दद्दा चुप्पै बैठिये, गोल-पोस्ट में खोट |
गोल-पोस्ट में खोट, जाय हिटलर हड़काये |
देंगे भारत-रत्न, गोल्ड पर कितना लाये ?
रविकर अंतर-ध्यान, चन्द बुड्ढे ही बाकी |
उनके कितने वोट, युवा ना देखें हाकी ||
|
जीवन की डगर पर...!
अनुपमा पाठक
|
शीला का दुःख देखिये, शहजादे का क्रोध-
रविकर
|
जिन्दा भारत-रत्न मैं, मैं तो बसूँ विदेश -
रविकर
जिन्दा भारत-रत्न मैं, मैं तो बसूँ विदेश |पता नहीं यह मीडिया, खुलवा दे क्या केस | खुलवा दे क्या केस, करूँगा खुल के मस्ती | नहीं किसी को क्लेश, मटरगस्ती कुछ सस्ती | बना दिया भगवान्, करूं क्यूँकर शर्मिंदा | बनकर मैं इंसान, चाहता रहना जिन्दा || |
गीत........
अरुण कुमार निगम
मृत्यु सुंदरी ब्याह करोगी ?
गीत मेरे सुन वाह करोगी ?
सुख- दु:ख की आपाधापी ने, रात-दिवस है खूब छकाया
जीवन के संग रहा खेलता, प्रणय निवेदन कर ना पाया
क्या जीवन से डाह करोगी ?
|
कलम के कारीगर, शब्दों के बाजीगर की आज मंगलवार 19 नवम्बर 2013 को वैवाहिक सालगिरह है
हिन्दी ब्लॉगर
मंगल मंगल कामना, वैवाहिक-त्यौहार |
हार गले में डालिये, करो हार-स्वीकार |
करो हार-स्वीकार, जिताओ रविकर भाभी |
चले गृहस्थी-कार, भरे नित भाभी चाभी |
स्वस्थ,सुखी परिवार, परस्पर सुदृढ़ सम्बल |
पुत्र पुत्रियां पौत्र, सर्वदा मंगल मंगल ||
|
"मयंक का कोना"
--
मुलाक़ात
बरसों के बाद यूं देखकर मुझे तुमको हैरानी तो बहुत होगी
एक लम्हा ठहरकर तुम सोचने लगोगे ...
जवाब में कुछ लिखते हुए तुम्हारी उँगलियाँ लड़खड़ाएंगी...
कागज मेरा मीत है,
कलम मेरी सहेली
पर
Vandana Singh
--
आँखें
1
तुम्हारे नेत्र
आँसुओं के लिए
दो वर्जित क्षेत्र ।
2
तुम्हारे चक्षु
आशीर्वाद दें
जैसे सात्विक भिक्षु...
सहज साहित्य
--
नियति
जब मन और आत्मा को तृप्त कर देने वाली
उच्च स्वर में गूँजती संगीत की मधुर स्वर लहरियाँ
शनै शनै नेपथ्य में जा धामी होती जाती हैं
और सहसा ही शून्य में विलीन हो जाती हैं
तो कैसा लगता है...
Sudhinama पर sadhana vaid
--
रब जाने अब ये कोबरा पोस्ट क्या गुल खिलायेगा ?
पर एक बात तय है कि
नरेंद्र मोदी दिल्ली आएगा
Albela Khtari
--
जन्मदिन ये मुबारक हो
'' इंदिरा'' की जनता को ,
भारतीय नारी पर Shalini Kaushik
--
यह पोस्ट भारत के तमाम
सरकारी गैर सरकारी स्कूल संस्थाओं
और केंद्रीय तथा प्रादेशिक स्वास्थ्य मंत्रालयों को सम्बोधित है
कबीरा खडा़ बाज़ार में पर Virendra Kumar Sharma
--
आदत [ लघुकथा]
*"हाँ हाँ वही पर. फाइल नीचे वाली तह में है.. अच्छा ठीक है.. बाय..."* *सानिध्या ने फ़ोन बंद किया तो उसका ध्यान अनुपमा के मुस्कुराते हुए चेहरे प टिका. लगभग ठंडी हो चुकी कॉफ़ी का कप उठाकर उसने अनजान बनते हुए पूछा - "इस मुस्कराहट की वज़ह जान सकती हूँ?"....
