आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
चलते हैं चर्चा की ओर
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 21-11-2013 की चर्चा में है
चर्चा मंच पर पधारें!
धन्यवाद
"मयंक का कोना"
--
मोदी जैसे नेता तो गली गली की खाक
सुषमा स्वराज कहती हैं-''मैं हमेशा से शालीन भाषा के पक्ष में रही हूँ .हम किसी के दुश्मन नहीं हैं कि अमर्यादित भाषा प्रयोग में लाएं .हमारा विरोध नीतियों और विचारधारा के स्तर पर है .ऐसे में हमें मर्यादित भाषा का ही इस्तेमाल करना चाहिए .''
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
--
भारत-रत्न किसे मिलना चाहिए
भारत-रत्न किसे मिलना चाहिए , इसका criteria क्या है ? और कब वापस मांग लिया जाएगा इसका कोई समय निर्धारित है क्या ?---या सब मौकापरस्त कांग्रेस के मूड पर ही निर्भर करता है?
ZEAL
--
पुलिस मिलिट्री से...
पुलिस मिलिट्री से वानर टोली न बन जाये ॥
एटम बम से पिस्टल की गोली न बन जाये ...
डॉ. हीरालाल प्रजापति
--
वंशवेळ विज्ञान के माहिर भी चकराये
दुर्गा से बकरी मेमना तक
अक्सर एक श्रेष्ठ परम्परा श्रेश्ठता को ही जन्म देती है लेकिन राजनीति इसे झुठला देती है इसका अतिक्रमण कर जाती है। सिंह -वाहिनी दुर्गा का दर्ज़ा मिला था कभी कांग्रेस इंदिरा की पार्टी को। और वह भी तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष श्री अटल बिहारी बाजपेयी से। आज लोग इसे बकरी -मेमना या फिर माँ -बेटा पार्टी भी कहने लगे हैं। कवियों की कृति का प्रतीक और बिम्ब विधान बन रही है आज बकरी मेमना पार्टी। एक रूपक बन गया है माँ -बेटा पार्टी का। शुक्रिया अदा किया जाए मेडम का ,जो काम आनुवंशिकी हज़ारों साल में भी नहीं कर सकती थी ,वह मेडम ने चंद सालों में कर दिखाया....
--
मैं तो 'गिफ्ट' ही दूंगी
चुनाब का दौर चल रहा है एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का खेल चालू है।
पेपर मीडिया जिधर देखो मनमुटाब ही ज्यादा नजर आ रहा है।
मन कि खीझ मिटाने के लिए कुछ हल्का फुल्का जोक....
--
अन्ना करे विलाप, हमारे धन से लड़ता-
रविकर की कुण्डलियाँ
--
“तोते उड़ते पंख पसार”
बालकृति नन्हें सुमन से
एक बालकविता
"तोते उड़ते पंख पसार"
"मयंक का कोना"
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मोदी जैसे नेता तो गली गली की खाक
सुषमा स्वराज कहती हैं-''मैं हमेशा से शालीन भाषा के पक्ष में रही हूँ .हम किसी के दुश्मन नहीं हैं कि अमर्यादित भाषा प्रयोग में लाएं .हमारा विरोध नीतियों और विचारधारा के स्तर पर है .ऐसे में हमें मर्यादित भाषा का ही इस्तेमाल करना चाहिए .''
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
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भारत-रत्न किसे मिलना चाहिए
भारत-रत्न किसे मिलना चाहिए , इसका criteria क्या है ? और कब वापस मांग लिया जाएगा इसका कोई समय निर्धारित है क्या ?---या सब मौकापरस्त कांग्रेस के मूड पर ही निर्भर करता है?
ZEAL
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पुलिस मिलिट्री से...
पुलिस मिलिट्री से वानर टोली न बन जाये ॥
एटम बम से पिस्टल की गोली न बन जाये ...
डॉ. हीरालाल प्रजापति
--
वंशवेळ विज्ञान के माहिर भी चकराये
दुर्गा से बकरी मेमना तक
अक्सर एक श्रेष्ठ परम्परा श्रेश्ठता को ही जन्म देती है लेकिन राजनीति इसे झुठला देती है इसका अतिक्रमण कर जाती है। सिंह -वाहिनी दुर्गा का दर्ज़ा मिला था कभी कांग्रेस इंदिरा की पार्टी को। और वह भी तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष श्री अटल बिहारी बाजपेयी से। आज लोग इसे बकरी -मेमना या फिर माँ -बेटा पार्टी भी कहने लगे हैं। कवियों की कृति का प्रतीक और बिम्ब विधान बन रही है आज बकरी मेमना पार्टी। एक रूपक बन गया है माँ -बेटा पार्टी का। शुक्रिया अदा किया जाए मेडम का ,जो काम आनुवंशिकी हज़ारों साल में भी नहीं कर सकती थी ,वह मेडम ने चंद सालों में कर दिखाया....
