आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
आज प्रथम प्रधानमंत्री का जन्म दिन है यानि कि बाल दिवस । वैसे इन दिनों नेहरू - पटेल का मुद्दा जोर-शोर से उछला हुआ है । ऐसा होता तो ऐसा होता - इस मंथन से कौन-सा अमृत निकलेगा समझ नहीं आता । हाँ राजनैतिक रोटियाँ जरूर सिकेंगी ।
चलते हैं चर्चा की ओर
आज की चर्चा में इतना ही
धन्यवाद
आगे देखिए..
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"मयंक का कोना"
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मोटा भाई छा रहा, बल चाचा के पेट-
Posted by रविकर
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लोकतन्त्र स्तम्भ
हकीकत में,भारत में सांसद से बड़ा कोई नहीं...
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर कालीपद प्रसाद
--
बस एक उसका साथ
ख़ुशी मिले या गम मिले,
मुश्किल चाहे हरदम मिले,
हर राह में मुझको मिल जाये,
बस एक उसका साथ |
जीवन पथ पर सिर्फ कांटें हों,
चाहे चहुँ और सन्नाटे हों,
सिर्फ एक फूल बस मिल जाये,
बस एक उसका साथ...
मेरा काव्य-पिटारा पर ई. प्रदीप कुमार साहनी
--
विनती !
हिम्मत करें
कहें कूड़ा है
जो लिखा है...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
--
एक गीत -
धरती की उलझन सुलझाओ -
तब साथी मंगल पर जाओ
छान्दसिक अनुगायनपरजयकृष्ण राय तुषार
--
वो दस दिन जब दुनिया हिल उठी
वो मौसम रूस के लिये सदी का सबसे सर्द मौसम था।
जर्मनी से हर मोर्चे पर लगातार मिल रही हार,
बिना बिजली, खाने और बग़ैर छत के लोग
सिर्फ मरने के लिये जी रहे थे,
और अंत में मर रहे थे...
शब्दों के माध्यम से पर शेखर मल्लिक
--
तुम्हारी हार के पीछे
निर्मला सिहं गौर की कविता
जहाँ पर आचरण, विश्वास और ईमान बिकते हों
सयाने भी जहाँ सच बात कहने में झिझकते हों
जहाँ पर दौड़ हो ऊंचाई पर जल्दी पहुंचने की
जहाँ सिद्दांतवादी लोग पैरों में कुचलते हों
तुम्हारी हार के पीछे वजह शायद यही होगी
तुम्हारी दौड़ में गिरते सवारों पर नजर होगी..
सृजन मंच ऑनलाइन पर Nirmala Singh Gau
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गुड डॉक्टर या पोपुलर डॉक्टर.......
ड़ा श्याम गुप्त की लघु कथा...
‘श्री ! यार, कोई अच्छा पीडियाट्रीशियन डाक्टर बताओ |’
फोन पर दीपक को अपने एक मित्र
श्रीनिवास से बात करते हुए सुनकर मैंने पूछा –
‘क्या डाक्टर भी अच्छे –बुरे होते हैं ?
अरे डाक्टर तो डाक्टर होते हैं, मैंने कहा |
तो फिर सब पोपुलर डाक्टर के पास ही
क्यों जाना चाहते हैं....
--
बारहमासी पेय है पानी
पानी बारहमासी तरल है कुदरत का दिया बेहतरीन तोहफा है , पेय है।हमारे शरीर का ७५ फीसद भार जलभार ही है इसीलिए नदी नालों से हमें कुदरती प्यार है। पञ्चभूतों में से एक है जल। हर मौसम में हमें कमसे कम आठ ग्लास पानी पीना ही चाहिए।
(जिन्हें प्रास्टेटिक इंलारजमेंट की शिकायत है वह एक साथ ज्यादा पानी न पियें )
--
बेंगलुरु की सड़कों और पाक के टाक शो में मोदी
कर्नाटक में 100, पाकिस्तान में एक नरेंद्र मोदी
भारतीय जनता पार्टी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की लहर पूरे
देश में चल चुकी है। अमेरिका के थिंक टैंक ने इस बारे में सोचना शुरू
कर दिया है, तो रूस का
नजरिया भारत के लिये बदलने लगा है। चीन सोच में डूबा हुआ है, तो
पाकिस्तान का टेंशन बढ़ता जा रहा है
--
मेरी कुछ बाल कवितायें ...
