आज की चर्चा
मेरे भइया तुम्हारी हो लम्बी उमर,
कर रही हूँ प्रभू से यही कामना।
लग जाये किसी की न तुमको नजर,
दूज के इस तिलक में यही भावना।।
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सूर्यदेव की पत्नी छाया
जिन्होंने यम –यमुना को जाया
इक-दूजे में प्यार अपार
खुशियों भरा उनका परिवार
यमराज को प्यारी बहना
सुन्दर सी सुकुमारी बहना
स्नेह से दोनों बढे –पले
अपने पथ पर आगे चले
कई बार करती निवेदन
घर आओ करने को भोजन ...
--
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उल्लूक टाईम्सपरसुशील कुमार जोशी
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नैन मटकाते हैं ,
इजहार नही करते हैं।
सिर हिलाते है,
वो इन्कार नही करते हैं..
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दीपावली चली गई परन्तु सबके जीवन में कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य छोड़ गई | दीपावली में प्राय:सभी घरों में रंगोली बनाई जाती है और गृहिणियां या बेटियां ही ये रंगोली बनाती है| नए नए प्रयोग भी करती है | इस दिवाली में हमारी दो बेटियों ने मिलकर फूलों से रंगोली बनाई | उसका एक नमूना यहाँ आपसे साझा कर रहा हूँ | आशा है आपको पसंद आएगा...
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किस्मत के खेल में जाने
कितनी ही बार
मेरी आँखें चार हो गई |
सुना था प्यार
बहुत खाश है लेकिन
मेरे लिए ये बात, आम हो गई ...
मेरा काव्य-पिटारा पर ई. प्रदीप कुमार साहनी
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प्रेम सरोवर पर प्रेम सागर सिंह
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प्रेमरस.कॉम पर Shah Nawaz
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हौसले अंतरनाद भी करते हैं .....
अपनी चीख़ों की प्रतिध्वनि की शून्यता मेँ
अपनी पूरी ज़िंदगी का हिसाब किताब करते हैं ...
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ये भी एक अजीब ही शै बनी रही
नाउम्मीदी में भी फ़क्त इसको तलाशते ही रहे उम्र भर पर ....
आख़री सांस के आने पर भी पता का भी पता न मिला कभी .....
झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्त
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रांचीहल्ला पर Amalendu Upadhyaya
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जिसने खुद को ही सुमन, दिया देशहित झोंक।
खून उसी का पी रहीं, कुछ सरकारी जोंक...
मनोरमा पर श्यामल सुमन
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नीरज पर नीरज गोस्वामी
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अन्नकूट पूजा करो, गोवर्धन है आज।
गोरक्षा से सबल हो, पूरा देश समाज...
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मनें दीपावली... दीपों वाली!
स्वप्न में,
स्वप्न सा...
दीखता है जगमग
एक दीप उम्मीदों का
एक ज्योति खुशियों की
स्वप्न के धरातल से
वास्तविकता की ठोस ज़मीन तक का सफ़र
इसी क्षण तय हो
और दिखे दीप
जगमगाता
मन की देहरी पर
बस इतनी सी ही
प्रार्थना है...
अनुशील पर अनुपमा पाठ
--
कुछ लिंक "आपका ब्लॉग" से..
--
अमेरिका में नामो मैजिक
वाशिंगटन: नरेंद्र मोदी के समर्थर्कों ने अमेरिका में दीपावली को मोदीमय बना दिया है। वहां की एक फूड कंपनी ने मोदी के नाम से गुलाब जामुन और नानखटाई के पैकेट बांटने की योजना बनाई है। इस दिवाली पर गुलाब जामुन और नान खटाई के बीच आपको मोदी मैजिक भी देखने को मिलेगा...
--
चौदवहीं शती की जहनियत
ये रिपोर्ट प्रकाशित करके सुमन रणधीर सिंह जी आप किसे बहका रहे हैं। अमरीका में नरेंद्र दामोदर मोदी साहब को हिंदुस्तान के इकोनोमिक सर्च इंजन के बतौर जाना जाता है। अमरीकी हिंदुस्तान को आज गुजरात की वजह से जानते हैं गुजरात बोले तो कॉन्स्टेंट इकोनोमिक ग्रोथ...