दिल से .....पर Sneha Gupta
--
धोखेबाज़ केजरीवाल को अन्ना हज़ारे का खत
( पाकिस्तान से चंदा ? )
AAWAZ पर SACCHAI
--
ये तो होना ही था
जो हो रहा है अच्छा हो रहा है
जो आगे होगा वो अच्छा ही होगा
बस तुझे एक बात का ध्यान रखना होगा
बंदर के बारे में कुछ भी
कभी भी नहीं सोचना होगा
बहुत पुरानी कहावत है
मगर बड़े काम की कहावत नजर आती है...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
--
सावधान हो जाइये !
सावधान हो जाइये बगैर आपकी जानकारी के और आपके डिटेल्स कहीं से भी प्राप्त करके कोई भी आपके नाम से बैंक में अकाउंट खोल सकता है। मनचाहा पता और मनचाही जगह पर और फिर उसके आधार पर क्रेडिट कार्ड भी ले सकता है और लाखों की खरीदारी भी कर सकता है। पता तब चलेगा चलेगा जब बैंक के रिकवरी नोटिस आपके पास आएगा। कल मेरे पास एक फ़ोन दिल्ली से आया कि आपकी बेटी प्रज्ञा श्रीवास्तवा के ऊपर स्टेट बैंक का दो लाख सत्तर हजार लोन है और मैं तीस हजारी कोर्ट से रोहित त्यागी बोल रहा हूँ। रिकवेरी के लिए उनका वारंट निकला हुआ है। मैंने डिटेल जानना चाहा तो...
मेरा सरोकार पर रेखा श्रीवास्तव
--
बिहार :
पत्रकारों को चोर बना रहे हैं नीतीश !
बात घर परिवार से शुरू होकर बिहार की पत्रकारिता पर पहुंच गई। पत्रकारिता पर बात शुरू होते ही मित्र की आंखे डबडबा गईं, मैं फक्क पड़ गया। ऐसा क्या है कि मित्र की आँख में आंसू आ गया। मैने पूछा.. हुआ क्या ? इतना गंभीर क्यों हो गए ? भाई जब मित्र ने बोलना शुरू किया तो फिर एक सांस में बिहार की राजनीति को दो सौ गाली दी । कहने लगे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की पत्रकारिता को पूरी तरह दफन कर दिया है। ...
TV स्टेशन ...परमहेन्द्र श्रीवास्तव
--
"खिल रहे फूल अब विषैले हैं"
--
देखिये कैसे बदल रहा है
अमरीकी कृषि विभाग (USDA) का नज़रिया
नौनिहालों की सेहत के प्रति
देखिये कैसे बदल रहा है अमरीकी कृषि विभाग (USDA) का नज़रिया
नौनिहालों की सेहत के प्रति। किस प्रकार के अनुदेश ज़ारी किये गए हैं
सरकारी स्कूल संस्थाओं को नए सत्र २०१३ के लिए । कैसे सम्पूर्ण
स्वास्थ्य को केंद्र में लाते हुए गहरे रंगों के फलों और तरकारियों ,मोटे
अनाजों ,कम चिकनाई कम शक्कर वाले दूध को स्कूल से मिलने वाले
भोजन में जगह दी जा रही है।नमक की मात्रा को सीमित किया जा रहा है। हाइड्रोजनीकृत तेलों (TRANS FAT ,PARTIALLY
HYDROGENATED OILS )से मुक्ति को लाज़िमी किया जा रहा है...
--
श्याम स्मृति---
डा श्याम गुप्त.....
--
मुलाक़ात
बरसों के बाद यूं देखकर मुझे तुमको हैरानी तो बहुत होगी
एक लम्हा ठहरकर तुम सोचने लगोगे ...
