"सभी मित्रों और पाठकों को धनतेरस और दिवाली हार्दिक शुभकामनायें "
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प्रीति स्नेह
ना तुम्हे वक़्त होगा
ना हमें फुर्सत
जिन्दगानियां यूँ तो बसर होंगी
पर खालीपन से तरसेंगी
बिजली वहां भी कौन्धेगी
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श्याम श्याम कोरी 'उदय'
हुजूर …
एक बार क़ुबूल तो करें
सलाम हमारा
हम
आज अजनबी सही
गैर सही
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(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गाँवों की गलियाँ, चौबारे,
याद बहुत आते हैं।
कच्चे-घर और ठाकुर द्वारे
याद बहुत आते हैं।।
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सन्ध्या तिवारी
रूप लेकर लक्ष्मी का
जन्म लेती बेटियाँ
स्वयं गढ़ती भाग्य अपने
सघर्ष करके बेटिया
अभि
आज से ठीक चार साल पहले की ३१ अक्टूबर की बात है..युहीं घूमते हुए एक ब्लॉग पर जा रुका था..एक कहानी सामने दिखी थी..."ज़िन्दगी बाकी है
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सुषमा आहुति
ढूढती कभी-कभी निगाहें जिसे ढूंढ़ती है,
उसे ही देखना नही चाहती है......!!
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रविकर जी
चालू संयोजन हुआ, थर्ड फ्रंट का शोर |
पॉलिटिक्स को मोड़ने, चले तीसरी ओर |
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अमृता तन्मय
सत्य को सत्यता की सत्ता से भी
उपलक्षित करने के लिए
श्रेष्ठ को श्रेष्ठता की श्रेणी से भी
उपदर्शित करने के लिए
और सुन्दर को सुंदरता की समृद्धि से भी
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आशुतोष शुक्ल
पश्चिमी उ०प्र० में एक बार फिर से खेतों में काम करने और अपने कामों को पूरा कर घर लौट रहे लोगों पर जिस तरह से घात लगाकर हमला किये जाने की घटनाओं में अचानक से ही वृद्धि देखी जा रही है वह सरकार और राजनैतिक दलों के उन दावों की पूरी तरह से पोल ही खोलती नज़र आती है जिसमें उनके पूरे इलाके में शांति लौटने की लम्बी चौड़ी बातें की जा रही हैं.
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सदा
दिये के संग
रौशन मुँडेर है
आई दिवाली !
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लक्ष्मी माँ करें कृपा तब मिट जाती बदहाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
संग साथ में रहें सभी सजाएँ पूजा की थाली
मन से मन के दीप जलें तब होती है दीवाली
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फिरदौस खान
अमृता प्रीतम ने ज़िंदगी के विभिन्न रंगों को अपने शब्दों में पिरोकर रचनाओं के रूप में दुनिया के सामने रखा. पंजाब के गुजरांवाला में 31 अगस्त, 1919 में जन्मी अमृता प्रीतम पंजाबी की लोकप्रिय लेखिका थीं. उन्हें पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है. उन्होंने क़रीब एक सौ किताबें लिखीं,
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दिल में हो प्यार ,
जवाब देंहटाएंतो
ना तुम, ना हम
प्रीति स्नेह
रहे सलामत .
ले मोदी को रोक, जमा हैं सोलह *गालू |
जवाब देंहटाएंबने सीट कुछ जीत, किंग मेकर ये चालू ||
*गाल बजाने वाले
चाहे बजा लो गाल ,चाहे भई खालो आलू
ले मोदी को रोक, जमा हैं सोलह *गालू
रविकर जी
चालू संयोजन हुआ, थर्ड फ्रंट का शोर |
पॉलिटिक्स को मोड़ने, चले तीसरी ओर |
खादी की ललक
जवाब देंहटाएंश्यामल अलक
कुर्सी की झलक
किसे अच्छी नहीं लगती
भले हो मति मंद -
--विरासत में मिली गद्दी
किसे अच्छी नहीं लगती ,
बहुत खूब शास्त्री जी ।
असली हो या नकल ,
ब्लॉग पे मिली टिप्पी
किसे अच्छी नहीं लगती।
सोने की चमक
चांदी की दमक
सिक्कों की खनक
किसे अच्छी नहीं लगती...
उच्चारण
--
शुक्रिया शास्त्री जी रविकर जी ,आपकी पीठ थप -थपाई का,
जवाब देंहटाएंहौसला अफ़ज़ाई का ,चर्चा मंच बिठाई का।
आँख के अंधे नाम नैन सुख
सावन के अंधे को हरा ही हरा दीखे है।
कबीर की पंक्ति के आशय से इस पाखंड पर कुछ दोहे देखिये -
दिन में माला जपत हैं ,रात हनत हैं गाय ,
सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय।
दिन में चारा खात हैं ,रात में कोयला खाएं ,
सेकुलर खोजन मैं गया सेकुलर मिला न हाय...