--
दीपावली की असीम शुभकामना (गीतिका छंद)
दीप पावन तुम जलाओ, अंधियारा जो हरे ।
पावन स्नेह ज्योति सबके, हृदय निज दुलार भरे ।
वचन कर्म से पवित्र हो, जीवन पथ नित्य बढ़े ।
लीन हो ध्येय पथ पर, नित्य नव गाथा गढ़े ...
--
नरेंद्र मोदी इस लायक नहीं हैं
कि उन्हें हिंदुस्तान का वजीरे आलम बनाया जाए
स्वप्न में,
स्वप्न सा...
दीखता है जगमग
एक दीप उम्मीदों का
एक ज्योति खुशियों की
स्वप्न के धरातल से
वास्तविकता की ठोस ज़मीन तक का सफ़र
इसी क्षण तय हो
और दिखे दीप
जगमगाता
मन की देहरी पर
बस इतनी सी ही
प्रार्थना है...
अनुशील पर अनुपमा पाठ
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कुछ लिंक "आपका ब्लॉग" से..
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अमेरिका में नामो मैजिक
वाशिंगटन: नरेंद्र मोदी के समर्थर्कों ने अमेरिका में दीपावली को मोदीमय बना दिया है। वहां की एक फूड कंपनी ने मोदी के नाम से गुलाब जामुन और नानखटाई के पैकेट बांटने की योजना बनाई है। इस दिवाली पर गुलाब जामुन और नान खटाई के बीच आपको मोदी मैजिक भी देखने को मिलेगा...
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चौदवहीं शती की जहनियत
ये रिपोर्ट प्रकाशित करके सुमन रणधीर सिंह जी आप किसे बहका रहे हैं। अमरीका में नरेंद्र दामोदर मोदी साहब को हिंदुस्तान के इकोनोमिक सर्च इंजन के बतौर जाना जाता है। अमरीकी हिंदुस्तान को आज गुजरात की वजह से जानते हैं गुजरात बोले तो कॉन्स्टेंट इकोनोमिक ग्रोथ...
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दीपावली की असीम शुभकामना (गीतिका छंद)
दीप पावन तुम जलाओ, अंधियारा जो हरे ।
पावन स्नेह ज्योति सबके, हृदय निज दुलार भरे ।
वचन कर्म से पवित्र हो, जीवन पथ नित्य बढ़े ।
लीन हो ध्येय पथ पर, नित्य नव गाथा गढ़े ...
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नरेंद्र मोदी इस लायक नहीं हैं
कि उन्हें हिंदुस्तान का वजीरे आलम बनाया जाए
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बहुत चोट खाए---- अपने दिखे पराये
बहुत चोट खाए =
अपने दिखे पराये ॥
जीने से जी घबड़ाए ;
अपनों से दगा पाये ...
--
सवाल आपकी सेहत के ज़वाब माहिरों के
प्रश्न :ठंड में सर्दी -जुकाम ,कामन कोल्ड और फ्ल्यू से
बचने के उपाय क्या हैं ?
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अन्त में देखिए..कार्टून ही कार्टून..
भाई साहब Syndrome
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आइए जानें, चुनावपूर्व सर्वेक्षण क्यों बंद होने चाहिए.
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प्रश्न :ठंड में सर्दी -जुकाम ,कामन कोल्ड और फ्ल्यू से
बचने के उपाय क्या हैं ?
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अन्त में देखिए..कार्टून ही कार्टून..
भाई साहब Syndrome
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आइए जानें, चुनावपूर्व सर्वेक्षण क्यों बंद होने चाहिए.
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शुभप्रभात शास्त्री जी .... ....आभार मेरी कृति को यहाँ स्थान मिला ...!!बढ़िया चर्चा है ...
जवाब देंहटाएंवाह. आज तो 3-3 कार्टून :)
जवाब देंहटाएंआभार.