ज्योति-कलश
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"गद्दार मेरा वतन बेच देंगे"
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आगे देखिए..
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"मयंक का कोना"
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मोटा भाई छा रहा, बल चाचा के पेट-
Posted by रविकर
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लोकतन्त्र स्तम्भ
हकीकत में,भारत में सांसद से बड़ा कोई नहीं...
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर कालीपद प्रसाद
--
बस एक उसका साथ
ख़ुशी मिले या गम मिले,
मुश्किल चाहे हरदम मिले,
हर राह में मुझको मिल जाये,
बस एक उसका साथ |
जीवन पथ पर सिर्फ कांटें हों,
चाहे चहुँ और सन्नाटे हों,
सिर्फ एक फूल बस मिल जाये,
बस एक उसका साथ...
मेरा काव्य-पिटारा पर ई. प्रदीप कुमार साहनी
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विनती !
हिम्मत करें
कहें कूड़ा है
जो लिखा है...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
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एक गीत -
धरती की उलझन सुलझाओ -
तब साथी मंगल पर जाओ
छान्दसिक अनुगायनपरजयकृष्ण राय तुषार
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वो दस दिन जब दुनिया हिल उठी
वो मौसम रूस के लिये सदी का सबसे सर्द मौसम था।
जर्मनी से हर मोर्चे पर लगातार मिल रही हार,
बिना बिजली, खाने और बग़ैर छत के लोग
सिर्फ मरने के लिये जी रहे थे,
और अंत में मर रहे थे...
शब्दों के माध्यम से पर शेखर मल्लिक
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तुम्हारी हार के पीछे
निर्मला सिहं गौर की कविता
जहाँ पर आचरण, विश्वास और ईमान बिकते हों
सयाने भी जहाँ सच बात कहने में झिझकते हों
जहाँ पर दौड़ हो ऊंचाई पर जल्दी पहुंचने की
जहाँ सिद्दांतवादी लोग पैरों में कुचलते हों
तुम्हारी हार के पीछे वजह शायद यही होगी
तुम्हारी दौड़ में गिरते सवारों पर नजर होगी..
सृजन मंच ऑनलाइन पर Nirmala Singh Gau
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गुड डॉक्टर या पोपुलर डॉक्टर.......
ड़ा श्याम गुप्त की लघु कथा...
‘श्री ! यार, कोई अच्छा पीडियाट्रीशियन डाक्टर बताओ |’
फोन पर दीपक को अपने एक मित्र
श्रीनिवास से बात करते हुए सुनकर मैंने पूछा –
‘क्या डाक्टर भी अच्छे –बुरे होते हैं ?
अरे डाक्टर तो डाक्टर होते हैं, मैंने कहा |
तो फिर सब पोपुलर डाक्टर के पास ही
क्यों जाना चाहते हैं....
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बारहमासी पेय है पानी
पानी बारहमासी तरल है कुदरत का दिया बेहतरीन तोहफा है , पेय है।हमारे शरीर का ७५ फीसद भार जलभार ही है इसीलिए नदी नालों से हमें कुदरती प्यार है। पञ्चभूतों में से एक है जल। हर मौसम में हमें कमसे कम आठ ग्लास पानी पीना ही चाहिए।
(जिन्हें प्रास्टेटिक इंलारजमेंट की शिकायत है वह एक साथ ज्यादा पानी न पियें )
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बेंगलुरु की सड़कों और पाक के टाक शो में मोदी
कर्नाटक में 100, पाकिस्तान में एक नरेंद्र मोदी
भारतीय जनता पार्टी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की लहर पूरे
देश में चल चुकी है। अमेरिका के थिंक टैंक ने इस बारे में सोचना शुरू
कर दिया है, तो रूस का
नजरिया भारत के लिये बदलने लगा है। चीन सोच में डूबा हुआ है, तो
पाकिस्तान का टेंशन बढ़ता जा रहा है
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मेरी कुछ बाल कवितायें ...