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग :
http://shalinikaushik2.blogspot.com/
बिहार आतंकवादी हमला :फायदा एकमात्र भाजपा को .
बिहार आतंकवादी हमला :फायदा एकमात्र भाजपा को .
रहना है तो रह भरोसे अपने ,
जवाब देंहटाएंया उस टेढ़ी टांग वाले कृष्ण कन्हाई के -
न कुछ तेरा न कुछ मेरा ,चिड़िया रैन बसेरा ,
बेटा बेटी बंधू सखा ,सुन कोई न तेरा ,
सिर्फ प्रभु नाम तेरा .
बहुत बढ़िया सर।
हम-तुम अकेले
कालीपद "प्रसाद"
आया है हर कोई अकेला
जाना भी है हर को अकेला
किस बात का दुःख है तुम्हे
प्रिये ! जरा सोचकर बताना |
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देखो मत आस्था से जाओ वरना सब बे -तरतीब ही है। भक्ति की।
जवाब देंहटाएंहनुमान मंदिर चलिया भाग 1.
ॐ ..प्रीतम साक्षात्कार ..ॐ पर सरिता भाटिया
हाइकू सहित दिवाली मुबारक सुन्दर भाव सम्प्रेषण।
जवाब देंहटाएंदीप पर्व ये !!!!
सदा
दिये के संग
रौशन मुँडेर है
आई दिवाली !
सत्य को सत्यता की सत्ता से भी
जवाब देंहटाएंउपलक्षित करने के लिए
श्रेष्ठ को श्रेष्ठता की श्रेणी से भी
उपदर्शित करने के लिए
और सुन्दर को सुंदरता की समृद्धि से भी
उपपादित करने के लिए
विभिन्न रूपों और विभिन्न स्तरों पर
शब्दों एवं अर्थों के सहभावों व समभावों की
अभिनव अभिव्यक्ति अनवरत होते रहना चाहिए
और चिर प्रतिद्वंद्वी अन्धकार मिटता रहे
इसलिए कवित्व-दीप सतत जलते रहना चाहिए....
कवित्व-दीप ....
अमृता तन्मय
सत्य को सत्यता की सत्ता से भी
उपलक्षित करने के लिए
श्रेष्ठ को श्रेष्ठता की श्रेणी से भी
उपदर्शित करने के लिए
और सुन्दर को सुंदरता की समृद्धि से भी
सशक्त भाव सम्प्रेषण उजला पक्ष आया सामने जीवन का। रुक मत लिखता जा।
जवाब देंहटाएंदिवाली मुबारक
कवित्व-दीप ....
अमृता तन्मय
सत्य को सत्यता की सत्ता से भी
उपलक्षित करने के लिए
श्रेष्ठ को श्रेष्ठता की श्रेणी से भी
उपदर्शित करने के लिए
और सुन्दर को सुंदरता की समृद्धि से भी
चूल्हा-चक्की, रोटी-मक्की,
जवाब देंहटाएंकब का नाता तोड़ चुके हैं।
मटकी में का ठण्डा पानी,
सब ही पीना छोड़ चुके हैं।
नदिया-नाले, संगी-ग्वाले,
याद बहुत आते हैं।।
घूँघट में से नयी बहू का,
पुलकित हो शरमाना।
सास-ससुर को खाना खाने,
को आवाज लगाना।
हँसी-ठिठोली, फागुन-होली,
याद बहुत आते हैं।।
सुन्दर अप्रतिम श्रृंगार किए है पूरी रचना भाव और शैली का।
परम्परा हो गईं बाँझ सब
पर बचपन के सांझ सकारे ,
गलियाँ सब चौबारे , याद बहुत आते हैं।
"याद बहुत आते हैं"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गाँवों की गलियाँ, चौबारे,
याद बहुत आते हैं।
कच्चे-घर और ठाकुर द्वारे
याद बहुत आते हैं।।
atisundar ...
