मित्रों!
किसी तकनीकी खामी के कारण
आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी द्वारा
की गयी चर्चा के मध्य में एक लाइन आ गयी है।
जिसके कारण लिंक नहीं खुल पा रहे हैं।
अतः इस चर्चा को जस की तस
चर्चा मंच के आगामी अंक मे
उन्हीं के नाम से प्रकाशित किया जा रहा है।
--
इतने परिश्रम से मैंने अपनी निम्न पोस्ट को लगाया था।
मगर ऐसा लगता है कि हमारे चर्चामंच
के सहयोगी शायद इस पोस्ट को नहीं पढ़ पाये होंगे।
--
"पोस्ट को लगाने के बारे में उपयोगी सुझाव" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
किसी तकनीकी खामी के कारण
आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी द्वारा
की गयी चर्चा के मध्य में एक लाइन आ गयी है।
जिसके कारण लिंक नहीं खुल पा रहे हैं।
अतः इस चर्चा को जस की तस
चर्चा मंच के आगामी अंक मे
उन्हीं के नाम से प्रकाशित किया जा रहा है।
--
इतने परिश्रम से मैंने अपनी निम्न पोस्ट को लगाया था।
मगर ऐसा लगता है कि हमारे चर्चामंच
के सहयोगी शायद इस पोस्ट को नहीं पढ़ पाये होंगे।
--
"पोस्ट को लगाने के बारे में उपयोगी सुझाव" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
मित्रों!
बहुत दिनों से यह तकनीकी पोस्ट लगाने की सोच रहा था। मगर समय नहीं निकाल पा रहा था। वैसे तो यह पोस्ट सभी ब्लॉगर्स की समस्याओं को ध्यान में रखकर लिख रहा हूँ। मगर विशेषतया उन साथियों के लिए है जो चर्चा मंच के चर्चाकार हैं या चर्चाकार बनने की कतार में हैं।
अपनी नयी पोस्ट लगाने के लिए सबसे पहले आपको अपना डैशबोर्ड खोलना होगा इसके लिए आप https://draft.blogger.com/....लिखकर अपने डैशबोर्ड पर आसानी से जा सकते हैं। मगर सबसे पहले आप अपनी ई मेल जरूर खोलकर रखिए।
यह तो मेरा डैशबोर्ड है लेकिन आपको भी अपने ब्लॉगों के साथ कुछ ऐसा ही दिखाई देगा। जिसमें आपके ब्लॉग होंगे।
इसमें ब्लॉगों के आगे नारंगी रंग में एक पेन दिखाई दे रहा है। आपको जिस ब्लॉग पर पोस्ट लिखनी है केवल उसी के सामने नारंगी रंग के पेन पर क्लिक करना है।
अब आपको इस तरह का दृश्य दिखाई देगा-
सबसे पहले आपको इस कॉलम में पोस्ट का शीर्षक लिखना चाहिए।
उसके बाद आप अपनी पोस्ट से सम्बन्धित लेबल यहाँ लिख दीजिए।
आप अपनी पोस्ट को किस तारीख को प्रकाशित करना चाहते हैं। यह यहाँ पर क्लिक करने से आयेगा।
तारीख के दाहिनी ओर समय लिखा दिखाई दे रहा है। आप समय पर क्लिक करेंगे तो आपको निम्न सारिणी दिखाई देगी।
आप अपने अनुकूल समय का चयन करके उस पर क्लिक कर दीजिए।
यदि आप इस पोस्ट को तत्काल प्रकाशित करना चाहते हैं तो स्वत: (Automatic) पर ही क्लिक कीजिए।
--
इसके बाद चर्चा के कुछ गुर की बात आपको बताता हूँ।
जब आप कोई लेख या लिंक कॉपी करके यहाँ पेस्ट करें तो मैटर को के सलेक्ट करके, सामान्य या Normal पर क्लिक करके सबसे नीचे सामान्य या Normal का विकल्प आयेगा। उस पर अवश्य क्ल्कि कर दें। इससे आपकी पोस्ट एक समान दिखाई देगी और गैप भी नहीं दिखाई देगा।
अब यदि आपकी इच्छा शब्दों को छोटा-बड़ा या सबसे छोटा या सबसे बड़ा करने की इच्छा हो तो बायीं ओर T बनी है इस पर क्लिक करके आप अपने शब्दों को मनचाहा आकार दे सकते हैं।
एक बात और भी ध्यान रखिए
निम्न टेबिल में A और कलम का निशान
आपको दिखाई दे रहा होगा।
A को क्लिक करके से आप अक्षरों का रंग
और कलम को क्लिक करके आप
अक्षरों की पृष्ठभूमि का रंग भी बदल सकते हैं।
अब बात आती है चित्र लगाने की।
यदि आपको अपने कम्प्यूटर में सेव हुए किसी चित्र को लेना है
तो नीचे दिये हुए चित्र में link के दाहिनी ओर
आसमानी रंग का एक आइकॉन है।
आप उसे क्लिक करके वांछित चित्र लगा सकते हैं।
अग किसी वेबसाइट या किसी ब्लॉग से चित्र लेना हो तो
उसे आप सीधे ही उस साइट से कापी करके
अपनी पोस्ट में लगा सकते हैं।
अरे अभी टैक्स्ट पर लिंक लगाने का बिन्दु तो छूट ही गया है।
इसके लिए आपको जिस किसी वेब साइट या पोस्ट या प्रोफाइल का
लिंक अपने लिखे हुए किसी अंश पर या चित्र पर लगाना है
तो सबसे पहले आप उस स्थान पर जाइए
जहाँ से आपको लिंक लेना है।
यह लिंक पोस्ट के सबसे ऊपर एचटीटीपी://एबीसीडी.....