ज्योति-कलश
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"गद्दार मेरा वतन बेच देंगे"
काव्य संग्रह "सुख का सूरज" से
एक ग़ज़ल
ये गद्दार मेरा वतन बेच देंगे।
ये गुस्साल ऐसे कफन बेच देंगे।
बसेरा है सदियों से शाखों पे जिसकी,
ये वो शाख वाला चमन बेच देंगे।
सदाकत से इनको बिठाया जहाँ पर,
ये वो देश की अंजुमन बेच देंगे।
सुख का सूरज--
कार्टून :- वो भगवान के श्राप से ईमानदार हो गया
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कार्टून:- कमेंट करने से पहले सोचा ?
काजल कुमार के कार्टून
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"आँगन बाड़ी के हैं तारे"
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कार्टून:- कमेंट करने से पहले सोचा ?
काजल कुमार के कार्टून
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"आँगन बाड़ी के हैं तारे"
बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
बालकविता
"आँगन बाड़ी के हैं तारे"
फ़लक उल्फत से धरती को, हमेशा झाँकता रहता
जवाब देंहटाएंमिलन के चाह में वो, रात में भी ताँकता रहता
मगर इन आसमानों को, नहीं मनमीत मिलता है
वो क़ातिब है किताबों में, हुनर को बाँचता रहता
(peep बोले तो ताक -झाँक करना ,ताकना -झांकना )
बढ़िया मुक्तक।
दो मुक्तक
दिलबाग जी हमें स्थान देने के लिए आपका आभार संक्षिप्त लेकिन बढ़िया चरचा उत्तम सेतु चयन।
जवाब देंहटाएंजिंदगी और इम्तिहान न ले
जवाब देंहटाएंजिंदगी और इम्तिहान न ले
कुछ भी ले ले मेरा गुमान न ले
मशविरा है यही फकीरों का
यूं कभी दी हुई ज़बान न ले
राह आसां नहीं है उल्फत की
नन्हे से दिल मे आसमान न ले(नन्हें ,में )
चल खिलोनों से खेलते हैं हम(खिलौनों )
तू अभी हाथ में कृपान न ले (कृपाण )
जो पड़ोसी है मुल्क उसको बता
असलहों से भरी दुकान न ले
खुल के जी खुद भी, सब को दे जीने
अपनी मुट्ठी मे तू जहान न ले (में )
जिन की झोली में बस दुआयें हों
उन फकीरों से उन की आन न ले
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा उ प्र
सुन्दर है गज़ल सार्थक अशआर है सबके सब। बधाई।
"नन्हे से दिल मे आसमान न ले"
बहुत ही सुन्दर लिंक्स |आपका हृदय से आभार
जवाब देंहटाएंकार्टूनों को भी सम्मिलित करने के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्रों से सजाया है आपने चर्चा मंच। शुक्रिया
जवाब देंहटाएंजिंदगी और इम्तिहान न ले
जवाब देंहटाएंजिंदगी और इम्तिहान न ले
कुछ भी ले ले मेरा गुमान न ले
मशविरा है यही फकीरों का
यूं कभी दी हुई ज़बान न ले
राह आसां नहीं है उल्फत की
नन्हे से दिल मे आसमान न ले( ,में )
चल खिलोनों से खेलते हैं हम(खिलौनों )
तू अभी हाथ में कृपान न ले (कृपाण )
जो पड़ोसी है मुल्क उसको बता
असलहों से भरी दुकान न ले
खुल के जी खुद भी, सब को दे जीने
अपनी मुट्ठी मे तू जहान न ले (में )
जिन की झोली में बस दुआयें हों
उन फकीरों से उन की आन न ले
नन्हे ही शुद्ध रूप है। दोस्तों हिंदी ब्लागिंग हमारा अंतरंग परिवार है हम शुद्ध
वर्तनी लिखें लक्ष्य यही रहता है अशुद्धियां कई मरतबा कंप्यूटर शब्दकोश की सीमा भी रहती है। हमारा लिखने का तज़ुर्बा भी। जहां कहीं आपको अशुद्धि मिले कृपया इंगित करें। परस्पर एक दूसरे से ही हैम सीखेंगे।
हम सीखेंगे।
जवाब देंहटाएंसुन्दर है गज़ल सार्थक अशआर है सबके सब। बधाई।
जवाब देंहटाएंमेरा मुझमें नहीं रहा कुछ ,अच्छा बुरा उसी का है
हम जिस सावन के अन्धे हैं,ये उसकी हरियाली है।
(मुझमें )
दीपक - अंदर और बाहर
अच्छे लिंकों के साथ सुन्दर और सधी हुई चर्चा।
जवाब देंहटाएं--
आभार भाई दिलबाग विर्क जी।
--
सुप्रभात... सबको नमस्ते।
मैं ने एक फूल जो सीने में छिपा रख्खा था ,
जवाब देंहटाएंथा जुड़ा सबसे मेरे इश्क का अंदाज़ सुनो मेरी आवाज़ सुनो !
