनिकता का सबसे बड़ा नुक्सान रहा है परिवारों का लुप्त होना । सयुंक्त परिवार तो खत्म हुए ही अब तो लिव इन रिलेशन के चक्कर में एकल परिवारों पर भी लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है । इस लुप्त होते परिवारों को बचाने का एक प्रयास हो सकता है परिवार दिवस अगर इसे सिर्फ दिवस मनाने तक सीमित न रखा जाए ।
चलते हैं चर्चा की ओर
आज की चर्चा में बस इतना ही
धन्यवाद
दिलबाग
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
(2)
लहरें
प्रवीण पाण्डेय जी का नाम खुद अपने आप में परिचय है उनका --- और उसी तरह उनके ब्लॉग का नाम-* न दैन्यं न पलायनम* भी .... प्रस्तुत है उनकी एक रचना...
मेरे मन की
(3)
क्यों पंछी हुआ उदास...!!! पलायन का दर्द ?..
क्यों पंछी हुआ उदास ,अपना नीड़ छोड़ कर ,
जिसे संजोया था ,तिनका -तिनका जोड़ कर।...
(4)
....सुबह नहीं होती
लिख रहे हैं रोज़ ही लेकिन ताज़ा ग़ज़ल नहीं होती
बेखुदी में है कमी या फिर पूरी बहर नहीं होती ...
वन्दना
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
भृंगराजभृंगराज का नाम आप लोगों के लिए नया नहीं है। तमाम हेयर आयल के विज्ञापन रोज प्रकाशित होते हैं,उनमें भृंगराज की चर्चा बड़े जोर-शोर से की गयी होती है।केशों के लिए यह महत्वपूर्ण तो है ही लेकिन इसके अन्य औषधीय गुण शायद और ज्यादा महत्वपूर्ण लगते हैं मुझे। अकेले भृंगराज कायाकल्प करने में सक्षम है। ....
(2)लहरें
प्रवीण पाण्डेय जी का नाम खुद अपने आप में परिचय है उनका --- और उसी तरह उनके ब्लॉग का नाम-* न दैन्यं न पलायनम* भी .... प्रस्तुत है उनकी एक रचना...
मेरे मन की
(3)
क्यों पंछी हुआ उदास...!!! पलायन का दर्द ?..
क्यों पंछी हुआ उदास ,अपना नीड़ छोड़ कर ,
जिसे संजोया था ,तिनका -तिनका जोड़ कर।...
(4)
....सुबह नहीं होती
लिख रहे हैं रोज़ ही लेकिन ताज़ा ग़ज़ल नहीं होती
बेखुदी में है कमी या फिर पूरी बहर नहीं होती ...
वन्दना
भाई दिलबाग विर्क जी आपने आज परिवार दिवस पर चर्चा की सुन्दर प्रस्तुति दी है...!
जवाब देंहटाएंपरिवारों को बचाने का एक प्रयास ( चर्चा मंच- 1246 ) यह सन्देश देता है कि हमें एकजुट होकर परिवारों को बचाने का प्रयास करना चाहिए।
आभार के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चलते चलते : आदरणीय शास्त्री जी "परिवार दिवस" की खूब बधाई ! वैसे "ख़ास" परिवार पर कुछ लिखूंगा आपकी तवज्जो की दरकार रहेगी ...
हटाएंhttp://whoistarun.blogspot.in/2013/05/blog-post_16.html
हटाएंपरिवार दिवस और परिवार वाद
Tavajjo Chahunga ... Jay Hind !
बहुत बढ़िया लिनक्स चुन लाये हैं .......आभार
जवाब देंहटाएंअच्छी लिंक्स से सजा आज का चर्चा मंच |"परिवार बचाओ प्यार बढाओ "
जवाब देंहटाएंसादर
आशा
आदरणीय दिलबाग जी बहुत ही सुन्दर लिंक्स सजाए हैं आपने आज की चर्चा में! इस चर्चा में मेरी रचना को स्थान प्रदान करने के लिए आपका आभार!
जवाब देंहटाएंचर्चाओं की श्रंखला में एक और नायब मोती एक खूबसूरत चर्चा साथ में उल्लूक का आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्र, आज तो मेरे लिये डबल सेन्चुरी जैसी उपलब्धि हो गयी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सार्थक लिंकों से सुसज्जित चर्चा,आभार.
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा........
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा बेहतरीन सार्थक लिंकों से सुसज्जित........
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा... मेरी रचना को स्थान प्रदान करने के लिए आपका आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिनक्स से सजी चर्चा हेतु हार्दिक बधाई अब जाती हूँ पढने ..........
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कसी हुई लाजवाब चर्चा आदरणीय हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंकों से सजी सुन्दर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंbahut acchi charcha ...thanks nd aabhar ......
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा दिलबाग sir ,हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंआदरणीय दिलबाग जी एवं समस्त चर्चामंच परिवार , सविनय अभिवादन व आभार !
जवाब देंहटाएंतोता तो तोता भया , कहे रटी रटाय ।
हरी मिर्च रिश्वत की ख़ुशी ख़ुशी खा जाय ॥
प्रणाम !
बहुत अच्च्छे लिंक्स सजाए हैं आपने...मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसार्थक संयोजनों के लिये वधाई !
जवाब देंहटाएंDhanyawaad.........
जवाब देंहटाएं