शुभ भाव से प्रेरित अनुपम सांस्कृतिक ( मांगलिक ) रचना उत्सव सप्ताह की वेला में।
जवाब देंहटाएंसूर्यदेव की पत्नी छाया
जिन्होंने यम –यमुना को जाया
इक-दूजे में प्यार अपार
खुशियों भरा उनका परिवार
यमराज को प्यारी बहना
सुन्दर सी सुकुमारी बहना
स्नेह से दोनों बढे –पले
अपने पथ पर आगे चले
कई बार करती निवेदन
घर आओ करने को भोजन ...
BHARTI DAS पर Bharti Das
शुभ भाव से प्रेरित सुन्दर सरल मांगलिक रचना उत्सव सप्ताह की वेला में।
जवाब देंहटाएंथालियाँ रोली चन्दन की सजती रहें,
सुख की शहनाइयाँ रोज बजती रहें,
हों सफल भाइयों की सभी साधना।
दूज के इस तिलक में यही भावना।।
मयंक कौना का एक कौना हमें बनाने के लिए शुक्रिया आदरणीय शास्त्री जी का।
भाई काजल कुमार ये तो भारतीय गणतंत्र का एक खम्बा भी उखाड़ के दस जनपथ में रखवा सकते हैं अलाहाबाद के जस्टिस सिन्हा और आपद काल (इंदिरा -महाकाल )को कोई भूला नहीं है।
जवाब देंहटाएंबकौल राहुल आई एस आई ने सप्लाई किये होंगें या फिर ये काम का मोदी का हो सकता है यकीन न हो तो नारी चिठ्ठे का झंडा उठाने वाली एक एक वकीलनी से पूछ लीजिए। प्रतिबंधित काजल के कार्टून भी हो सकते हैं कई हलकों में ऐसी आशंका व्यक्त की गई है। दोनों कार्टून चित्र व्यंग्य के नए प्रतिमान रच रहे हैं। एक चित्र खोले कांग्रेस के पूर्वजों और वर्त्तमान शहज़ादे की पोल।
भाई साहब उलूक सवारी करने आया था।
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आइए जानें, चुनावपूर्व सर्वेक्षण क्यों बंद होने चाहिए.
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दिवाली का अगला दिन
काजल कुमार के कार्टून
सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
अजी भाई साहब बुर्के में क्या रख्खा है चारों तरफ भाई साहब ही भाई साहब हैं मुख चिठ्ठे पे आके मुंह दिखाई मांगते भी हैं,देते भी हैं ।
जवाब देंहटाएं--
अन्त में देखिए..कार्टून ही कार्टून..
भाई साहब Syndrome
निराशा राम ने भी एक बार ये नुस्खा बताया था बलात कर्म से बचने का। उनका खुद का आज़माया हुआ निकला।
जवाब देंहटाएंसुन्दर मनोहर-
जवाब देंहटाएंबहुत चोट खाए---- अपने दिखे पराये
बहुत चोट खाए =
अपने दिखे पराये ॥
जीने से जी घबड़ाए ;
अपनों से दगा पाये ॥
जवाब देंहटाएंये "सेकुलर सरकार" किस चिड़िया का नाम है ?माननीय रणधीर सिंह सुमन जी बतलायें।
वह जो कोयला चुगती है। चारा खाती है। जिसके कई चहेते पाकिस्तानी विचारधारा के लोग इंडियन मुजाहिदीन की हिमायत करते हैं । उनके मानवाधिकारों की बात करते हैं।
संसद सदस्य मोहमद अदीब साहब जिन अमरीकी हिन्दुस्तानियों से मिल रहें हैं कहीं वह उनकी तरह के चौदवहीं शती की जहनियत वाले तआस्सउबी लोग तो नहीं हैं ?