"आँगन बाड़ी के हैं तारे"
बालकृति
सब बच्चों के राजदुलारे ,
नेहरू चाचा प्यारे प्यारे।
हमको करते रोज़ इशारे। सुन्दर स्मृति बाल दिवस की। स्व्प्न द्रष्टा एके जन्मदिवस की।
काजल कुमार के कार्टून मैं मर जाऊँ ,तब भी ऐसे ही लिखेगा। "पसंद है "
जवाब देंहटाएं--
कार्टून:- कमेंट करने से पहले सोचा ?
काजल कुमार के कार्टून
नाक कटवा दी साले ने -
जवाब देंहटाएं--
कार्टून :- वो भगवान के श्राप से ईमानदार हो गया
--
सुन्दर है बहुत धार लिए है तेज़ -
जवाब देंहटाएंजो उस्तादी अहद-ए-कुहन हिन्द का है,
वतन का ये नक्श-ए-कुहन बेच देंगे।
लगा हैं इन्हें रोग दौलत का ऐसा,
बहन-बेटियों के ये तन बेच देंगे।
ये काँटे हैं गोदी में गुल पालते हैं,
लुटेरों को ये गुल-बदन बेच देंगे।
हो इनके अगर वश में वारिस जहाँ का,
ये उसके हुनर और फन बेच देंगे।
जुलम-जोर शायर पे हो गर्चे इनका,
ये उसके भी शेर-औ-सुखन बेच देंगे।
अर्थ की भाव की प्रभाव की।
प्यारा भैया -
जवाब देंहटाएंभैया बहुत सताये मुझको
चोटी खींच रुलाये मुझको
गुड़िया मेरी छीने भागे
पीछे खूब भगाये मुझको
मेरी पुस्तक रंग उसके हैं
खेलें कैसे ढंग उसके हैं
क्या खाना है क्या पहनाऊँ
नये नये हुड़दंग उसके हैं
फिर भी तुमको क्या बतलाऊँ
प्यार उसी पर आये मुझको
सुन्दर रचना है शेष बाल रचनाएं भी उत्कृष्ट कोटि की हैं।
मेरी कुछ बाल कवितायें ...
ज्योति-कलश
सुन्दर सार्थक प्रस्तुति निबंधात्मक लघु कथा।
जवाब देंहटाएं--
गुड डॉक्टर या पोपुलर डॉक्टर.......
ड़ा श्याम गुप्त की लघु कथा...
‘श्री ! यार, कोई अच्छा पीडियाट्रीशियन डाक्टर बताओ |’
फोन पर दीपक को अपने एक मित्र
श्रीनिवास से बात करते हुए सुनकर मैंने पूछा –
‘क्या डाक्टर भी अच्छे –बुरे होते हैं ?
अरे डाक्टर तो डाक्टर होते हैं, मैंने कहा |
तो फिर सब पोपुलर डाक्टर के पास ही
क्यों जाना चाहते हैं....