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मैं तो 'गिफ्ट' ही दूंगी
चुनाब का दौर चल रहा है एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का खेल चालू है।
पेपर मीडिया जिधर देखो मनमुटाब ही ज्यादा नजर आ रहा है।
मन कि खीझ मिटाने के लिए कुछ हल्का फुल्का जोक....
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अन्ना करे विलाप, हमारे धन से लड़ता-
रविकर की कुण्डलियाँ
--
“तोते उड़ते पंख पसार”
बालकृति नन्हें सुमन से
एक बालकविता
"तोते उड़ते पंख पसार"
नीला नभ जिनका संसार।
वो उड़ते हैं पंख पसार।।
जब कोई भी थक जाता है।
वो डाली पर सुस्ताता है।।
तोता पेड़ों का बासिन्दा।
कहलाता आजाद परिन्दा...
नन्हे सुमन
बहुत ही सुन्दर लिंक्स संजोये है ..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा...सभी लिंक्स बढ़िया हैं..
जवाब देंहटाएंहमारी रचना को शामिल करने का शुक्रिया.
सादर
अनु
बढ़िया लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति \
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत ही बढ़िया चर्चा ...........
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
मोदी जैसे नेता तो गली गली की खाक
जवाब देंहटाएंसही सोच वाले सभी, कांगरेस के साथ |
बाकी ना सुधरें कभी, कभी ना आवें हाथ |
कभी ना आवें हाथ, लगे पंजा नाखूनी |
दे पगही से नाथ, बैल को डालो चूनी |
देखा बछड़ा गाय, हाय रे बातें सतही |
शासन से उक्ताय, रहा अब तक नीरस ही ||
बहुत सुंदर ! आज की चर्चा.
जवाब देंहटाएंजो लिन्क्स छूट गए थे ...अब शामिल कर लिये हैं...मेरी पोस्ट को शामिल करने का आभार ....
जवाब देंहटाएंबहुत दिन बाद दिखे दिलबाग जी
जवाब देंहटाएंचर्चा सजाने का बहुत सुंदर है अंदाज जी
लिया उल्लूक का
"कोई तो लिखे कुछ अलग सा लगे"
आपने आज बहुत है आभार जी
सुन्दर और सधी हुई चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय दिलबाग विर्क जी आपका।
प्यार में आँख को अश्क मंजूर हैं
जवाब देंहटाएं--
नये दौर में हो गये, नये-नये दस्तूर।
चमक-दमक के साथ में, कृत्रिमता भरपूर।।
नासूर रिसते हैं उम्रभर
जवाब देंहटाएं--
भर जाते हैं घाव तो, भरें नहीं नासूर।
मामूली आघात भी, चोट करें भरपूर।।
नन्द का लाला-मुरली वाला
जवाब देंहटाएं--
कृष्ण सरीखी चाहिए, मुरली हमको आज।
जिसकी मीठी तान पर, नाचे सकल समाज।।
आखिरी मुलाकात न करना
जवाब देंहटाएं--
आशाओं पर टिका है, जीवन का यह तन्त्र।
आशा औ' विश्वास का, बड़ा अनोखा मन्त्र।।
किताबों में लिखी हर वात सच नहीं होती
जवाब देंहटाएं--
लिखकर के आलेख को, अनुच्छेद में बाँट।
हींग लगे ना फिटकरी, कविता बने विराट।।
भूल गये अपनी विधा, चमक-दमक में आज।
पड़ा विदेशी मोह में, आज प्रबुद्ध समाज।।
मौहब्बत ने हमें भी शायर बना दिया
जवाब देंहटाएं--
भीतर से जो मोम हैं, बाहर से पाषाण।
इन्हीं पत्थरों में कहीं, रमें हुए भगवान।
Many thanks for providing great links Shastri ji.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ! मयंक जी ! मेरी रचना '' पुलिस मिलिट्री से....'' को स्थान देने का
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स , व प्रस्तुति मंच को धन्यवाद
जवाब देंहटाएं" जै श्री हरि: "
दिलबाग भाई सुन्दर सुघड़ सेतु सजाये आप हमें भी बिठाये !शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया। शास्त्री जी का मयंक कौना सलामत रहे।
जवाब देंहटाएंअत्याचार कभी मत करना।
जवाब देंहटाएंमत इसको पिंजडे में धरना।।
कारावास बहुत दुखदायी।
जेल नहीं होती सुखदायी।।
सुन्दर।
एक बालकविता
"तोते उड़ते पंख पसार"
नीला नभ जिनका संसार।
वो उड़ते हैं पंख पसार।।
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जब कोई भी थक जाता है।
वो डाली पर सुस्ताता है।।
तोता पेड़ों का बासिन्दा।
कहलाता आजाद परिन्दा...