तआस्सउबी -नस्ली और खानदानी पक्षपाती ,बे -जा (अनुचित )तरफ दारी करने वाला ,धार्मिक
पक्षपाती कहलाता है ।
ये कहीं वैसे सेकुलर तो नहीं हैं जो मिनिस्टर होते हुए विरोधी को कहते हैं :मेरे शहर में आके देखना
,वापस कैसे जाते हो देखूंगा। ये वो सेकुलर तो नहीं जो संयुक्त राष्ट्र संघ में जाकर अपने देश के
प्रतिवेदन के बजाय दूसरे देश का
प्रतिवेदन पढ़ने लगते हैं। ये कहीं वैसा सेकुलर होने की बात तो नहीं है जो विरोधी पर बुलडोज़र चलाने
की धमकी देता है ,ऐसे सेकुलर चारा तो खा सकते हैं, बुलडोज़र बीच में कहाँ से ले आये। ये कहीं ऐसे
सेकुलर तो नहीं हैं जो विरोधी का मनोबल तोड़ने के लिए आतंकवादियों से हाथ मिलाते हैं। लोकतांत्रिक
विरोधी का मनोबल तोड़ने के लिए आतंकवादियों से हाथ मिलाते हैं और परोक्ष रूप से वे आई. एस.
आई. के दखल का रास्ता बनाते हैं। क्या अदीब साहब ये बताएँगे कि वे खुद कौन से सेकुलर हैं। सबके
बारे में अगर उनको याद न रहे तो महज़ इतना ही बतादें कि वह मज़हबी सेकुलर हैं या फिर जातिवादी
या फिर जेहादी।
,वापस कैसे जाते हो देखूंगा। ये वो सेकुलर तो नहीं जो संयुक्त राष्ट्र संघ में जाकर अपने देश के
जवाब देंहटाएंप्रतिवेदन के बजाय दूसरे देश का
प्रतिवेदन पढ़ने लगते हैं। ये कहीं वैसा सेकुलर होने की बात तो नहीं है जो विरोधी पर बुलडोज़र चलाने
की धमकी देता है ,ऐसे सेकुलर चारा तो खा सकते हैं, बुलडोज़र बीच में कहाँ से ले आये। ये कहीं ऐसे
सेकुलर तो नहीं हैं जो विरोधी का मनोबल तोड़ने के लिए आतंकवादियों से हाथ मिलाते हैं। लोकतांत्रिक
विरोधी का मनोबल तोड़ने के लिए आतंकवादियों से हाथ मिलाते हैं और परोक्ष रूप से वे आई. एस.
आई. के दखल का रास्ता बनाते हैं। क्या अदीब साहब ये बताएँगे कि वे खुद कौन से सेकुलर हैं। सबके
बारे में अगर उनको याद न रहे तो महज़ इतना ही बतादें कि वह मज़हबी सेकुलर हैं या फिर जातिवादी
या फिर जेहादी।
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग :
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नरेंद्र मोदी इस लायक नहीं हैं
कि उन्हें हिंदुस्तान का वजीरे आलम बनाया जाए
शुभ भाव से प्रेरित सुन्दर सरल रचना उत्सव सप्ताह की वेला में।
जवाब देंहटाएंदीपावली की असीम शुभकामना (गीतिका छंद)
दीप पावन तुम जलाओ, अंधियारा जो हरे ।
पावन स्नेह ज्योति सबके, हृदय निज दुलार भरे ।
वचन कर्म से पवित्र हो, जीवन पथ नित्य बढ़े ।
लीन हो ध्येय पथ पर, नित्य नव गाथा गढ़े ...
सुन्दर पौराणिक सन्दर्भ जुटाएं हैं आपने इस सांस्कृतिक आलेख में -गीता में भागवान बारहा अर्जुनको कहते हैं -हे अर्जुन तू किसी और धर्म की चिंता मत कर सिर्फ मुझमे अपनी बुद्धि और मन लगा अन्य देव भी मुझसे ही शक्ति प्राप्त करते है फिर उनकी पूजा अर्चना से भौतिक सुख साधनों की ही अस्थाई प्राप्ति होगी यही बात कृष्ण ने वृंदावन वासियों को कही थी -इंद्र को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ की आवश्यकता नहीं है वृंदावन की गायों को पूजो बरह्मणों को दान दो भागवत कथा में इसका विशेष उल्लेख है। कृष्ण की लीलाओं का विस्तार है गोवर्धन सन्दर्भ। जबकी कृष्ण तो उस समय बालक थे और वृंदावन के लोग उन्हें अपना मानते थे कोई सखा कोई पुत्र। गोपिकाएं पति।
जवाब देंहटाएं'' गोवर्धन पूजा ''
ॐ ..प्रीतम साक्षात्कार ..ॐ पर सरिता भाटिया
सुन्दर चित्रात्मक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंश्रीकृष्ण ने कर दिया, माँ का ऊँचा भाल।
सेवा करके गाय की, कहलाये गोपाल।२।
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"अन्नकूट (गोवर्धनपूजा)
अन्नकूट पूजा करो, गोवर्धन है आज।
गोरक्षा से सबल हो, पूरा देश समाज...