होता है आप इसको कॉपी कर लीजिए।
अब आप अपनी पोस्ट के सम्पादन में आकर
उस मैटर/चित्र को सलेक्ट कर लीजिए।
जिस पर कि आपको लिंक लगाना है।
इसके बाद आप ऊपर दिये हुए चित्र में
लिंक को क्लिक कीजिए।
वहाँ आपसे लिंक माँगा जायेगा।
आपके पास जो लिंक कॉपी है वह आप
यहाँ पेस्ट करके ओके कर दीजिए।
आपके वांछित मैटर/चित्र पर लिंक आ जायेगा।
मेरे विचार से अब शायद कोई महत्वपूर्ण
बात शेष नहीं रही है।
बस इतने से ही आपका काम चल जायेगा।
ऊपर दिये हुए चित्र में सबसे दाहिनी ओर
जो डाउनऐरो दिखाई दे रहा है
उसे क्लिक करके आप अपनी पोस्ट की सामग्री को
बाईं ओर, मध्य में या दाहिनी ओर भी
स्थापित कर सकते हैं।
इसके लिए आपको पहले मैटर को सलेक्ट करना होगा।
उसके बाद आप डाउनऐरो को क्लिक करके
मनचाहा अपना विकल्प कर सकते हैं।
अब आप अपनी पोस्ट का प्रकाशित करने के लिए
Publish पर क्लिक कर दीजिए।
मैं राजेंद्र कुमार आज कि चर्चा में आपका स्वागत हूँ
स्वयं को ही उपहार बना लें
अनिता जी
सत्संग से जीवनमुक्ति मिलती है. सहजता आती है. निर्मोहता, निसंगता तथा स्थिरमन की निश्चलता आती है. जीवनमुक्ति का अर्थ है अपने आस-पास कोई दुःख का बीज न रह जाये.
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प्रसाद-प्रांगण में पावन परिणय
श्याम बिहारी
काशी के सरायगोवर्द्धन में विख्यात प्रसाद-प्रांगण में 25 नवंबर 2013 की शाम कुछ खास रही। हमारी भाषा में तुलसीदास के बाद सबसे बड़े कवि जयशंकर प्रसाद की प्रपौत्री दिव्या के पावन परिणय का अवसर।
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शुक्रिया ! बोलती हूँ
अमृता तन्मय
इससे ज्यादा
बेचारगी का आलम
और क्या होता है
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खाये घर की दाल, मजे ले अक्सर रविकर
रविकर
करमहीन नर हैं सुखी, कर्मनिष्ठ दुःख पाय |
बैठ हाथ पर हाथ धर, खुद लेता खुजलाय |
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कितनी एहतियात बरतती है न माँ
सदा
खट्टी-मीठी पारले की गोली का
स्वाद याद है न ?
ये जिन्दगी भी बिल्कुल उसके जैसे है
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चाय, फ़ेसबुक और सैमसंग
राविश कुमार
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आज मैंने खुद को जाने से बहुत रोका.....!!!
सुषमा 'आहुति'
कितनी कसमे दी वादे दिए,
जिंदगी का वास्ता भी दिया.....
पर मैं फिर भी खुद को रोक न सकी,
*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
काश...!