मोटा भाई छा रहा, बल चाचा के पेट-
जवाब देंहटाएंबेंगलुरु की सड़कों और पाक के टाक शो में मोदी
Virendra Kumar Sharma
आपका ब्लॉग
मोटा भाई छा रहा, बल चाचा के पेट |
होना नहीं शिकार है, बोरा चले समेट |
बोरा चले समेट, विदेशी बैंक छोड़ के |
होना नहिं आखेट, नोट खुद रखूं मोड़ के |
जमा किया है माल, पड़ा यह बोरा छोटा |
डालर में बदलाय, रखूंगा मोटा मोटा ||
क्या बात है रविकर भाई।
क्या बात है तुषार भाई पूरा गीत एक छंद बद्ध बंदिश सा रागात्मक सुन्दर भाव लिए है।
जवाब देंहटाएंजितना भी है ,जैसा भी है ,
सब रस पृथ्वी पर बरसाओ।
एक गीत -तब साथी मंगल पर जाओ
धरती की
उलझन सुलझाओ |
तब साथी
मंगल पर जाओ |
दमघोंटू
शहरों से ऊबे ,
गाँव अँधेरे में
सब डूबे ,
सारंगी लेकर
जोगी सा
रोशनियों के
गीत सुनाओ |
जाति -धरम
रिश्तों के झगड़े ,
पत्थर रोज
बिवाई रगड़े ,
बाजों के
नाखून काटकर
चिड़ियों को
आकाश दिखाओ |
नीली ,लाल
बत्तियां छोड़ो ,
सिंहासन से
जन को जोड़ो ,
गागर में
सागर भरने में
मत अपना
ईमान गिराओ |
मंगल पर
मत करो अमंगल ,
वहां नहीं
यमुना ,गंगाजल ,
विश्व विजय
करने से पहले
खुद को
तुम इन्सान बनाओ |
Posted by जयकृष्ण राय तुषारat 9:28 PM
शुभकामनायें आदरणीय-
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा-
जवाब देंहटाएंहर कष्ट यूँही सह सकता हूँ,
कुछ भी चाहे कर सकता हूँ,
बस वो मिले और मिल जाये,
बस एक उसका साथ |
सुन्दर रचना है दुआ पूरी हो दुआ माँगता हूँ।
बस एक उसका साथ
ख़ुशी मिले या गम मिले,
मुश्किल चाहे हरदम मिले,
हर राह में मुझको मिल जाये,
बस एक उसका साथ |
जीवन पथ पर सिर्फ कांटें हों,
चाहे चहुँ और सन्नाटे हों,
सिर्फ एक फूल बस मिल जाये,
बस एक उसका साथ...
मेरा काव्य-पिटारा पर ई. प्रदीप कुमार साहनी
चर्चा से ज्यादा विरेंद्र जी की तन्मयता से टिप्पणी करने का अंदाज भा जाता है
जवाब देंहटाएंदिलबाग की सुंदर चर्चा पर देखिये ये कितने सारे तारे और चाँद लगा जाता है !
बहुत ही सुंदर चर्चा ...
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ! आ. दिलबाग जी.
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर चर्चा मंच में मुझे शामिल करने का
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार दिलबाग जी !
ठीक ठाक प्रस्तुति व सूत्र , चर्चा मंच को धन्यवाद
जवाब देंहटाएंएक सूत्र आपके लिए --: श्री राम तेरे कितने रूप , लेकिन ?
" जै श्री हरि: "
ढेरों शुभकामनायें ...... !!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रचना को स्थान देने के लिए.......दिलबाग जी
जवाब देंहटाएंविविध विषयों पर सुन्दर लिनक्स ...बहुत शुभ कामनाएँ ...हार्दिक धन्यवाद मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए !
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा, सुंदर
जवाब देंहटाएंमित्रों कुछ व्यस्तता के चलते मैं काफी समय से
ब्लाग पर नहीं आ पाया। अब कोशिश होगी कि
यहां बना रहूं।
आभार
सभी लिंक एक से बढ़कर एक | मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएंसभी लिंक बहुत सुन्दर है |मेरी रचना को स्थान देने का शुक्रिया आभार दिलबाग जी |बहुत दिनों से चर्चा मंच का नियमित पाठक हूँ |सुन्दरता से भरा हुवा ब्लॉग है |
जवाब देंहटाएंवक्त पर उपस्थित नहीं हो पाई इसके लिए क्षमा चाहती हूं...सारे लिंक्स अच्छे हैं..मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक दिए गए हैं......
जवाब देंहटाएं