मोती व्यर्थ लुटाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से
जीवन नहीं मरा करता है
माला बिखर गई तो क्या है
ख़ुद ही हल हो गई समस्या
आँसू ग़र नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या
कुछ दीपों के बुझ जाने से
आंगन नहीं मरा करता है
लाखों बार गगरियाँ फूटीं
शिक़न नहीं आई पनघट पर
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं
चहल-पहल वो ही है तट पर
तम की उमर बढ़ाने वालों
लौ की आयु घटाने वालों
लाख करे पतझड़ क़ोशिश पर
उपवन नहीं मरा करता है
नफ़रत गले लगाने वालों
सब पर धूल उड़ाने वालों
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से
दर्पण नहीं मरा करता है
(साभार : गोपाल दास नीरज)
नमस्कार !
मैं, राजीव कुमार झा, चर्चामंच : चर्चा अंक :1431 में, कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ,आप सबों का स्वागत करता हूँ.
एक
नजर डालें इन चुनिंदा लिंकों पर............................
राकेश श्रीवास्तव
धन्यवाद !!
आगे देखिए "मयंक का कोना"--
हिरनी
मन मचले तन डोले कथा हिरनी का अद्भुत तथ्य खोले !
सब सो गए शाम वनवासी कुंजो से आती ध्वनि बोले...
स्व रचना पर Girijashankar Tiwari
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मुझे कुछ नहीं पता
तुम नाराज़ हो पता है मुझको
इस नाराजगी के चलते
बात नहीं करते हो मुझसे ..
ज़िन्दगीनामा पर Nidhi Tandon
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मन्दिर या विकास ?
नेता और उद्योगपतियों ने मिलकर
जनता को बन्धक की जिंदगी
जीने के लिए मजबूर कर दिया है |
जनता को अब जाग जाना चाहिए ....
अनुभूति पर कालीपद प्रसाद
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बालार्क …मेरी नज़र से
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र पर
vandana gupta
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ऑनलाइन लेखन शैली को रखें
सर्च इंजिन के अनुकूल
ज़िंदगी के मेले पर बी एस पाबला
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हुत्त ... हम नहीं जाएंगे वोट डारने ....
आइये, कुछ बातें करें ! पर मनोज कुमार श्रीवास्तव
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हमारे अपने--- कहीं जाते नहीं हैं
मन के - मनके
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बस एक ख्याल
वफा की राह में चल सफ़र को निकलते हैं...।
अहसासों का रंगमंच पर Minakshi Pant
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आज याद आती है
एक वक़्त ऐसा भी था,
हरेक लम्हा था मेरे आगोश में,
सूने-से आज इस पल में,
उन लम्हों की आज याद आती है |
आँखों के सामने दो आँखें थी,
थोड़ी ख़ामोशी, थोडा प्यार लिए,
रहस्य से भरी सागर जैसी,
उन आँखों की आज याद आती है...
मेरा काव्य-पिटारा पर ई. प्रदीप कुमार साहनी
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सात समंदर पार, चली रविकर अधमाई-
बेसुरम् पर रविकर
--
कुछ लिंक "आपका ब्लॉग" से
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देश लूटने पर मगर, दंड नहीं कुछ ख़ास -
लाज लूटने की सजा, फाँसी कारावास |
देश लूटने पर मगर, दंड नहीं कुछ ख़ास...
आपका ब्लॉग पर रविकर--
"दोहे-आपका ब्लॉग"
यह “आपका ब्लॉग” है, अपना समझो मित्र।
अन्य ब्लॉग के लिंक का, यहाँ न छिड़को इत्र।।
जिसको साझा कर लिया, करो उसे स्वीकार।
सौतेला सा मत करो, उससे तुम व्यव्हार।।
कहलायेगी आपकी, पोस्ट आपका नाम।
एक पोस्ट को सब जगह, देते क्यों आयाम।।
क्षमता का कर आकलन, शक्ति का उपयोग।
पुनरावृत्ति देख कर, हँसी उड़ाते लोग।।
टिप्पणियों के वास्ते, लिखना मत साहित्य।
चलती है वो लेखनी, जिसमें हो लालित्य।।
--People who have Type 1 diabetes
do not produce insulin,
a hormone the body needs to convert sugar
and starches into energy
Diabetes continues to spread around the world
On World Diabetes Day, news about the disease's global
impact is dire.
--
मुल्क तेरी बर्बादी के आसार नज़र आते है ,
चोरों के संग पहरेदार नज़र आते है...
I Love my India. पर
Aditya Chetan
--
"बादल आये रे"
"धरा के रंग"
--
रोना धोना चुल्लुओं, पाँच साल फिर होय-
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
thanks.
जवाब देंहटाएंबहुत मेहनत और लगन से संकलित किये गये आज की चर्चा के सूत्रों में "उल्लूक" का संदेश "जिसके लिये लिखा हो उस तक संदेश जरूर पहुँच जाता है" को शामिल किया ! आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा. मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंवाह...इतन सारे एक से बढकर एक लिंक्स...आपका श्रम प्रशसंनीय है. आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा.........
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स खूबसूरत !!
अनु
आपने बेहतरीन पोस्ट सजाया है ......!!
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए धन्यवाद .
हुत सुन्दर लिंक्स दिए है, आभार मुझे स्थान देने के लिए !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआभार!
हर बार की तरह बेहतरीन पेशकश राजीव भाई , व चर्चा मंच को धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनया प्रकाशन --: प्रश्न ? उत्तर -- भाग - ६
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा राजीव जी ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा-
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति-
बधाइयाँ आदरणीय-
अच्छी चर्चा , बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंमुझे चर्चा मंच पे लाने के लिए और इतना अच्छा मंच सजाने के लिए बहुत धन्यवाद राजीव जी। आभार
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जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट सेतु आप लाये हैं करीने से सजाये हैं ,देखो हमने भी बिठाये हैं। आभार।
दुनिया भर में खोजियां ,उनसा मिलान कोय।
जवाब देंहटाएं--
रोना धोना चुल्लुओं, पाँच साल फिर होय-
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
चौमासे में आसमान में,
जवाब देंहटाएंघिर-घिर बादल आये रे!
श्याम-घटाएँ विरहनिया के,
मन में आग लगाए रे!!
बे हद की सांगीतिक रचना मीठी मीठी रोटी सी ।
sundar मनोहर बिम्ब लिए सुन्दर रचना रूपक भी अभिनव तत्व लिए संजोया है आतंकियों की ओर साफ़ इशारा।
जवाब देंहटाएं"हो गया इन्सान बौना" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
बढ़िया लिंकों के साथ अच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय।
बहुत ही सुन्दर चर्चा ..........आभार
जवाब देंहटाएंआपका हरदिक आभार आ0 राजीव झा जी , सुंदर रचनाओं के साथ आपका चर्चा मंच यूं ही चलता रहे हमारी रचना को भी मान मिला आपका धन्यवाद ।
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