जवाब देंहटाएंसुप्रभात...।
जवाब देंहटाएंआरोग्यदेव धन्वन्तरी महाराज की जयन्ती
धनतेरस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
--
चर्चा को व्यवस्थित रूप से लगाने के लिए आपका आभार।
ना तुम ना हम-
जवाब देंहटाएंसमय निकालो आप कुछ, बाँटो कुछ उपहार।
अपने जीवन में करो, आशा का संचार।।
काबिले तारीफ-
जवाब देंहटाएं--
रूप पुजारी मत बनों, सच्चा करलो प्यार।
तन-मन सब है आपका, हम दिल बैठे हार।।
हमारी बेटियाँ-
जवाब देंहटाएं--
बिटिया की महिमा अनन्त है।
बिटिया से घर में बसन्त है।।
मैंने परी को देखा है-
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
"भाई एक लहर बन आया, बहन नदी की धारा है,
संगम है, गँगा उमड़ी है, डूबा कूल-किनारा है,
यह उन्माद, बहन को अपना भाई एक सहारा है,
यह अलमस्ती, एक बहन ही भाई का ध्रुवतारा है,"
सुन्दर चर्चा-
जवाब देंहटाएंधन-तेरस की शुभकामनायें
कुछ बिखरी पंखुड़ियाँ-
जवाब देंहटाएं--
इस जीवन के पल-घड़ी, सब हैं उनके नाम।
जन्म-जिन्दगी का यही, सुन्दर है आयाम।।
ले मोदी को रोक-
जवाब देंहटाएं--
भारत में अब जल रहा, मोदी का ही मोद।
जन-गणँ-मन की तो इन्हें, मिली हुई अब गोद।।
कवित्व दीप-
जवाब देंहटाएं--
दीप जलाओ प्रेम के, भरो नेह का तेल।
अपने भारत में रहे, जन-गण-मन में मेल।।
दीप पर्व ये-
जवाब देंहटाएं--
लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
सप्रेम भेंट-
जवाब देंहटाएं--
झिलमिल-झिलमिल जब जलें, दीपक एक कतार।
तब बिजली की झालरें, लगती हैं बेकार।
बहुत सुंदर दीपमयी चर्चा !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा ! सभी पाठकों को धनतेरस व दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंधन तेरस -धन्वन्तरी जयंती की शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा...
मेरी नयी पोस्ट है धरा मानव से कह रही है
रोचक व पठनीय सूत्रों से सजी चर्चा..
जवाब देंहटाएंसबसे पहले आप सभी को धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंसभी लिंक बहुत अच्छे हैं...
कुछ चीज़ें बीते दिनों की याद दिला देती हैं...
गाँवों की गलियाँ, चौबारे,
याद बहुत आते हैं।
कच्चे-घर और ठाकुर द्वारे
याद बहुत आते हैं।।
बहुत सुंदर...
बहुत सुन्दर लिंक्स के साथ जगमगाती चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधनतेरस की शुभकामनायें!
सुन्दर कड़ियों से सजी चर्चा।।
जवाब देंहटाएंधनतेरस और दीपावली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ।।
नई कड़ियाँ : भारतीय क्रिकेट टीम के प्रथम टेस्ट कप्तान - कर्नल सी. के. नायडू
भारत के महान वैज्ञानिक : डॉ. होमी जहाँगीर भाभा
bahut - bahut dhanyvaad Rajendra ji mera ye blog betiyon ko samarpit hai..........
जवाब देंहटाएंधनतेरस और दीपावली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ।।
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक सुंदर सूत्र ,,,
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ।।
RECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
सुंदर चर्चा ! राजेंद्र जी.
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंशालिनी जी ऐसा लगता है नितीश कुमार जी को अपने छवि की चिंता उतनी नहीं है जितनी आपको है। अगर उन्हें होती तो मोदी की रैली की सुरक्षा करते आतंकी पटना स्टेशन से विस्फोट की शुरुआत करते करते रैली स्थल तक न आ धमकते। और नितीश ये न गिनते मोदी ने रैली के दौरान कितनी बार पसीना पौंछा।
जवाब देंहटाएंअलावा इसके एक भी बार उन्होंने आतंकियों को पकड़ने की दहाड़ नहीं लगाईं। अब तो कई ऊँगली उनकी तरफ भी उठने लगी हैं।
आप के लिए इतना ही -इंसानियत का भी एक धर्म होता है एक तर्क इंसानियत का भी होता है उसे केंद्र में रखके वकालत करो। सफलता आपके कदम चूमेगी। तर्क को खूंटे पे टाँगके वकालत मत करो कोंग्रेस की और उसके सेकुलर हिमायतियों की।
एक और प्रतिक्रिया ब्लॉग :
आँख के अंधे नाम नैन सुख सावन के अंधे को हरा ही हरा दीखे है।
मान्यवर के बी रस्तोगी साहब। जहां तर्क की गुंजाइश नहीं रहती वहाँ कुतर्क काम करता है। सभी कांग्रेसियों की मुद्रा आपको यकसां
मिलेगी -ये किस खेत की मूली हैं।
ये सारे सेकुलरिस्ट हैं। कबीर ने अपने वक्त में पाखंडियों और ढोंग करने वालों पर जमकर प्रहार किया था। आज की भारत की
राजनीति में सबसे बड़ा पाखंड है सेकुलरिजम। नीतिश कुमार भी इसी का झंडा उठाये हैं शालिनी जी भी।तर्क का इनके लिए कोई
मतलब नहीं है।
कबीर की पंक्ति के आशय से इस पाखंड पर कुछ दोहे देखिये -
दिन में माला जपत हैं ,रात हनत हैं गाय ,
सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय।
बहुत सुन्दर चर्चा | शुभकामनायें | धनतेरस और दीपावली की सभी जन को हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंआपको एवं सभी को दीपावली की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं में मेरी पंक्तियों को भी स्थान देने के लिए आभार.