उच्चारण
जवाब देंहटाएं--
देते ये झकझोर, हमें ना देंगे सोने-
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
सोने की चिड़िया मरे, रही फड़फड़ा पंख |
जवाब देंहटाएंघोंघे तो संतुष्ट हैं, मुतमईन है शंख |
मुतमईन है शंख, जोर से चले बजाते |
ले घंटा-घड़ियाल, झूठ को सत्य बनाते |
रखें ताक़ पर बुद्धि, चले ये काँटा बोने |
देते ये झकझोर, हमें ना देंगे सोने ||
इन्हें खिलाओ भैया रविकर मोदी की नमकीन ,
अमरीका में बिक रही ,खाये हर शोकीन .
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देते ये झकझोर, हमें ना देंगे सोने-
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
झलकत झंकृत झालर झांझ सुहावन रौ घर-बाहर ।
जवाब देंहटाएंदीप बले बहु बल्ब जले तब आतिशबाजि चलाय भयंकर ।
दाग रहे खलु भाग रहे विष-कीट पतंग जले घनचक्कर ।
नाच रहे खुश बाल धमाल करे मनु तांडव हे शिव-शंकर ।।
बहुत सुन्दर ध्वनि सौंदर्य और माधुरी तत्व लिए .
देह देहरी देहरे,
दो-दो दिया जलाय -
रविकर की कुण्डलियाँ
नैन मटकाते हैं ,
जवाब देंहटाएंइजहार नही करते हैं।
सिर हिलाते है,
वो इन्कार नही करते हैं।
रोज टकराते हैं,
पगडण्डी पे आते-जाते,
इतने खुद्दार है,
इसरार नही करते हैं।सुन्दर मनोहर रागात्मक प्रस्तुति।
"तुम्हें प्यार नही करते हैं"
नैन मटकाते हैं ,
इजहार नही करते हैं।
सिर हिलाते है,
वो इन्कार नही करते हैं..
सुख का सूरज
सुन्दर सांस्कृतिक पक्ष लेकिन ये हमारी एक बेटी रंगोली के पास चप्पल पहनके क्यों बैठी है ?बताओ इसको ऐसा नहीं करते बेटा -ये पूजा का प्रतीक है .
जवाब देंहटाएंफूलों की रंगोली
दीपावली चली गई परन्तु सबके जीवन में कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य छोड़ गई | दीपावली में प्राय:सभी घरों में रंगोली बनाई जाती है और गृहिणियां या बेटियां ही ये रंगोली बनाती है| नए नए प्रयोग भी करती है | इस दिवाली में हमारी दो बेटियों ने मिलकर फूलों से रंगोली बनाई | उसका एक नमूना यहाँ आपसे साझा कर रहा हूँ | आशा है आपको पसंद आएगा...
