मित्रों सादर अभिवादन।
आज आदरँणीय दिलबाग विर्क जी के यहाँ
वर्षा के कारण विद्युत आपूर्ति सुचारू नहीं है।
गुरूवार के लिए चर्चा का शुभारम्भ कर रहा हूँ।
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कबीरा खडा़ बाज़ार में पर Virendra Kumar Sharma
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कार्टून :- राजनीति में मुंगेरी लाल आयो रे
काजल कुमार के कार्टून
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कार्टून :- राजनीति में मुंगेरी लाल आयो रे
काजल कुमार के कार्टून
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यह नितान्त फोकटिया सेवा है
जिसका लाभ कवि-सम्मेलन के आयोजकों के साथ साथ
कवियों को भी होगा
जिसका लाभ कवि-सम्मेलन के आयोजकों के साथ साथ
कवियों को भी होगा
Albela Khtari -
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व्यस्त जीवन मे हंसने के क्षण निकालना भी आवश्यक है --
कुछ हंसिकाएं !
अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल
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ए ...कभी तो कुछ कहा भी करो
ज़ख्म…जो फूलों ने दिये पर vandana gupta
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शोभना सम्मान - 2013
शोभना सम्मान-2013 की घोषणा करते हुए
हमें अत्यंत हर्ष हो रहा है.
यदि आप हिन्दी में ब्लॉग लेखन करते हैं,
तो आपकी प्रविष्टियाँ आमंत्रित हैं...
सादर ब्लॉगस्ते! पर Shobhana Sanstha
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शबनमी स्पर्श - -
निःशब्द गिरती वो बूंदें,
और दिल की नाज़ुक सतह,
बहोत मुश्किल था, उसे रूह तक तहलील करना,
न पूछे कोई उसकी ख़ामोश लबों की दास्तां,
यूँ उतरती गई दिल की गहराइयों में दम ब दम,
कि हम भूल गए वजूद तक अपना...
अग्निशिखा :पर शांतनु सान्याल
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धुआंधार बारिश,
दिमाग का फ्यूज़ और सुनसान सड़कों पर
चीखती कन्या को प्रणाम
ज़िंदगी के मेले पर बी एस पाबला
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मैं ख़ुद को आज़माना चाहता हूँ...
प्रखर मालवीय `कान्हा’
ख़ला को छू के आना चाहता हूँ
मैं ख़ुद को आज़माना चाहता हूँ
मेरी ख़्वाहिश तुझे पाना नहीं है
ज़रा सा हक़ जताना चाहता हूँ ...
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal
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ये लड़कियां ऐसा क्यों करती हैं -
लघु कथा
भारतीय नारी पर shikha kaushik
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फतवा-वालों की चाकरी ,
कजरारे-केजरी
मुस्लिम वोटों की नाव पर टिकी हुयी है फर्जी नेताओं कि राजनीति,
वरना कब कि डूब चुकी होती इनकी नैय्या।
फतवा जारी करने वाले मौलवियों कि शरण में हैं केजरीवाल।
समर्थन मांगने के लिए ढंग के लोग नहीं मिलते
इन वोट के लालचियों को...
ZEAL
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कर पहचान असत्य और सत्य की
देखा
झांक कर
मन के
आईने में
नही
पहचान
पाया
खुद को..
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
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"आओ चलें गाँव की ओर"
कीचड़ में अरविन्द, कहाँ शीला-अर सीला-
अरसीला अरविन्द *अर, अथ शीला सरकार |
दृष्टि-बुरी जब कमल पर, होगा बंटाधार |
होगा बंटाधार, खेल फिर झारखण्ड सा |
जन त्रिशंकु आदेश, खेल खेलेगा पैसा...
खीरा-ककड़ी सा चखें, हम गोली बारूद |
पचा नहीं पटना सका, पर अपने अमरूद |
पर अपने अमरूद, जतन से पेड़ लगाये |
लिया पाक से बीज, खाद ढाका से लाये...