नन्हे सुमन
दिलबाग भाई सुन्दर सुघड़ सेतु सजाये आप हमें भी बिठाये !शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया। शास्त्री जी का मयंक कौना सलामत रहे।
जवाब देंहटाएंसुन्दर। बहुत सुन्दर !अतिसुन्दर एकालाप।
एक तरफा प्रलाप है साऱी पोस्ट। कहाँ माँ -बेटा पार्टी /बकरी -मेमना पार्टी कहाँ भाजपा। एक "मोदी" कांग्रेस भी पैदा करके दिखाए आज मोदी से भाजपा है हिंदुस्तान की शिनाख्त है। मर्सिया पढ़ने वाली कांग्रेस से नहीं। जहां मेमना चुनाव सभाओं में बाजू चढ़ाते चढ़ाते मिमियाना ही भूल जाता है। कांग्रेस का वंशवादी शिष्टाचार सारी दुनिया जानती है . नेहरू कहते थे मैं शिक्षा से ईसाई संस्कार से मुसलमान और इत्तेफाक से हिन्दू हूँ। उन्हें आलमी होने का बड़ा शौक था। मोदी ने सब कुछ अर्जित किया है। किसी कुनबे का पोस्टर बॉय नहीं हैं मोदी। चाय बेचने वाला छोटू आज आलमी हीरो हो। जलने वाले जला करें किस्मत हमारे साथ है जलने वाले जला करें। कांग्रेस क्या उसके तो समर्थक भी आज मोदी फोबिया की चपेट में हैं।
एक प्रतिक्रिया ब्लागपोस्ट :
http://shalinikaushik2.blogspot.in/
सुन्दर। बहुत सुन्दर !अतिसुन्दर एकालाप।
जवाब देंहटाएंएक तरफा प्रलाप है साऱी पोस्ट। कहाँ माँ -बेटा पार्टी /बकरी -मेमना पार्टी कहाँ भाजपा। एक "मोदी" कांग्रेस भी पैदा करके दिखाए आज मोदी से भाजपा है हिंदुस्तान की शिनाख्त है। मर्सिया पढ़ने वाली कांग्रेस से नहीं। जहां मेमना चुनाव सभाओं में बाजू चढ़ाते चढ़ाते मिमियाना ही भूल जाता है। कांग्रेस का वंशवादी शिष्टाचार सारी दुनिया जानती है . नेहरू कहते थे मैं शिक्षा से ईसाई संस्कार से मुसलमान और इत्तेफाक से हिन्दू हूँ। उन्हें आलमी होने का बड़ा शौक था। मोदी ने सब कुछ अर्जित किया है। किसी कुनबे का पोस्टर बॉय नहीं हैं मोदी। चाय बेचने वाला छोटू आज आलमी हीरो हो। जलने वाले जला करें किस्मत हमारे साथ है जलने वाले जला करें। कांग्रेस क्या उसके तो समर्थक भी आज मोदी फोबिया की चपेट में हैं।
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मोदी जैसे नेता तो गली गली की खाक......
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और आश्चर्य है कि ऐसी सही सोच रखने वाली सुषमा जी जिस पार्टी से सम्बध्द हैं उसी पार्टी ने जिन नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है उन्ही ने मर्यादित भाषा की सारी सीमायें लाँघ दी हैं.व्यक्तिगत आक्षेप की जिस राजनीती पर मोदी उतर आये हैं वह राजनीति का स्तर निरंतर नीचे ही गिरा रहा है .सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर व्यक्तिगत आक्षेप कर वे यह समझ रहे हैं कि अपने लिए प्रधानमन्त्री की सीट सुरक्षित कर लेंगे जबकि उनसे पहले ये प्रयास भाजपा के ही प्रमोद महाजन ने भी किया था उन्होंने शिष्ट भाषण की सारी सीमायें ही लाँघ दी थी किन्तु तब खैर ये थी कि वे भाजपा के प्रधानमन्त्री पद के उम्मीदवार नहीं थे .
