शुभम दोस्तों ...
मैं
सरिता भाटिया
हाजिर हूँ
'सरिता की गुज़ारिश'
के साथ
बढ़ते हैं
आज की चर्चा की तरफ
करते हुए
रचना दीक्षित
अख्तर खान अकेला
पूरण खंडेलवाल
रचना
अंकित कुमार
अर्चना
वीरेंदर कुमार
हितेश राठी
विकेश बडोला
रेखा जोशी
शालिनी कौशिक
सुनील
हरमिंदर सिंह
उपासना सियाग
कभी अलविदा न कहना दोस्तो
लेती हूँ आप सब से कुछ दिन का विश्राम
बड़ों को नमस्कार ..
छोटों को प्यार ..
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
सॉनेट/ आस सी भरती-
जब जब सूरज की किरनें पूरब में चमकी जगत में छाया गहन तिमिर तब तब छंटता लेकिन अंधियारा शेष रहा तो है बहकी मन की पांखों के नीचे..
(2)
इश्क गुलमोहर
बीहड़ वन दहकता पलाश बौराई हवा...
sapne
(3)
झरीं नीम की पत्तियाँ
(4)
अब "मिस्टर क्लीन" तो नहीं रहे मनमोहन !
आजाद भारत की ये पहली सरकार होगी जो इस कदर भ्रष्ट है। मनमोहन सिंह की अगुवाई में सरकार का प्रदर्शन तो दो कौड़ी का रहा ही, संवैधानिक संस्थाओं को भी कमजोर करने...
(5)
"ठण्डक देता इसको खाना"
"गर्मी में खरबूजे खाओ"
'इक गमला..'
"तेरी याद का इक गमला रखा था जो मेज़ पर साथ बीते पलों के बीज वाला..
फलने-फूलने लगा है..
(8)
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
सॉनेट/ आस सी भरती-
जब जब सूरज की किरनें पूरब में चमकी जगत में छाया गहन तिमिर तब तब छंटता लेकिन अंधियारा शेष रहा तो है बहकी मन की पांखों के नीचे..
(2)
इश्क गुलमोहर
बीहड़ वन दहकता पलाश बौराई हवा...
sapne
(3)
झरीं नीम की पत्तियाँ
सहती सुता ‘प्रताडना’, सुत को मिलता ‘स्नेह’ |
‘बिटिया’ के नयनों ‘करुण, रस’ का बहता नेह...
साहित्य प्रसून(4)
अब "मिस्टर क्लीन" तो नहीं रहे मनमोहन !
आजाद भारत की ये पहली सरकार होगी जो इस कदर भ्रष्ट है। मनमोहन सिंह की अगुवाई में सरकार का प्रदर्शन तो दो कौड़ी का रहा ही, संवैधानिक संस्थाओं को भी कमजोर करने...
(5)
"ठण्डक देता इसको खाना"
जब गरमी की ऋतु आती है!
लू तन-मन को झुलसाती है!!
तब आता तरबूज सुहाना!
ठण्डक देता इसको खाना!!
(6)"गर्मी में खरबूजे खाओ"
मित्रों...!
गर्मी अपने पूरे यौवन पर है।
ऐसे में मेरी यह बालरचना
आपको जरूर सुकून देगी!
पिकनिक करने का मन आया!
गर्मी अपने पूरे यौवन पर है।
ऐसे में मेरी यह बालरचना
आपको जरूर सुकून देगी!
पिकनिक करने का मन आया!
मोटर में सबको बैठाया!!
(7)
जम करके खरबूजे खाये!
शाम हुई घर वापिस आये!!..
'इक गमला..'
"तेरी याद का इक गमला रखा था जो मेज़ पर साथ बीते पलों के बीज वाला..
फलने-फूलने लगा है..
(8)
नहीं जानती कविता का अर्थशास्त्र गणित या भूगोल क्योंकि ना कभी समकालीनों को पढ़ा ना ही कभी भूत कालीनों को गुना फिर कैसे जान सकती हूँ उस व्याकरण को...
सरिता जी!
जवाब देंहटाएंआपने बहुत श्रमसध्य चर्चा की है!
आपका आभार!
बहुत ही सुन्दर और उपयोगी लिंक्स से सजी आज की चर्चा! साधुवाद इस श्रम के लिए।
जवाब देंहटाएंआदरणीय गुरूदेव ने आज की चर्चा में मेरी रचना को स्थान दिया, इसके लिए हार्दिक आभार!
सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा !!
जवाब देंहटाएंआभार !!
सुन्दर सूत्रों से सजा है चर्चा मंच |आशा
जवाब देंहटाएंआदरणीया सरिता जी बहुत ही सुन्दर एवं पठनीय सूत्र शामिल किये हैं आज की चर्चा में. हार्दिक आभार.
जवाब देंहटाएंलिंक्स के चयन में विविधता है, हर शैली तो मौजूद है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सजा है आज का मंच
मुझे शामिल करने के लिए आभार...
सरिता जी आपने विभिन्न विषयों पर सुंदर सूत्रों का संयोजन कर एक सुंदर चर्चा का सृजन किया है. इसके लिए आपको अनेकानेक बधाइयाँ. मेरी रचना को भी इस चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यबाद.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा.... सारे लिंक्स बेहद पसंद आए...