अनुभूति पर कालीपद प्रसाद
वाह हरिवंश राय बच्चन जी को आपने पढ़वाया ,खूब आनंद आया :
जवाब देंहटाएंहै अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है: हरिवंश राय बच्चन
प्रेम सागर सिंह
कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना था
भावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था
स्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से सँवारा
स्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना था
ढह गया वह तो जुटाकर ईंट, पत्थर, कंकड़ों को
एक अपनी शांति की कुटिया बनाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
बादलों के अश्रु से धोया गया नभ-नील नीलम
का बनाया था गया मधुपात्र मनमोहक, मनोरम
प्रथम ऊषा की किरण की लालिमा-सी लाल मदिरा
थी उसी में चमचमाती नव घनों में चंचला सम
वह अगर टूटा मिलाकर हाथ की दोनों हथेली
एक निर्मल स्रोत से तृष्णा बुझाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
क्या घड़ी थी, एक भी चिंता नहीं थी पास आई
कालिमा तो दूर, छाया भी पलक पर थी न छाई
आँख से मस्ती झपकती, बात से मस्ती टपकती
थी हँसी ऐसी जिसे सुन बादलों ने शर्म खाई
वह गई तो ले गई उल्लास के आधार, माना
पर अथिरता पर समय की मुसकराना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
हाय, वे उन्माद के झोंके कि जिनमें राग जागा
वैभवों से फेर आँखें गान का वरदान माँगा
एक अंतर से ध्वनित हों दूसरे में जो निरंतर
भर दिया अंबर-अवनि को मत्तता के गीत गा-गा
अंत उनका हो गया तो मन बहलने के लिए ही
ले अधूरी पंक्ति कोई गुनगुनाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
हाय, वे साथी कि चुंबक लौह-से जो पास आए
पास क्या आए, हृदय के बीच ही गोया समाए
दिन कटे ऐसे कि कोई तार वीणा के मिलाकर
एक मीठा और प्यारा ज़िन्दगी का गीत गाए
वे गए तो सोचकर यह लौटने वाले नहीं वे
खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
क्या हवाएँ थीं कि उजड़ा प्यार का वह आशियाना
कुछ न आया काम तेरा शोर करना, गुल मचाना
नाश की उन शक्तियों के साथ चलता ज़ोर किसका
किंतु ऐ निर्माण के प्रतिनिधि, तुझे होगा बताना
जो बसे हैं वे उजड़ते हैं प्रकृति के जड़ नियम से
पर किसी उजड़े हुए को फिर बसाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है.
बढ़िया चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार दीदी-
भैया दूज कि शुभकामनायें-
हटाएंभैया दूज की शुभकामनायें-
आभार गुरु जी-
शायद आज राजेश दीदी चर्चा मंच पर नहीं आ सकीं-
इस प्रकार के वीभत्स किस्से न ही लिखें तो अच्छा है इंसान का भरोसा टूटता है वैसे भी ये अपवाद हैं नियम नहीं कुछ आदर्श लाओ। अलबता दल्लों से और क्या उम्मीद रखोगी ये तो आज हर तरफ हैं राजनीति से लेकर घर दुआरे तक। और फिर दोनों लड़कियों को लघु कथा में क्यों मरवा दिया दादी को भी चाक़ू मारा जा सकता था। बाप के मुंह पे भी थूक के बजाय पेट्रोल छिड़का जा सकता था।
जवाब देंहटाएंएक प्रतिक्रिया ब्लॉग :
ऐसे घरों में लड़की न पैदा हो-लघु कथा