जवाब में कुछ लिखते हुए तुम्हारी उँगलियाँ लड़खड़ाएंगी...
कागज मेरा मीत है,
कलम मेरी सहेली
पर
Vandana Singh
--
आँखें
1
तुम्हारे नेत्र
आँसुओं के लिए
दो वर्जित क्षेत्र ।
2
तुम्हारे चक्षु
आशीर्वाद दें
जैसे सात्विक भिक्षु...
सहज साहित्य
--
नियति
जब मन और आत्मा को तृप्त कर देने वाली
उच्च स्वर में गूँजती संगीत की मधुर स्वर लहरियाँ
शनै शनै नेपथ्य में जा धामी होती जाती हैं
और सहसा ही शून्य में विलीन हो जाती हैं
तो कैसा लगता है...
Sudhinama पर sadhana vaid
--
रब जाने अब ये कोबरा पोस्ट क्या गुल खिलायेगा ?
पर एक बात तय है कि
नरेंद्र मोदी दिल्ली आएगा
Albela Khtari
--
जन्मदिन ये मुबारक हो
'' इंदिरा'' की जनता को ,
भारतीय नारी पर Shalini Kaushik
--
यह पोस्ट भारत के तमाम
सरकारी गैर सरकारी स्कूल संस्थाओं
और केंद्रीय तथा प्रादेशिक स्वास्थ्य मंत्रालयों को सम्बोधित है
कबीरा खडा़ बाज़ार में पर Virendra Kumar Sharma
--
आदत [ लघुकथा]
*"हाँ हाँ वही पर. फाइल नीचे वाली तह में है.. अच्छा ठीक है.. बाय..."* *सानिध्या ने फ़ोन बंद किया तो उसका ध्यान अनुपमा के मुस्कुराते हुए चेहरे प टिका. लगभग ठंडी हो चुकी कॉफ़ी का कप उठाकर उसने अनजान बनते हुए पूछा - "इस मुस्कराहट की वज़ह जान सकती हूँ?"....
दिल से .....पर Sneha Gupta
--
धोखेबाज़ केजरीवाल को अन्ना हज़ारे का खत
( पाकिस्तान से चंदा ? )
AAWAZ पर SACCHAI
--
ये तो होना ही था
जो हो रहा है अच्छा हो रहा है
जो आगे होगा वो अच्छा ही होगा
बस तुझे एक बात का ध्यान रखना होगा
बंदर के बारे में कुछ भी
कभी भी नहीं सोचना होगा
बहुत पुरानी कहावत है
मगर बड़े काम की कहावत नजर आती है...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
--
सावधान हो जाइये !
सावधान हो जाइये बगैर आपकी जानकारी के और आपके डिटेल्स कहीं से भी प्राप्त करके कोई भी आपके नाम से बैंक में अकाउंट खोल सकता है। मनचाहा पता और मनचाही जगह पर और फिर उसके आधार पर क्रेडिट कार्ड भी ले सकता है और लाखों की खरीदारी भी कर सकता है। पता तब चलेगा चलेगा जब बैंक के रिकवरी नोटिस आपके पास आएगा। कल मेरे पास एक फ़ोन दिल्ली से आया कि आपकी बेटी प्रज्ञा श्रीवास्तवा के ऊपर स्टेट बैंक का दो लाख सत्तर हजार लोन है और मैं तीस हजारी कोर्ट से रोहित त्यागी बोल रहा हूँ। रिकवेरी के लिए उनका वारंट निकला हुआ है। मैंने डिटेल जानना चाहा तो...
मेरा सरोकार पर रेखा श्रीवास्तव
--
बिहार :
पत्रकारों को चोर बना रहे हैं नीतीश !
बात घर परिवार से शुरू होकर बिहार की पत्रकारिता पर पहुंच गई। पत्रकारिता पर बात शुरू होते ही मित्र की आंखे डबडबा गईं, मैं फक्क पड़ गया। ऐसा क्या है कि मित्र की आँख में आंसू आ गया। मैने पूछा.. हुआ क्या ? इतना गंभीर क्यों हो गए ? भाई जब मित्र ने बोलना शुरू किया तो फिर एक सांस में बिहार की राजनीति को दो सौ गाली दी । कहने लगे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की पत्रकारिता को पूरी तरह दफन कर दिया है। ...