जवाब देंहटाएंआद. शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच वाकई एक ऐसा मंच है जिसके जरिए हम सबकी रचनाएं आसानी से सभी लोगों के बीच पहुंच जाती है। मेरा पहले भी ये निवेदन रहा है कि जो रचना मंच पर शामिल की जाए, कम से कम ब्लाग का नाम या फिर लेखक का नाम जरूर शामिल किया जाना चाहिए।
ये भेदभाव नहीं होना चाहिए। एक तरह तो मैं मंच पर तमाम लेखकों के चित्र देखता हूं, दूसरी ओर कुछ रचनाओं पर चित्र तो दूर, ब्लाग या लेखक का नाम तक नहीं होता।
आज मंच पर कुछ 23 लिंक्स को स्थान दिया गया है। जिसमें दो लिंक्स में ना ब्लाग का नाम है और ना ही लेखक का नाम।
मुझे लगता है कि आप इस मामले में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेगें और ब्लागर्स की इस छोटी सी शिकायत का स्थाई समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।
मेरी बात को आप या चिट्ठाकार अन्यथा बिल्कुल ना लें।
आदरणीय महेंदर जी ,
हटाएंआपका सुझाव बिलकुल सही है ,पर कई बार क्या होता है हम एक तरह से चर्चा लगाने की कोशिश करते हैं जैसे रचना का नाम ,फिर लेखक का नाम फिर उससे जुड़ी तस्वीर ,तो काफी सारे links में तस्वीर नहीं मिलती तो वहां तस्वीर गायब रहती है ,
दूसरा कुछ की तस्वीर मिलती है तो उससे जुड़ी कुछ बात कहकर चर्चा लगा दी जाती है ,मुख्य बात यह है कि वहां तक आप पहुँच पाते हैं या नहीं |
फिर भी जिनकी चर्चा लगाई जाती है वोही अपनी चर्चा पढने नहीं आ पाते ,हमें ख़ुशी है कि आप इतना समय दे पाते हैं और सबको अपना आशीर्वाद देते हैं |
बेहतरीन लिंक्स संयोजन एवं प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंसरिता जी बहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं …………सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सराहनीय प्रयास .सुन्दर लिनक्स संजोये हैं आपने .मेरी पोस्ट को स्थान देने हेतु .आभार . मेरी किस्मत ही ऐसी है .
जवाब देंहटाएंसाथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
बहुत ही बढ़िया। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा, बहुत सुन्दर सूत्र पिराये हैं
जवाब देंहटाएंहिन्दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त करने के लिये एक बार अवश्य पधारें और टिप्पणी के रूप में मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ साथ पर अनुसरण कर अनुग्रहित करें MY BIG GUIDE
नई पोस्ट एक अलग अंदाज में गूगल प्लस के द्वारा फोटो दें नया लुक
bahut badhiya .......
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मयंक साब..!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सरिता भाटिया महोदया..!!
सादर आभार..!!!
पर्यावरण चेतना से अनुप्राणित दोहे .
जवाब देंहटाएंरेखा जोशी
ओ बी ओ चित्र
शालिनी कौशिक
नए स्पर्श के साथ चर्चा मंच का नया अंक सुन्दर साज़ सज्जा लिए आया ,मन भाया .ॐ शान्ति .
जवाब देंहटाएंदोहे नहीं आज की पुरुष सत्तात्मक समाज की विकृत तस्वीर का आईना हैं ये दोहावली .ॐ शान्ति .
जवाब देंहटाएंक्रिकेट के माध्यम से काम की बात कह दी है सारा प्रपंच कांग्रेसी जन्य है .जरुरत असली फिक्चर्ज की
जवाब देंहटाएंविकेश बडोला
सहज प्रसूत गीत खरबूज .बढ़िया बाल गीत .
जवाब देंहटाएंसहज प्रसूत गीत खरबूज .बढ़िया बाल गीत .
जवाब देंहटाएंखरबूजे से ज्यादा बढ़िया खरबूजे के चित्र ,
खरबूजे भर पेटी लाया ,देखो प्यारे मित्र
२ ० १ ४ अब २ ० १ ३ नवम्बर में ही भुगता लिया जाएगा .मिस्टर क्लीन के अन क्लीन अवतार को दूध में पड़ी मख्खी की मानिंद फैंक दिया जाएगा .नम्बर कैसे इस सरकार की तो निगेटिव मार्किंग होनी चाहिए .
जवाब देंहटाएंस्कोर रहे :
माइनस टेन बोले तो (- १ ० ).ॐ शान्ति .यूपीए २ विकृतियों का गठबंधन बना .
आपसे भी महेन्द्र भाई एक गलती हो गई आपने कसावदार रिपोर्ट के चक्कर में पूरा सच लिख दिया .बधाई .
'वैशाख की धूप' में तराबत देने वाली सभी रचनाओं के लिये चर्चा मंच को वधाई तथा मेरी रचना प्रकाशित करने हेतु धन्यवाद !
जवाब देंहटाएं