आदरणीया सरिता भाटिया जी के आदेश से
इस सोमवार की चर्चा प्रस्तुत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक!
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एक बैंक महिलाओं का ...
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकारें तमाम कदम उठाती रही हैं। इसी क्रम में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 19 नवम्बर को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गाँधी के 96वें जन्मदिन पर मुम्बई में देश के प्रथम महिला बैंक 'भारतीय महिला बैंक' का उद्घाटन किया...
शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकारें तमाम कदम उठाती रही हैं। इसी क्रम में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 19 नवम्बर को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गाँधी के 96वें जन्मदिन पर मुम्बई में देश के प्रथम महिला बैंक 'भारतीय महिला बैंक' का उद्घाटन किया...
शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav
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एक ससुराल ऐसा भी
सुबह सुबह ५ बजे उठकर
माँ रूपी सास से मीठा मीठा
प्रसाद ग्रहण कर लेने के बाद .......
अब चली है रसोई में
फीकी सी चाय बनाने ......
सासु माँ कि बोली में इतनी मिठास है की,,,,,
उन्हें मधुमेह हो गया है...
मेरा मन पंछी सा पर Reena Maurya
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" तेरे नाम के पीले फूल " …मेरी नज़र से
मोहब्बत से सराबोर इश्क की दास्ताँ है
जहाँ सिर्फ और सिर्फ प्रेम ही प्रेम समाहित है।
ढूंढने निकलो तो खुद को ही भूल जाओ ,
प्रेम की तासीर में बह जाओ
और अपना पता ही भूल जाओ...
ज़ख्म…जो फूलों ने दिये पर vandana gupta
मोहब्बत से सराबोर इश्क की दास्ताँ है
जहाँ सिर्फ और सिर्फ प्रेम ही प्रेम समाहित है।
ढूंढने निकलो तो खुद को ही भूल जाओ ,
प्रेम की तासीर में बह जाओ
और अपना पता ही भूल जाओ...
ज़ख्म…जो फूलों ने दिये पर vandana gupta
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मन की खिन्नता
थक चली हूँ खुद के मन की खिन्नता से .
सोचती हूँ कि क्या होता है क्यूँ होता है
जिसकी वजह से कुछ यूँ होता है
कि हम इतने निर्मम हो जाते हैं
अपने लिए अपनों के लिए.
कैसे और क्यूँ इतना क्रूर
कि प्यार को ठुकरा देते हैं...
ज़िन्दगीनामा पर Nidhi Tandon
थक चली हूँ खुद के मन की खिन्नता से .
सोचती हूँ कि क्या होता है क्यूँ होता है
जिसकी वजह से कुछ यूँ होता है
कि हम इतने निर्मम हो जाते हैं
अपने लिए अपनों के लिए.
कैसे और क्यूँ इतना क्रूर
कि प्यार को ठुकरा देते हैं...
ज़िन्दगीनामा पर Nidhi Tandon
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कभी -कभी कुछ नाम
कभी -कभी कुछ नाम
कुछ कमज़ोर दीवारों पर
उकेर कर मिटा दिए जाते हैं
निशान तो फिर भी रह जाते हैं
उन कमज़ोर दीवारों की सतह पर
वक्त गुज़रते - गुज़रते धुंधलाते
कहाँ है वे नाम ...
नयी उड़ान + पर Upasna Siag
कभी -कभी कुछ नाम
कुछ कमज़ोर दीवारों पर
उकेर कर मिटा दिए जाते हैं
निशान तो फिर भी रह जाते हैं
उन कमज़ोर दीवारों की सतह पर
वक्त गुज़रते - गुज़रते धुंधलाते
कहाँ है वे नाम ...
नयी उड़ान + पर Upasna Siag
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बैठे ठाले - १०
खाली दिमाग शैतान का घर कहा गया है, आजकल मेरे पास कोई काम नहीं है. कुछ लिखने पढ़ने का शौक भी मौसम की तरह ठंडा पड़ा हुआ है. लेकिन देश की अनेक राजनैतिक, सामाजिक व साहित्यिक बड़ी बड़ी घटनाएं मीडिया के लोगों द्वारा बार बार पेलने के बाद मेरे अन्दर भी उमड़-घुमड़ कर रही है इसलिए अपने मन के वजन को हल्का करना चाहता हूँ...