बहुत सुन्दर है .सटीक है मारक है .
जवाब देंहटाएंलाज लुटी, बस्ती बटी, दंगाई तदवीर-
दागी बंदूकें गईं, चमकाई शमशीर |
लाज लुटी, बस्ती बटी, दंगाई तदवीर |
दंगाई तदवीर, महत्वाकांक्षा खाई |
दिया-सलाई पाक, अगर-बत्ती सुलगाई |
सूत्रधार महफूज, जली तो धरा अभागी |
बने पाक इक पक्ष, बनाये दूजा दागी ||
अन्ना करे विलाप, हमारे धन से लड़ता-
जवाब देंहटाएंलड़ता भ्रष्टाचार से, आज आप हित आप |
आप दुखी है बाप से, अन्ना से सन्ताप |
अन्ना से सन्ताप, चंद चंदे का चक्कर |
सदाचार संदिग्ध, हुआ है चेला शक्कर |
आंदोलन से आप, इलेक्शन खातिर बढ़ता |
अन्ना करे विलाप, हमारे धन से लड़ता ||
सुन्दर प्रासंगिक .
संतोष त्रिवेदी जी पुरुष भी अश्व ,वृषभ ,…नारी मुग्धा ,मध्या ,प्रौढ़ा और न जाने कैसे कैसे ट्रेट लिए रहतीं हैं कई तो मर्द को ऊपर जाने की सीढ़ी कई मनबहलाव का साधन माने रहतीं हैं। कई उसे मुफ्त का सुरक्षा कर्मी मान लेती हैं।
जवाब देंहटाएंएक जैसे तो एक ही व्यक्ति के हाथों की उंगलियां भी नहीं होती। दायां भाग बाएं के बराबर नहीं होता जुड़वांओं का व्यवहार भी परिवेश तय करता है।क्लोन्स बोले तो हमशक्ल भी हम अक्ल नहीं होते एक जिसे सब मर्द कैसे हो सकते हैं कुछ चारित्रिक गुण सभी के एक जैसे हो सकते हैं। सभी पुरुष प्रेम चाहते हैं नारी से ज्यादा कोमल होते हैं जैसे अरविन्द एवं वीरुभाई।
वो मृगया भी है।बड़वा भी।
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :
http://mishraarvind.blogspot.in/2013/11/blog-post_20.html
सभी पुरुष एक जैसे ही होते हैं..... ललित निबंध
सभी पुरुष एक जैसे ही होते हैं..... यह एक ऐसी बात है जिससे महिलायें ख़ास तौर पर नारीवादी सक्रियक झट से सहमत हो लेती हैं। उनके लिए यह सार्वभौमिक सत्य है। वे फरेबी होते हैं, झूठे होते हैं वादा करके मुकर जाते हैं। रूहानी लगाव के बजाय बस रूप सौंदर्य के दीवाने होते हैं। उनकी चाहतें यकसाँ ही होती हैं। हर मायनों में सभी समान होते हैं और उनमें भी कुछ और भी ज्यादा समान होते हैं। यहाँ तक कि अलग से दिखने वाले (नारीवादी पुरुष) भी अंततः आखिर पुरुष ही साबित होते हैं। मुझे भी यह वाक्य गाहे बगाहे सुनना ही पड़ता रहा है। अब लाख समझाईये कि नहीं अपुन तो भीड़ से बिल्कुल अलग हैं.एक नायाब पुरुष पीस हैं मगर उनके चेहरे का अविश्वास इतना अटल रहता है कि कभी कभी और अब तो अक्सर ही खुद भी अपने बारे में शक होने लगता है कि कहीं हम भी वाकई 'सभी पुरुषों' की ही श्रेणी में तो नहीं आते -सोचते हैं खुद को कहीं आजमा के देख ही लिया जाय कि अपनी असलियत आखिर है क्या ? वालंटियर्स चाहिए।
मेरा फोटो
पुरुष
दोस्ती का यही तकाज़ा है
जवाब देंहटाएंबैर का भाव भुलाकर देखो
हम भी आपके बहुत अपने हैं ,
हाथ दोनों बढ़ाकर देखो।
बहुत प्यारी गज़ल कही है।
दिल कभी दिल से मिलाकर देखो