अनुपमा पाठक
बहुत अँधेरी है रात... आसमान में एक भी तारा नहीं... चाँद भी नहीं... हो भी तो मेरी धुंधली नज़रों को नहीं दिख रहा... बादल हैं इसलिए नीला अम्बर भी कहीं नहीं है...! दिन भर नहीं रहा उजाला तो रात तो फिर रात ही है... अभी कहाँ से होगी रौशनी...*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
"ग़ज़ल-आँखें कुदरत का उपहार"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
गुस्सा-प्यार और मनुहार
आँखें कर देतीं इज़हार
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मुड़े हुए पन्ने
रंजना भाटिया
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फिर सहर आएगी फिर मिल लेंगे
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सलीक़ा सिखा रब्त निभाने का मुझे
VenuS "ज़ोया"ठीक ही कहते हैं शायद ग़नीम मेरे
रिश्ते-नाते निभाने नही आते मुझे
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आरोग्य प्रहरी
सेलरी हरे और सफ़ेद डंठल वाली एक सब्ज़ी होती है जो कच्ची भी खाई जाती है स्टीम लगाके भी।इसे अजमोदा का पत्ता भी कहा जाता है।
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Offline Hindi typing Tool
आमिर दुबई
डियर रीडर्स , आज काफी समय के बाद पोस्ट लिख रहा हूँ. दरअसल इन दिनों ब्लॉग के लिए ही समय नही मिल पाता। कुछ सेहत की मशगूलियत में हूँ. आज आपके लिए एक ऑफलाइन टूल हाजिर है
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♥♥उजाला ..♥♥
अंधेरों से बढ़कर उजाला रहेगा!
ये सूरज हमेशा निराला रहेगा!
महज खूबसूरत बदन को न समझो,
अगर दिल हमारा जो काला रहेगा!
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कावड़ : लोकमन का उत्कृष्ट शिल्प
राजीव कुमार झा
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महिला सम्मान और राजनीति
Dr Ashutosh Shukla
देश में लगता है कि कथित तरक्की के बाद भी आज पुरुष मानसिकता के वर्चस्व और प्रभुत्व वादी सोच को कम नहीं किया जा सका है क्योंकि आज जिस तरह से दो मामलों में दो तरह की बातें की जा रही हैं उससे यही स्पष्ट होता है.
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घर की अँखियान कौ सुरमा जो हते -
नवीनघर की अँखियान कौ सुरमा जो हते
दब कें रहनौ परौ दद्दा जो हते
बिन दिनन खूब ई मस्ती लूटी
हम सबन्ह के लिएँ बच्चा जो हते
काजल कुमार के कार्टून
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
पर
shikha kaushik
अन्नपूर्णा बाजपेई
नींद न ऐसी सोना तुम कर्म न ऐसे करना तुम
जिससे मान भंग हो तिरंगे की शान कम हो
सूर्य सम चमकना होगा ..
सृजन मंच ऑनलाइन
छोटी हो या बड़ी आफत कभी बता के नहीं आती है
और समझदार लोग
हर चीज के लिये तैय्यार नजर आते है...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
मैं सुनाता आ रहा हूँ गीत कविता सुन जिसे क्यों सो गया है
कुल जहाँ संकुल यहाँ क्यों आँख खोले सो गया है..
मेरी कविताएं पर Vijay Kumar Shrotryia
ये पन्ने ........सारे मेरे अपने -
पर Divya Shukla
बालकृति नन्हें सुमन से
एक बालकविता
"यह है मेरी काली कार"
यह है मेरी काली कार।
करती हूँ मैं इसको प्यार।।
जब यह फर्राटे भरती है,
बिल्कुल शोर नही करती है,
सिर्फ घूमते चक्के चार।
करती हूँ मैं इसको प्यार।।
*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
आज के लिए वस इतना ही विदा चाहता हूँ,
आपका दिन मंगलमय हो, आगे जारी है
"मयंक का कोना"
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कार्टून :- अडवाणी जी की सुनी आपने ?काजल कुमार के कार्टून
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कितना बदल गया इंसान ...! कौशल ! पर Shalini Kaushik
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अपने शहर में हम मगर गुमनाम रह गए !WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATIONपर
shikha kaushik
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उद्घोष फिर सुनना होगा...अन्नपूर्णा बाजपेई
नींद न ऐसी सोना तुम कर्म न ऐसे करना तुम
जिससे मान भंग हो तिरंगे की शान कम हो
सूर्य सम चमकना होगा ..
सृजन मंच ऑनलाइन
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सबूत होना जरूरी है ताबूत होने से पहले छोटी हो या बड़ी आफत कभी बता के नहीं आती है
और समझदार लोग
हर चीज के लिये तैय्यार नजर आते है...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
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तेरे होंठ की सुर्खी - Sudheer Mauryaकलम से..
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सोच सकता हूँमैं सुनाता आ रहा हूँ गीत कविता सुन जिसे क्यों सो गया है
कुल जहाँ संकुल यहाँ क्यों आँख खोले सो गया है..
मेरी कविताएं पर Vijay Kumar Shrotryia
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छाप की पाँवों की धूमिल सीये पन्ने ........सारे मेरे अपने -
पर Divya Shukla
--
"यह है मेरी काली कार" बालकृति नन्हें सुमन से
एक बालकविता
"यह है मेरी काली कार"
यह है मेरी काली कार।
करती हूँ मैं इसको प्यार।।
जब यह फर्राटे भरती है,
बिल्कुल शोर नही करती है,
सिर्फ घूमते चक्के चार।
करती हूँ मैं इसको प्यार।।
क्या सुंदर अंदाज है आद्रणीय आप की चर्चा करने का...