जाले पर (पुरुषोत्तम पाण्डेय)
खाली दिमाग शैतान का घर कहा गया है, आजकल मेरे पास कोई काम नहीं है. कुछ लिखने पढ़ने का शौक भी मौसम की तरह ठंडा पड़ा हुआ है. लेकिन देश की अनेक राजनैतिक, सामाजिक व साहित्यिक बड़ी बड़ी घटनाएं मीडिया के लोगों द्वारा बार बार पेलने के बाद मेरे अन्दर भी उमड़-घुमड़ कर रही है इसलिए अपने मन के वजन को हल्का करना चाहता हूँ...
जाले पर (पुरुषोत्तम पाण्डेय)
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हर बीस मिनिट के बाद सीट छोड़कर
इधर उधर बे -इरादा टहलिये।
कुर्सी से चिपकना बेहद हर बीस मिनिट के बाद
सीट छोड़कर इधर उधर बे -इरादा टहलिये।
कुर्सी से चिपकना बेहद खतरनाक है
सेहत के लिए।कबीरा खडा़ बाज़ार में पर
Virendra Kumar Sharma
इधर उधर बे -इरादा टहलिये।
कुर्सी से चिपकना बेहद हर बीस मिनिट के बाद
सीट छोड़कर इधर उधर बे -इरादा टहलिये।
कुर्सी से चिपकना बेहद खतरनाक है
सेहत के लिए।कबीरा खडा़ बाज़ार में पर
Virendra Kumar Sharma
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ताड़ोबा- 1
*इ*तना बेगाना इससे पहले कभी नहीं था कोई जंगल और सुबह से चल रही हवा भी थम चुकी थी दिन के तीसरे पहर तक पहुंचते-पहुंचते शुरुआती पतझड़ का आभास भी रह गया था अटक कर वहीं जंगल के उस गेट पर टिकट के बिना नहीं खुलता रास्ता उससे आगे का, ऐसे में साथ चल रहे गाइड के बस में कुछ भी नहीं था भटकने-भटकाने के सिवाय बनावटी रास्तों के भीतर...
सतीश का संसार
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ममता की मूरत नारी
नारी जीवन ममता की मूरत लुटाती प्रेम ...
बन कर माँ पालन करती है इस जग का...
Ocean of Bliss पर Rekha Josh
नारी जीवन ममता की मूरत लुटाती प्रेम ...
बन कर माँ पालन करती है इस जग का...
Ocean of Bliss पर Rekha Josh
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अदरक का सेवन
नाक से जुड़ी चेहरे की हड्डियों के बीच
खाली जगह (अस्थि रंध्र या शिरा नाल )
जैसे सूक्ष्म रास्तों माइक्रोचैनलों
को भी खोल देता है
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नए शोध के आलोक में
पुरानी मान्यताएँ
मिथक बन ने लगतीं हैं
(पहली किस्त )
नाक से जुड़ी चेहरे की हड्डियों के बीच
खाली जगह (अस्थि रंध्र या शिरा नाल )
जैसे सूक्ष्म रास्तों माइक्रोचैनलों
को भी खोल देता है
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नए शोध के आलोक में
पुरानी मान्यताएँ
मिथक बन ने लगतीं हैं
(पहली किस्त )
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रेत के घरौंदे .....
( अन्नपूर्णा बाजपेई )
रेत का घरौंदा
समंदर किनारे रेत परचलते चलते यूं हीअचानक मन कियाचलो बनाएसपनों का सुंदर एक घरौंदावहीं रेत पर बैठसमेट कर कुछ रेतकोमल अहसास के साथबनते बिगड़ते राज के साथबनाया था प्यारा सा सुंदर एक घरौंदा....
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( अन्नपूर्णा बाजपेई )
रेत का घरौंदा
समंदर किनारे रेत परचलते चलते यूं हीअचानक मन कियाचलो बनाएसपनों का सुंदर एक घरौंदावहीं रेत पर बैठसमेट कर कुछ रेतकोमल अहसास के साथबनते बिगड़ते राज के साथबनाया था प्यारा सा सुंदर एक घरौंदा....