TV स्टेशन ...परमहेन्द्र श्रीवास्तव
--
"खिल रहे फूल अब विषैले हैं"
ज़िन्दग़ी में बड़े झमेले हैं
घर हमारे बने तबेले हैं
घर हमारे बने तबेले हैं
चापलूसी के खाद-पानी से
खिल रहे फूल अब विषैले हैं
“रूप” धारण किया है केले का
पर हक़ीक़त में वो करेले हैं
उच्चारण--
देखिये कैसे बदल रहा है
अमरीकी कृषि विभाग (USDA) का नज़रिया
नौनिहालों की सेहत के प्रति
देखिये कैसे बदल रहा है अमरीकी कृषि विभाग (USDA) का नज़रिया
नौनिहालों की सेहत के प्रति। किस प्रकार के अनुदेश ज़ारी किये गए हैं
सरकारी स्कूल संस्थाओं को नए सत्र २०१३ के लिए । कैसे सम्पूर्ण
स्वास्थ्य को केंद्र में लाते हुए गहरे रंगों के फलों और तरकारियों ,मोटे
अनाजों ,कम चिकनाई कम शक्कर वाले दूध को स्कूल से मिलने वाले
भोजन में जगह दी जा रही है।नमक की मात्रा को सीमित किया जा रहा है। हाइड्रोजनीकृत तेलों (TRANS FAT ,PARTIALLY
HYDROGENATED OILS )से मुक्ति को लाज़िमी किया जा रहा है...
--
श्याम स्मृति---
डा श्याम गुप्त.....
- खाली पेट नहीं रहा होगा ....
- आज का युवा व युग परिवर्तन....
- वही जीता है ....
सुन्दर और उपयोगी चर्चा के लिए,
जवाब देंहटाएंआपका आभार रविकर जी।
--
बहुत अच्छे ब्लोग्स का संकलन है. मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा.....
आभार रविकर जी
अनु
बहुत सुंदर चर्चा आ. रविकर जी एवं आ. शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंभाषण सुनकर जाइये, पूरी करिये साध |
एक घरी आधी घरी, आधी की भी आध |
आधी की भी आध, विराजे हैं शहजादे |
करिये वाद-विवाद, किन्तु सुनिये ये वादे |
शीला कहे पुकार, जानती यद्यपि कारण |
जाने को सरकार, फर्क डाले क्या भाषण ||
सुन्दर विवेचन .वोटर कितना समझदार ,चुनाव से पहले दिखा दिया आइना ,बुद्धिमंद को .
“रूप” धारण किया है केले का
जवाब देंहटाएंपर हक़ीक़त में वो करेले हैं
सुन्दर है।
ज़िन्दग़ी में बड़े झमेले हैं
घर हमारे बने तबेले हैं
चापलूसी के खाद-पानी से
खिल रहे फूल अब विषैले हैं
“रूप” धारण किया है केले का
पर हक़ीक़त में वो करेले हैं
उच्चारण
ऐसा लगता है मानो नरेंद्र मोदी के लगातार बढ़ते लोकप्रियता के सूचकांक ने
जवाब देंहटाएंमाँ-बेटा एंड पार्टी की दलाल स्ट्रीट हिला कर रख दी हैं, हिला ही नहीं दी हैं बल्कि
हिला हिला कर हलवे जैसी हॉट भी कर दी हैं . तभी तो माँ-बेटा एंड पार्टी लगातार
कोई न कोई शगूफ़ा रोज़ाना छोड़ रही है मोदी को घेरने के लिए
रब जाने अब ये कोबरा पोस्ट क्या गुल खिलायेगा ?
पर एक बात तय है कि नरेंद्र मोदी दिल्ली आएगा
जय हिन्द !