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
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"हमने छन्दों को अपनाया"
वक्त बेरहम निकलापत्थर तोड़ते वक्त उम्मीद टाँकते रहे मासूम हथेलियो पर कई कई छाला निकला
वनिताओं तुम सुनो कहानीआँखों में भर-भर अश्रु धार कथा -व्यथा आरम्भ हो रहीहै धधक रही ज्वाला अपर
चलपड़ा यक्ष अब चित्रकूट कोअपना निर्वासित जीवन जीनेबाध्य यक्षिणी आज हो गईविरह - व्यथा का विष पीने...
सरोकार पर अरुण चन्द्र रॉय
ॐ ..प्रीतम साक्षात्कार ..ॐ पर सरिता भाटिया
Sudhinama पर sadhana vaid
मेरा काव्य-पिटारा पर
हमसफ़र शब्द पर संध्या आर्य
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विशालाक्ष (3 )
विशालाक्षा
मधु "मुस्कान"
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जब कोई मरता है
मैं चाहता हूँ खा लूं भर पेट भात
डरता हूँ मैं मरने से जब कोई मरता है
मैं चाहता हूँ उतार कर फेंक दूं
अपने सारे कपडे नंगा हो जाऊं
डरता हूँ मैं भार से ...
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मैंने कविताओं का शिकार करना ठीक समझा
विश्व कविता के अपने पसंदीदा अनुवादों के क्रम को
अग्रसर करते हुए आज प्रस्तुत हैं
ईथोपिया के युवा कवि ब्यूक्तू सेयुम की दो कवितायें...
कर्मनाशा पर siddheshwar singh
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हनुमान मंदिर चलिया भाग 2.
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कोई आस-पास है...
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कल्पना
मेरी कल्पना कल्पना ही रही शायद,
हकीकत न उसको कभी बना सका मैं;
चाहा तो बहुत इस दिल ने मगर,
कल्पना को अपने न अपना सका मैं...
ई. प्रदीप कुमार साहनी
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आजके लिए बस...!
व्यस्त जीवन मे हंसने के क्षण निकालना भी आवश्यक है --
कुछ हंसिकाएं !
मीटिंग खत्म हुई तो बॉस पी ए से बोला, आज तो बहुत देर हो गई ! अब घर जाकर भी काम संभालना पड़ेगा ! पी ए बोली , सर उसकी चिन्ता नहीं है , खाना बनाने का काम आजकल हमारे पतिदेव कर रहे हैं! बॉस बोला डियर तुम्हारी नहीं, हम तो अपनी ....
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ए ...कभी तो कुछ कहा भी करो
ज़ख्म…जो फूलों ने दिये पर vandana gupta
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शोभना सम्मान - 2013
शोभना सम्मान-2013 की घोषणा करते हुए
हमें अत्यंत हर्ष हो रहा है.
यदि आप हिन्दी में ब्लॉग लेखन करते हैं,
तो आपकी प्रविष्टियाँ आमंत्रित हैं...
सादर ब्लॉगस्ते! पर Shobhana Sanstha
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शबनमी स्पर्श - -
निःशब्द गिरती वो बूंदें,
और दिल की नाज़ुक सतह,
बहोत मुश्किल था, उसे रूह तक तहलील करना,
न पूछे कोई उसकी ख़ामोश लबों की दास्तां,
यूँ उतरती गई दिल की गहराइयों में दम ब दम,
कि हम भूल गए वजूद तक अपना...
अग्निशिखा :पर शांतनु सान्याल
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धुआंधार बारिश,
दिमाग का फ्यूज़ और सुनसान सड़कों पर
चीखती कन्या को प्रणाम
ज़िंदगी के मेले पर बी एस पाबला
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मैं ख़ुद को आज़माना चाहता हूँ...
प्रखर मालवीय `कान्हा’
ख़ला को छू के आना चाहता हूँ
मैं ख़ुद को आज़माना चाहता हूँ
मेरी ख़्वाहिश तुझे पाना नहीं है
ज़रा सा हक़ जताना चाहता हूँ ...