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खाक के धुएं
यादों से लिपट कर
रोज़ रोते हैं।
कुछ शब्द रह गए थे दरिया किनारे,
कुछ यादें अब भी बाबस्ता
देखा करती हैं,तेरा रास्ता,
और उग आता है दूबों का जंगल,
निर्जनता के झींगुरों की आवाज़ में,
अब भी यादें बिखरी पड़ी हैं,...
यादों से लिपट कर
रोज़ रोते हैं।
कुछ शब्द रह गए थे दरिया किनारे,
कुछ यादें अब भी बाबस्ता
देखा करती हैं,तेरा रास्ता,
और उग आता है दूबों का जंगल,
निर्जनता के झींगुरों की आवाज़ में,
अब भी यादें बिखरी पड़ी हैं,...
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विचारों की कब्र पर मूर्तियों की होड़
भारत में मूर्ति-निर्माण
और मूर्ति-पूजा सदियों से चली आ रही है,
लेकिन राजनीतिक फायदे के लिए
मूर्तियों का इस्तेमाल इस वक्त जैसा हो रहा है,
वैसा कभी नहीं हुआ....
अ-शब्द
भारत में मूर्ति-निर्माण
और मूर्ति-पूजा सदियों से चली आ रही है,
लेकिन राजनीतिक फायदे के लिए
मूर्तियों का इस्तेमाल इस वक्त जैसा हो रहा है,
वैसा कभी नहीं हुआ....
अ-शब्द
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जाड़ों में प्रायः दिख जाते हैं,
वृद्ध-दंपत्ति,
झुकी हुई माँ ,कांपते हुए पिता.....
धूप सेकते हुए.....
कभी 'पार्क'में,
कभी 'बालकनी'में,
कभी 'लॉन' में
तो कभी 'बराम्दे में...
mridula's blog
वृद्ध-दंपत्ति,
झुकी हुई माँ ,कांपते हुए पिता.....
धूप सेकते हुए.....
कभी 'पार्क'में,
कभी 'बालकनी'में,
कभी 'लॉन' में
तो कभी 'बराम्दे में...
mridula's blog
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वक़्त
वक़्त आज भी उस खिड़की
पे सहमा सा खड़ा है,
भुला कर अपनी
गतिशीलता की प्रवर्ती ,
जिसके दम पर
दौड़ा करता था... सरपट
और... फिसलता रहता था मुट्ठी
में बंद रेत की मानिंद ...
मेरा गाँव
वक़्त आज भी उस खिड़की
पे सहमा सा खड़ा है,
भुला कर अपनी
गतिशीलता की प्रवर्ती ,
जिसके दम पर
दौड़ा करता था... सरपट
और... फिसलता रहता था मुट्ठी
में बंद रेत की मानिंद ...
मेरा गाँव
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तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये
अपना प्यारी-प्यारी बेटी के लिये...
दूर अकेले रहते हुए बीमार होने पर
जिसका याद हमको सबसे जादा कल आया.
बस लगा कि उससे मिलना है,
एक दिन का भी इंतज़ार नहीं हो रहा ...
चला बिहारी ब्लॉगर बनने
अपना प्यारी-प्यारी बेटी के लिये...
दूर अकेले रहते हुए बीमार होने पर
जिसका याद हमको सबसे जादा कल आया.
बस लगा कि उससे मिलना है,
एक दिन का भी इंतज़ार नहीं हो रहा ...
चला बिहारी ब्लॉगर बनने
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"चम्पू काव्य"
खो गयी प्राचीनता?
खो गयी प्राचीनता?
कौन थे? क्या थे? कहाँ हम जा रहे?
व्योम में घश्याम क्यों छाया हुआ?
भूल कर तम में पुरातन डगर को,
कण्टकों में फँस गये असहाय हो...
काग़ज़ की नाव (मेरे गीत)
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"सीधा प्राणी गधा कहाता"
बालकृति नन्हें सुमन से
एक बालकविता
सीधा प्राणी गधा कहाता,
सिर्फ काम से इसका नाता।
भूखा-प्यासा चलता जाता।
फिर भी नही किसी को भाता।।
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कार्टून :- हमें तो अपनों ने लूटा,
गै़रों में कहाँ दम था
काजल कुमार के कार्टून
--
तुम
चाहता हूँ, तुझे मना लूँ प्यार से
लेकिन डर लगता है तेरी नाराज़गी से|
घर मेरा तारीक के आगोश में है
रोशन हो जायेगा तुम्हारे बर्के हुस्न से...