क्या बात है दोस्त सरे आम सच लिख दिया -बकरी मेमने का सच ,एक अनाम कवि से ज्यादा बदतर है चर्च की एजेंटो की ये पार्टी जिन्हें आज कोई सुनना नहीं चाहता। बकरी भाषण क्या देती है कलमा सा पढ़ती है दूसरा आस्तीन चढ़ाके विषय च्युत हो जाता है। अपनी वल्दियत ,वंशवेल बताने लगता है। दुर्मुख भोपाली को गुरु बनाया है ,जिसने लुटिया और डुबो दी है।बेहतर हो चेला गुरु और गुरु चेला बदल ले।
लघु कथा में घटना कहाँ है ?सिर्फ परिवेश और संवाद हैं।
जवाब देंहटाएंआदत [ लघुकथा]
*"हाँ हाँ वही पर. फाइल नीचे वाली तह में है.. अच्छा ठीक है.. बाय..."* *सानिध्या ने फ़ोन बंद किया तो उसका ध्यान अनुपमा के मुस्कुराते हुए चेहरे प टिका. लगभग ठंडी हो चुकी कॉफ़ी का कप उठाकर उसने अनजान बनते हुए पूछा - "इस मुस्कराहट की वज़ह जान सकती हूँ?"....
दिल से .....पर Sneha Gupta
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंगुरुवर से भयभीत छात्र,
अब नहीं दिखाई देते हैं,
शिष्यों से अध्यापक अब तो,
डरे-डरे से रहते हैं,
संकर नस्लों को अब कैसे,
गीता ज्ञान कराऊँ मैं?
वीराने मरुथल में,
कैसे उपवन को चहकाऊँ मैं?
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
समझ में क्यों नहीं आती -भैंस बड़ी होती है दिमाग से क्योंकि भैंस में थोड़ी अक्ल भी होती है अक्ल में भैंस नहीं होती। भैंस बड़ी के अक्ल मुहावरे को आपने आज झुठला दिया। सिद्ध किया सबके दिमाग एक भैंस होती है अलग अलग नस्ल की।
पर देखी जाती है
होती भी है किसी के
पास एक भैंस
वो हमेशा तबेले में
ही बांधी जाती है
सुबह सुबह से इसी
बात को सुनकर
दुखी हो चुकी मेरे
दिमाग की भैंस
पानी में चली जाती है
तब से भैंस के जाते ही
सारी बात जड़ से
खतम हो जाती है
परेशान होने की
जरूरत नहीं अगर आपके
समझ में मेरी बात
बिल्कुल भी नहीं आती है !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !शालिनी जी खूब लिखा है "दुर्गा "के बारे में। लेकिन अवमूल्यन देखिये आज वही पार्टी बकरी -मेमना हो गई है। कविताओं का प्रतीक बन रही है।
जवाब देंहटाएंआदरणीय रविकर जी प्रणाम ,
जवाब देंहटाएंआदरणीया राजेश कुमारी जी प्रणाम ,
कल का मंच आज देखा सो वहा प्रस्तुति पा कर धन्य हुवा , आज आदरणीय रविकर जी ने अच्छे लिंक संजोये है सदा की तरह उन्हें और समस्त चर्चामंच को सादर अभिनन्दन और शुभकामनाये देता हूँ !
मुखर हुवा जब मंच लिंक-विहंग से चहकन लगे है ,
पछुवा भी अब चल पड़ी सोये हिरदय दहकन लगे है ।
वंदन , आभार
जय हिन्द !
बेहतरीन लिंक्स संयोजन एवं प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
मेरा प्यार अकेलापन है ,और प्रेमिका मेरा मन है
जवाब देंहटाएंतन्हाई जोगन है मेरी , और उसका इकतारा हूँ मै ||
मेरी ये परिभाषा तुमको ,शायद भाये या ना भाये
लेकिन तुम शर्तों को त्यागो , देखो सिर्फ तुम्हारा हूँ मै ||
प्यास बुझाने को मत कहना, खारे जल की धारा हूँ मै
दुआ मांग लो जो मन में हो , एक टूटता तारा हूँ मै ||
बहुत सुन्दर रचना है मनोज भाई। शुक्रिया इस शानदार अर्थ और भाव सौंदर्य लिए इस प्रस्तुति का।
बहुत बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंसभी लिंक एक से बढ़कर एक..