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal
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ये लड़कियां ऐसा क्यों करती हैं -
लघु कथा
भारतीय नारी पर shikha kaushik
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फतवा-वालों की चाकरी ,
कजरारे-केजरी
मुस्लिम वोटों की नाव पर टिकी हुयी है फर्जी नेताओं कि राजनीति,
वरना कब कि डूब चुकी होती इनकी नैय्या।
फतवा जारी करने वाले मौलवियों कि शरण में हैं केजरीवाल।
समर्थन मांगने के लिए ढंग के लोग नहीं मिलते
इन वोट के लालचियों को...
ZEAL
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कर पहचान असत्य और सत्य की
देखा
झांक कर
मन के
आईने में
नही
पहचान
पाया
खुद को..
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
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"आओ चलें गाँव की ओर"
काव्य संग्रह "धरा के रंग" से
एक गीत
"आओ चलें गाँव की ओर"
"आओ चलें गाँव की ओर"
छोड़ नगर का मोह,
आओ चलें गाँव की ओर!
मन से त्यागें ऊहापोह,
आओ चलें गाँव की ओर!
ताल-तलैय्या, नदिया-नाले,
गाय चराये बनकर ग्वाले,
जगायें अपनापन व्यामोह,
आओ चलें गाँव की ओर...
आज फिर तुम्हारी बेरूख़ी ने मुझे यूँ रुला दिया|
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
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) कम्युनल नेहरू कहें, जब निजाम-संताप |
रिश्ते में लगने लगे, लौह-पुरुष तब बाप...
--कीचड़ में अरविन्द, कहाँ शीला-अर सीला-
अरसीला अरविन्द *अर, अथ शीला सरकार |
दृष्टि-बुरी जब कमल पर, होगा बंटाधार |
होगा बंटाधार, खेल फिर झारखण्ड सा |
जन त्रिशंकु आदेश, खेल खेलेगा पैसा...
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बढ़े हिन्द की शान, बधाई श्री हरिकोटा -खीरा-ककड़ी सा चखें, हम गोली बारूद |
पचा नहीं पटना सका, पर अपने अमरूद |
पर अपने अमरूद, जतन से पेड़ लगाये |
लिया पाक से बीज, खाद ढाका से लाये...
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
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"हमने छन्दों को अपनाया"
गीत-ग़ज़ल, दोहा-चौपाई,
गूँथ-गूँथ कर हार सजाया।
गूँथ-गूँथ कर हार सजाया।
नवयुग का व्यामोह छोड़कर ,
हमने छन्दों को अपनाया।
कल्पनाओं में डूबे जब भी,
सुख से नहीं सोए रातों को।
कम्प्यूटर पर अंकित करके,
साझा किया सभी बातों को।।...
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आँखों से आंसू बहे, जाँय किनारे सूज |
उतरे लाली लाल के, दृष्टि होय फिर फ्यूज |
उतरे लाली लाल के, दृष्टि होय फिर फ्यूज |
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India's space ambition made a giant leap
Mars spacecraft successfully placed in orbit around earth3.25 pm:The satellite has been placed on the elliptical orbit
of Earth.
Mars spacecraft successfully placed in orbit around earth3.25 pm:The satellite has been placed on the elliptical orbit
of Earth.
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भारत अंतरिक्ष में अब नई ऊंचाईयों को छुएगा
अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में भारत ने आज इतिहास रच दिया है
अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में भारत ने आज इतिहास रच दिया है
हिंदुस्तान का मंगलयान लाल ग्रह के लिए उड़ान भर चुका है।
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वो जब भी मिलता है
बस ये पूछ लेता है
कैसा चल रहा है
वैसा ही है या कहीं कुछ बदल रहा है
हर बार मेरा उत्तर होता है
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हल्की ठिठुरन शाम की गंध
और एक प्याली चाय की तलब
चलो आज तुम ही बना लो एक प्याली चाय
मैं तुम्हारी पीठ से सट,
आंखें मूंद महसूस करूंगी ...