इक्कीस वर्षीय मुस्कान के गाल पर उसकी दादी ने जोरदार तमाचा जड़ते हुए कड़े शब्दों में पूछा -'' बोल बेहया कहाँ है ख़ुशी ? बताती है या नहीं ...ज़िंदा गाड़ दूँगी ज़मीन में ...हरामजादी खुद भी नखरे दिखाने लगी है और छोटी बहन को भी भगा डाला ..'' ये कहते कहते दादी ने मुस्कान की चोटी कस कर पकड़ ली .असहनीय दर्द से मुस्कान चीख उठी पर दांत भींचते हुए बोली -'' कर ले डायन जो करना है ...ख़ुशी अब आज़ाद है .वो मेरी तरह घुट-घुट कर रोज़ नहीं मारेगी ..मेरी देह का रोज़ सौदा करने वाली डायन मैंने तेरे अरमानों पर पानी फेर दिया .सारी दुनिया अपनी बेटियों की इज्जत के लिए मरने-मारने को तैयार रहती है और तूने मुझे इंसान से माल बना दिया ..उस पर बदचलन भी मैं ?..कितने में बेचा है मुझे उस दलाल को बता डायन ?'' मुस्कान के ये पूछते ही एक और जोरदार तमाचा उसके गाल पर लगा .कुछ देर के लिए उसकी आँखों के सामने अँधेरा छा गया .होश आने पर उसने देखा उसका बाप सामने खड़ा था .ये तमाचा उसने ही मारा था .मुस्कान ने थोडा आगे बढ़कर उसके मुंह पर थूक दिया और लड़खड़ाती हुई बोली -'' तू भी मार ले पर याद रख यदि मैं न होती तो तू गाड़ियों में कैसे घूमता ,ऐय्याशी कैसे करता ...बेशरम तू ही बता दे कितने में बेचीं है मेरी देह ?'' मुस्कान के बाप ने मुंह पर से थूक हटाते हुए पलक झपकते ही मुस्कान की गर्दन पर अपना पंजा कस दिया और बोला -'' चुप हो जा छिनाल वरना यही तेरे टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा ..याद नहीं पिछली बार कैसे गरम पानी उड़ेला था तुझ पर वो तो तेरी माँ बीच में आ गयी वरना तेरे बदन को उसी दिन जला डालता ...इतराती है खुद पर सब इतराना निकाल दूंगा ...हां बेच दिया है हमने तुझे .....ये कहते कहते मुस्कान के बाप ने उसके पेट पर जोरदार लात दे मारी और बोला -'' हमारे पेट पर लात मारेगी तो ऐसी ही लात लगेंगी तेरे ..बता कहाँ है ख़ुशी ?'' मुस्कान पेट पकड़कर दर्द से बिलबिलाती हुई ज़मीन पर गिर पड़ी और कराहते हुए बोली -'' ज़ालिमों स्टोर रूम देख लो ..फांसी पर लटकी हुई है ख़ुशी और अब मैं भी नहीं बचूंगी क्योंकि मैंने भी ज़हर खा रखा है .'' ये कहते कहते मुस्कान के मुंह से झाग निकलने लगे .तभी उसकी माँ कमरे के पीछे से निकलकर दौड़कर उसके पास पहुँच गयी और उसका सिर अपनी गोदी में रख लिया .मुस्कान ने जरा सी आँख खोली और माँ को देखा .माँ बदहवास हो रही थी .मुस्कान फुसफुसाते हुए बोली -'' माँ प्रार्थना करना ऐसे घरों में कभी कोई लड़की न पैदा हो जो लड़की से धंधा करवाते हैं ............................'' ये कहकर मुस्कान ठंडी पड़ गयी और माँ की आत्मा चीत्कार कर उठी .आज एक ओर एक माँ की कोख उजड़ गयी थी ओर दूसरी ओर दलालो की तिजोरी .
शिखा कौशिक 'नूतन
प्रस्तुतकर्ता shikha kaushik पर 8:21 am
ऐसे घरों में लड़की न पैदा हो
भारतीय नारी पर shikha kaushik
हाय रे किस्मत !
जवाब देंहटाएंकिस्मत के खेल में जाने
कितनी ही बार
मेरी आँखें चार हो गई |
सुना था प्यार
बहुत खाश है लेकिन
मेरे लिए ये बात, आम हो गई ...
मेरा काव्य-पिटारा पर ई. प्रदीप कुमार साहनी
वाह वाह वाह। कोशिश करते रहो हिम्मते मर्दा मदद दे खुदा।
सुंदर चर्चा ! बेहतरीन लिंक्स ! भैया दूज की शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंNice collection computer and internet ke nayi jankaari tips and trick ke liye dhekhe www.hinditechtrick.blogspot.com
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सूत्र बहुत उम्दा चर्चा आज की !
जवाब देंहटाएंभैया दूज की शुभकामनायें !
उल्लूक के दो सूत्र :
"एक बच्चे ने कहा ताऊ मोबाईल पर नहीं कुछ लिखा"
और
"लक्ष्मी को व्यस्त पाकर उल्लूक अपना गणित अलग लगा रहा था"
को चर्चा में शामिल किया
आभार !
बहुत ही सुन्दर चर्चा . एक से बढ़कर एक लिंक ..
जवाब देंहटाएंअत्यन्त रोचक सूत्र
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर चर्चा | मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर काफी दिनों के बाद आपका ये खुबसूरत संकलन देख पाई हमें क्षमा करें .
जवाब देंहटाएं