TV स्टेशन ब्लाग को यहां स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार
( मित्रों बिहार की पत्रकारिता का असली चेहरा है ये लेख )
आदरणीय बहुत सुन्दर प्रस्तुति व बेहतर सूत्र , मंच व आदरणीय को धन्यवाद
जवाब देंहटाएं" जै श्री हरि: "
बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंदिल से शुक्रिया आदरणीय
जवाब देंहटाएंरविकर जी और मयंक जी की
जवाब देंहटाएंजुगलबंदी जब हो रही होती है
चर्चा एक खिले कमल के
जैसे खिल रही होती है
"उल्लूक" की भैंस भी
कहीं पर दिख रही होती है
आभार !
उसके लिये जिसकी नजरे
इनायत हो रही होती है !
दुर्गा से बकरी मेमना तक
जवाब देंहटाएंअक्सर एक श्रेष्ठ परम्परा श्रेश्ठता को ही जन्म देती है लेकिन राजनीति इसे झुठला देती है इसका अतिक्रमण कर जाती है। सिंह -वाहिनी दुर्गा का दर्ज़ा मिला था कभी कांग्रेस इंदिरा की पार्टी को। और वह भी तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष श्री अटल बिहारी बाजपेयी से। आज लोग इसे बकरी -मेमना या फिर माँ -बेटा पार्टी भी कहने लगे हैं। शुक्रिया अदा किया जाए मेडम का ,जो काम आनुवंशिकी हज़ारों साल में भी नहीं कर सकती थी ,वह मेडम ने चंद सालों में कर दिखाया। वंशकुल विज्ञानी जितना मर्जी माथा -पच्ची कर लें उन्हें ये गुत्थी समझ में नहीं आयेगी। राजनीति में कुछ भी हो सकता है।हद तो यह है एक सिंह परम्परा के परम पुरुष से बकरी मिमियाके निवाला छीनना चाहती है। कोई नादानी सी नादानी हैं।
और वह मेमना बाजू चढ़ाते चढ़ाते मिमियाना ही भूल जाता है। मेडम भाषण पढ़ती हैं तो लगता है कलमा पढ़ रही हैं। मर्सिया और कलमे में फिर भी लया ताल होती है यहाँ तो हिज्जे करके भी ठीक से बात स्पस्ट नहीं होती।
चर्च भी शर्मिंदा होगा इन्हें अपना एजेंट बनाके।
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :
जन्मदिन ये मुबारक हो
'' इंदिरा'' की जनता को ,
भारतीय नारी पर Shalini Kaushik
--
दुर्गा से बकरी मेमना तक
जवाब देंहटाएंअक्सर एक श्रेष्ठ परम्परा श्रेश्ठता को ही जन्म देती है लेकिन राजनीति इसे झुठला देती है इसका अतिक्रमण कर जाती है। सिंह -वाहिनी दुर्गा का दर्ज़ा मिला था कभी कांग्रेस इंदिरा की पार्टी को। और वह भी तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष श्री अटल बिहारी बाजपेयी से। आज लोग इसे बकरी -मेमना या फिर माँ -बेटा पार्टी भी कहने लगे हैं। कवियों की कृति का प्रतीक और बिम्ब विधान बन रही है आज बकरी मेमना पार्टी। एक रूपक बन गया है माँ -बेटा पार्टी का। शुक्रिया अदा किया जाए मेडम का ,जो काम आनुवंशिकी हज़ारों साल में भी नहीं कर सकती थी ,वह मेडम ने चंद सालों में कर दिखाया। वंशकुल विज्ञानी जितना मर्जी माथा -पच्ची कर लें उन्हें ये गुत्थी समझ में नहीं आयेगी। राजनीति में कुछ भी हो सकता है।हद तो यह है एक सिंह परम्परा के परम पुरुष से बकरी मिमियाके निवाला छीनना चाहती है। कोई नादानी सी नादानी हैं।