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और मुहब्बत क्या करेगीअपना ही दम घोंट लेगी
मैं नहीं हूँ, तुम नहीं हो किस तरह मूरत बनेगी..
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लो क सं घ र्ष ! पर Randhir Singh Suman
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चिराग जलाये रखा मद्धम आंच पर भूख पकते रहे उम्मीद में वक्त बेरहम निकलापत्थर तोड़ते वक्त उम्मीद टाँकते रहे मासूम हथेलियो पर कई कई छाला निकला
वनिताओं तुम सुनो कहानीआँखों में भर-भर अश्रु धार कथा -व्यथा आरम्भ हो रहीहै धधक रही ज्वाला अपर
चलपड़ा यक्ष अब चित्रकूट कोअपना निर्वासित जीवन जीनेबाध्य यक्षिणी आज हो गईविरह - व्यथा का विष पीने...
सरोकार पर अरुण चन्द्र रॉय
ॐ ..प्रीतम साक्षात्कार ..ॐ पर सरिता भाटिया
Sudhinama पर sadhana vaid
मेरा काव्य-पिटारा पर
हमसफ़र शब्द पर संध्या आर्य
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विशालाक्ष (3 )
विशालाक्षा
मधु "मुस्कान"
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जब कोई मरता है
मैं चाहता हूँ खा लूं भर पेट भात
डरता हूँ मैं मरने से जब कोई मरता है
मैं चाहता हूँ उतार कर फेंक दूं
अपने सारे कपडे नंगा हो जाऊं
डरता हूँ मैं भार से ...
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मैंने कविताओं का शिकार करना ठीक समझा
विश्व कविता के अपने पसंदीदा अनुवादों के क्रम को
अग्रसर करते हुए आज प्रस्तुत हैं
ईथोपिया के युवा कवि ब्यूक्तू सेयुम की दो कवितायें...
कर्मनाशा पर siddheshwar singh
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हनुमान मंदिर चलिया भाग 2.
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कोई आस-पास है...
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कल्पना
मेरी कल्पना कल्पना ही रही शायद,
हकीकत न उसको कभी बना सका मैं;
चाहा तो बहुत इस दिल ने मगर,
कल्पना को अपने न अपना सका मैं...
ई. प्रदीप कुमार साहनी
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आजके लिए बस...!
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार चर्चा मंच-
सुंदर चर्चा ! आ. शास्त्री जी. मनभावन लिंक्स.
जवाब देंहटाएंसुन्दर एवं बेहतरीन कड़ियों से सजी चर्चा मंच की प्रस्तुतियाँ।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : एशेज की कहानी
भारतीय क्रिकेट टीम के प्रथम टेस्ट कप्तान - कर्नल सी. के. नायडू
बहुत सुंदर सजी है आज की चर्चा !उल्लूक का "तुझे पता है ना तेरे घर में क्या चल रहा है !" को शामिल करने के लिये आभार !
जवाब देंहटाएंsundar links se saji charcha
जवाब देंहटाएंachchhe links .meri post ko yahan sthan pradan karne hetu aabhar
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक मिले . बढ़िया सुन्दर चर्चा आभार
जवाब देंहटाएंsundar prastuti .badhai
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा | कई उम्दा लिंक्स | मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंएक त्रुटि की ओर ध्यान दिलाना चाहूँगा | चर्चा के अंतिम भाग में कुछ लिंक्स और उसके ब्लॉग के नाम इधर-उधर हो गए हैं |
(सरोकार पर अरुण चन्द्र रॉय
ॐ ..प्रीतम साक्षात्कार ..ॐ पर सरिता भाटिया
Sudhinama पर sadhana vaid
मेरा काव्य-पिटारा पर )
हमसफ़र शब्द पर संध्या आर्य -इस ब्लॉग की चर्चा के साथ 4 और ब्लॉग के नाम (ऊपर) जुड़ गए हैं | उन ब्लोग्स का लिंक एक एक करके नीचे दिया गया है |
बहुत बढ़िया सूत्रों से सजा चर्चामंच है शास्त्री जी ! मेरी रचना को आपने सम्मिलित किया आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवँ आभार !