सृजन मंच ऑनलाइन पर कालीपद प्रसाद
--
शीर्षकहीन
आस्था
अर्चना की आरती में दीप की लौ हो अस्थिर
तो भला व्रत की सफलता पर करें संदेह क्यों कर...
सृजन मंच ऑनलाइन पर
Nirmala Singh Gaur
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आज के लिए केवल इतना ही!
"सीधा प्राणी गधा कहाता"
बालकृति नन्हें सुमन से
एक बालकविता
सीधा प्राणी गधा कहाता,
सिर्फ काम से इसका नाता।
भूखा-प्यासा चलता जाता।
फिर भी नही किसी को भाता।।
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कार्टून :- हमें तो अपनों ने लूटा,
गै़रों में कहाँ दम था
काजल कुमार के कार्टून
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तुम
चाहता हूँ, तुझे मना लूँ प्यार से
लेकिन डर लगता है तेरी नाराज़गी से|
घर मेरा तारीक के आगोश में है
रोशन हो जायेगा तुम्हारे बर्के हुस्न से...
सृजन मंच ऑनलाइन पर कालीपद प्रसाद
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शीर्षकहीन
आस्था
अर्चना की आरती में दीप की लौ हो अस्थिर
तो भला व्रत की सफलता पर करें संदेह क्यों कर...
सृजन मंच ऑनलाइन पर
Nirmala Singh Gaur
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आज के लिए केवल इतना ही!
सुंदर चर्चा... सभी लिंक गजब के हैं।
जवाब देंहटाएं---एक मंच[mailing list] के बारे में---
एक मंच हम सब हिंदी प्रेमियों, रचनाकारों, पाठकों तथा हिंदी में रूचि रखने वालों का साझा मंच है। आप को केवल इस समुह कीअपनी किसी भी ईमेल द्वारा सदस्यता लेनी है। उसके बाद सभी सदस्यों के संदेश या रचनाएं आप के ईमेल इनबौक्स में प्राप्त कर पाएंगे कोई भी सदस्य इस समूह को सबस्कराइब कर सकता है। सबस्कराइब के लिये
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या
ekmanch+subscribe@googlegroups.com
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इस समूह में पोस्ट करने के लिए,
ekmanch@googlegroups.com
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[आप सब से भी मेरा निवेदन है कि आप भी इस मंच की सदस्यता लेकर इस मंच को अपना स्नेह दें तथा इस जानकारी को अपनी सोशल वैबसाइट द्वारा प्रत्येक हिंदी प्रेमी तक पहुंचाएं। तभी ये संपूर्ण मंच बन सकेगा
Aabhar Shastri ji!!
जवाब देंहटाएंमेरी प्रविष्टि को चर्चा मंच में स्थान देने का आभार मयंक जी
जवाब देंहटाएंकार्टून :- हमें तो अपनों ने लूटा,
जवाब देंहटाएंगै़रों में कहाँ दम था
काजल जल से भीग कब, देता अश्रु भिगोय |
चेहरे पे कालिख लगे, जाती गरिमा खोय |
जाती गरिमा खोय, सफलता सर चढ़ बैठी |
बने स्वयंभू ईश, चाल चल ऐंठी ऐंठी |
करता हलका कार्य, तहलका का यह छल बल |
महाचोर बदनाम, चुरा नैनों का काजल ||
हमेशा की तरह बिंदास चर्चा !
जवाब देंहटाएंकार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए आभार व रविकार जी का भी विशेष आभार कि कार्टून पर ऐसा सोचते हैं आप :-)
जवाब देंहटाएंvinamra Abhar
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ! मयंक जी ! मेरी रचना '' उसके इश्क़ से................'' को शामिल करने का
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन, एक से बढ़कर एक। लाजवाब
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा व कमाल के सूत्र , आदरणीय व मंच को धन्यवाद
जवाब देंहटाएं॥ जै श्री हरि: ॥
सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंbadi khushi hui sir..... ki mujhe bhi shamil kar liye itne achche-achche links ke saath......
जवाब देंहटाएं