और वह मेमना बाजू चढ़ाते चढ़ाते मिमियाना ही भूल जाता है। मेडम भाषण पढ़ती हैं तो लगता है कलमा पढ़ रही हैं। मर्सिया और कलमे में फिर भी लया ताल होती है यहाँ तो हिज्जे करके भी ठीक से बात स्पस्ट नहीं होती।
चर्च भी शर्मिंदा होगा इन्हें अपना एजेंट बनाके।
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :
http://albelakhari.blogspot.in/2013/11/blog-post_1811.html?showComment=1384959043508#c5163009655788816215
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ऐसा लगता है मानो नरेंद्र मोदी के लगातार बढ़ते लोकप्रियता के सूचकांक ने
माँ-बेटा एंड पार्टी की दलाल स्ट्रीट हिला कर रख दी हैं, हिला ही नहीं दी हैं बल्कि
हिला हिला कर हलवे जैसी हॉट भी कर दी हैं . तभी तो माँ-बेटा एंड पार्टी लगातार
कोई न कोई शगूफ़ा रोज़ाना छोड़ रही है मोदी को घेरने के लिए
रब जाने अब ये कोबरा पोस्ट क्या गुल खिलायेगा ?
पर एक बात तय है कि नरेंद्र मोदी दिल्ली आएगा
जय हिन्द !
बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति ..आभार
जवाब देंहटाएंमुबारक हो तुमको स्वीट नाइनटीन विवाह -साल,ये लेखन खुशहाल।
जवाब देंहटाएंकलम के कारीगर, शब्दों के बाजीगर की आज मंगलवार 19 नवम्बर 2013 को वैवाहिक सालगिरह है
हिन्दी ब्लॉगर
नुक्कड़
मंगल मंगल कामना, वैवाहिक-त्यौहार |
हार गले में डालिये, करो हार-स्वीकार |
करो हार-स्वीकार, जिताओ रविकर भाभी |
चले गृहस्थी-कार, भरे नित भाभी चाभी |
स्वस्थ,सुखी परिवार, परस्पर सुदृढ़ सम्बल |
पुत्र पुत्रियां पौत्र, सर्वदा मंगल मंगल ||
जवाब देंहटाएंTuesday, November 19, 2013
गीत..................
मृत्यु सुंदरी ब्याह करोगी ?
गीत मेरे सुन वाह करोगी ?
सुख- दु:ख की आपाधापी ने, रात-दिवस है खूब छकाया
जीवन के संग रहा खेलता, प्रणय निवेदन कर ना पाया
क्या जीवन से डाह करोगी ?
कब आया अपनी इच्छा से,फिर जाने का क्या मनचीता
काल-चक्र कब मेरे बस में, कौन भला है इससे जीता
अब मुझसे क्या चाह करोगी ?
श्वेत श्याम रतनार दृगों में, श्वेत पुतलियाँ हैं एकाकी
काले कुंतल श्वेत हो गए, सिर्फ झुर्रियाँ तन पर बाकी
क्या इनको फिर स्याह करोगी ?
आते-जाते जल-घट घूंघट, कब पनघट ने प्यास बुझाई
स्वप्न-पुष्प की झरी पाँखुरी, मरघट ही अंतिम सच्चाई
अंतिम क्षण, निर्वाह करोगी ?
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
रचना का सुन्दर संसार। किस किस को छोड़ें हम यार ,हर बंद ,हर अर्थ शब्द का सुन्दर दर्शन साथ लिए है जीवन का विस्तार लिए है -मृत्यु
बहुत सार्थक ब्लॉग्स को संजोया है आज के मंच पर रविकर की ! 'मयंक का कोना' में शास्त्री जी ने मेरी रचना को भी स्थान दिया है ! आप दोनों का हृदय से धन्यवाद एवँ आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया ब्लॉग, मुझे यहा स्थान देने के लिये धान्यवाद
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चाएँ ......
जवाब देंहटाएं