जवाब देंहटाएंPl read this link .It is shukdev prasad ,the science communicator .
जवाब देंहटाएंhttp://epaper.jagran.com/ePaperArticle/07-nov-2013-edition-LUCKNOW-page_10-1585-11774-11.html
शुक्रिया शास्त्री जी इस अतिरिक्त स्नेह का हमारे सेतु लगाने का। उत्कृष्ट संयोजन और सेतु चयन किया है आपने। रविकर जी का विशेष शुक्रिया जिनकी प्रतिभा काव्यात्मक विज्ञान रच रहा है। विज्ञान कुंडली लिख रही है। प्रणाम इस द्वय को।
जवाब देंहटाएंसार्थक सौद्देश्य दोहावली इसे सभी पूरा पढ़के लुत्फ़ उठाएं -
जवाब देंहटाएंजो मन में हो आपके, लिखो उसी पर लेख।
बिना छंद तुकबन्दियाँ, बन जाती आलेख।१।
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मन पंछी उन्मुक्त है, इसकी बात न मान।
जीवन एक यथार्थ है, इसको लेना जान।२।
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रवि की किरणें दे रहीं, जग को जीवन दान।
पाकर धवल प्रकाश को, मिल जाता गुण-ज्ञान।३।
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श्रीकृष्ण ने कर दिया, माँ का ऊँचा भाल।
सेवा करके गाय की, कहलाये गोपाल।४।
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जीवन इक त्यौहार है, जानो इसका सार।
प्यार और मनुहार से, बाँटो कुछ उपहार।५।
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तम हरने के वास्ते, खुद को रहा जलाय।
दीपक काली रात को, आलोकित कर जाय।६।
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अमर शहीदों का कभी, मत करना अपमान।
किया इन्होंने देशहित, अपना तन बलिदान।७।
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बिल्ले रखवाली करें, गूँगे राग सुनाय।
अब तो अपने देश में, अन्धे राह बताय।८।
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सूखे रेगिस्तान में, जल नहीं हासिल होय।
ख्वाबों के संसार में, जीना दूभर होय।९।
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छात्र और शिक्षक जहाँ, करते उलटे काज।
फिर कैसे बन पायेगा, उन्नत देश-समाज।१०।
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गुलदस्ते में अमन के, अमन हो गया गोल।
कौन हमारे चमन में, छिड़क रहा विषघोल।११।
जवाब देंहटाएंयह संतोष ही जीवन का सबसे बड़ा धन है।
इसीलिए तो आज हमारी,
खिलती बगिया है प्रतिपल।
उन सबका आशीष हमारे,
सुख-वैभव का है सम्बल।।
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"हमने छन्दों को अपनाया"
गीत-ग़ज़ल, दोहा-चौपाई,
गूँथ-गूँथ कर हार सजाया।
नवयुग का व्यामोह छोड़कर ,
हमने छन्दों को अपनाया।
कल्पनाओं में डूबे जब भी,
सुख से नहीं सोए रातों को।
कम्प्यूटर पर अंकित करके,
साझा किया सभी बातों को।।...
जलने से बच जाय तो, बन सकती है सास |
जवाब देंहटाएंसास इसी एहसास से, देती साँस तराश |
देती साँस तराश, जलजला घर में आये |
और होय परिहास, जगत में नाक कटाये |
रविकर घर से निकल, चला है कालिख मलने |
लेकिन घर में स्वयं, बहू को देता जलने-
रविकर की कलम दिनानुदिन मोदी की तरह नै ऊंचाइयां छ्हू रही है कुछ करके मानेगी।
खीरा-ककड़ी सा चखें, हम गोली बारूद |
पचा नहीं पटना सका, पर अपने अमरूद |
पर अपने अमरूद, जतन से पेड़ लगाये |
लिया पाक से बीज, खाद ढाका से लाये...
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
लौह-पुरुष तब बाप, आज अडवाणी बोले-
जवाब देंहटाएं) कम्युनल नेहरू कहें, जब निजाम-संताप |
रिश्ते में लगने लगे, लौह-पुरुष तब बाप...
--
कीचड़ में अरविन्द, कहाँ शीला-अर सीला-
अरसीला अरविन्द *अर, अथ शीला सरकार |
दृष्टि-बुरी जब कमल पर, होगा बंटाधार |
होगा बंटाधार, खेल फिर झारखण्ड सा |
जन त्रिशंकु आदेश, खेल खेलेगा पैसा...
रविकर की कुण्डलियाँ
कौन है सेकुलर कौन है कम्युनल, रविकर खोले पोल ,
पटेल बस सरदार था ,बात कहे सब खोल।
बात पते की बोल ,....... दिखावे रोज़ तमाशे
................
स्वगत कथन सी बुदबुदाहट बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएं(बिछुड़ने मिलने का गम ,न होगा एकभी कम )
कौन हो तुम ?
आज फिर तुम्हारी बेरूख़ी ने मुझे यूँ रुला दिया|
एक चाहत जो जगी मिलने की उसे भी मिटा दिया...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
ताल-तलैय्या, नदिया-नाले,
जवाब देंहटाएंगाय चराये बनकर ग्वाले,
गाय "चराएं "बनकर ग्वाले
जगायें अपनापन व्यामोह,
आओ चलें गाँव की ओर!
सुन्दर भाव और बिम्ब।
एक गीत
"आओ चलें गाँव की ओर"
छोड़ नगर का मोह,
आओ चलें गाँव की ओर!
मन से त्यागें ऊहापोह,
आओ चलें गाँव की ओर!
ताल-तलैय्या, नदिया-नाले,
गाय चराये बनकर ग्वाले,
जगायें अपनापन व्यामोह,
आओ चलें गाँव की ओर...
"धरा के रंग"
कल -कलरव निः शब्द हो गये
जवाब देंहटाएंपषाण शिला बन गयी यक्षिणी
रुक गयी आज गति पृथ्वी की
विष वमन कर रही वायु दक्षिणी
पाषाण शीला बन गई यक्षिणी।
.... सुन्दर मनोहर
हिम शिखरों पर ज्वाला भड़की
जवाब देंहटाएंहै लगी आग तन मन उपवन में
विशालाक्ष जल रही आज
व्यारापति के आचल में
आँचल में। …
.... सुन्दर मनोहर
वनिताओं तुम सुनो कहानी
जवाब देंहटाएंआँखों में भर-भर अश्रु धार
कथा -व्यथा आरम्भ हो रही
है धधक रही ज्वाला अपर
(अपार )अति सुन्दर प्रस्तुति।
विशालाक्ष (3 )
जवाब देंहटाएंविशालाक्षा
मधु "मुस्कान"
सुन्दर श्रृंखला चल रही है।
मेरी कल्पना कल्पना ही रही शायद,
जवाब देंहटाएंहकीकत न उसको कभी बना सका मैं;
चाहा तो बहुत इस दिल ने मगर,
कल्पना को अपने न अपना सका मैं |
हाय गिर जाती है पात -गर्भ सी ,
कल्पना पहले प्यार की।
कल्पना
मेरी कल्पना कल्पना ही रही शायद,
हकीकत न उसको कभी बना सका मैं;
चाहा तो बहुत इस दिल ने मगर,
कल्पना को अपने न अपना सका मैं...
ई. प्रदीप कुमार साहनी
बहुत शानदार विस्तृत चर्चा हेतु आपको बहुत- बहुत बधाई आदरणीय शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंआदरणीय रूपचंद्र शास्त्री जी तहे-दिल से शुक्रिया और आभार आपका !सुंदर प्रस्तुति !अच्छे लिंक्स मिले विलंब के लिए माफी चाहूंगी !
जवाब देंहटाएं