जवाब देंहटाएंअपनी किसी भी ईमेल द्वारा ekmanch+subscribe@googlegroups.com
पर मेल भेजकर जुड़ जाईये आप हिंदी प्रेमियों के एकमंच से।हमारी मातृभाषा सरल , सरस ,प्रभावपूर्ण , प्रखर और लोकप्रिय है पर विडंबना तो देखिये अपनों की उपेक्षा का दंश झेल रही है। ये गंभीर प्रश्न और चिंता का विषय है अतः गहन चिंतन की आवश्यकता है। इसके लिए एक मन, एक भाव और एक मंच हो, जहाँ गोष्ठिया , वार्तालाप और सार्थक विचार विमर्श से निश्चित रूप से सकारात्मक समाधान निकलेगे इसी उदेश्य की पूर्ति के लिये मैंने एकमंच नाम से ये mailing list का आरंभ किया है। आज हिंदी को इंटरनेट पर बढावा देने के लिये एक संयुक्त प्रयास की जरूरत है, सभी मिलकर हिंदी को साथ ले जायेंगे इस विचार से हिंदी भाषी तथा हिंदी से प्यार करने वाले सभी लोगों की ज़रूरतों पूरा करने के लिये हिंदी भाषा , साहित्य, चर्चा तथा काव्य आदी को समर्पित ये संयुक्त मंच है। देश का हित हिंदी के उत्थान से जुड़ा है , यह एक शाश्वत सत्य है इस मंच का आरंभ निश्चित रूप से व्यवस्थित और ईमानदारी पूर्वक किया गया है। हिंदी के चहुमुखी विकास में इस मंच का निर्माण हिंदी रूपी पौधा को उर्वरक भूमि , समुचित खाद , पानी और प्रकाश देने जैसा कार्य है . और ये मंच सकारात्मक विचारो को एक सुनहरा अवसर और जागरूकता प्रदान करेगा। एक स्वस्थ सोच को एक उचित पृष्ठभूमि मिलेगी। सही दिशा निर्देश से रूप – रेखा तैयार होगी और इन सब से निकलकर आएगी हिंदी को अपनाने की अद्भ्य चाहत हिंदी को उच्च शिक्षा का माध्यम बनाना, तकनिकी क्षेत्र, विज्ञानं आदि क्षेत्रो में विस्तार देना हम भारतीयों का कर्तव्य बनता है क्योंकि हिंदी स्वंय ही बहुत वैज्ञानिक भाषा है हिंदी को उसका उचित स्थान, मान संमान और उपयोगिता से अवगत हम मिल बैठ कर ही कर सकते है इसके लिए इस प्रकार के मंच का होना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। हमारी एकजुटता हिंदी को फिर से अपने स्वर्ण युग में ले जायेगी। वर्तमान में किया गया प्रयास , संघर्ष , भविष्य में प्रकाश के आगमन का संकेत दे देता है। इस मंच के निर्माण व विकास से ही वो मुहीम निकल कर आयेगी जो हिंदी से जुडी सारे पूर्वग्रहों का अंत करेगी। मानसिक दासता से मुक्त करेगी और यह सिलसिला निरंतर चलता रहे, मार्ग प्रशस्त करता रहे ताकि हिंदी का स्वाभिमान अक्षुण रहे।
अभी तो इस मंच का अंकुर ही फुटा है, हमारा आप सब का प्रयास, प्रचार, हिंदी से स्नेह, हमारी शक्ति तथा आत्मविश्वास ही इसेमजबूति प्रदान करेगा।
आज आवश्यक्ता है कि सब से पहले हम इस मंच का प्रचार व परसार करें। अधिक से अधिक हिंदी प्रेमियों को इस मंच से जोड़ें। सभी सोशल वैबसाइट पर इस मंच का परचार करें। तभी ये संपूर्ण मंच बन सकेगा। ये केवल 1 या 2 के प्रयास से संभव नहीं है, अपितु इस के लिये हम सब को कुछ न कुछ योगदान अवश्य करना होगा।
तभी संभव है कि हम अपनी पावन भाषा को विश्व भाषा बना सकेंगे।
एकमंच हम सब हिंदी प्रेमियों का साझा मंच है। आप को केवल इस समुह कीअपनी किसी भी ईमेल द्वारा सदस्यता लेनी है। उसके बाद सभी सदस्यों के संदेश या रचनाएं आप के ईमेल इनबौक्स में प्राप्त करेंगे। आप इस मंच पर अपनी भाषा में बात कर सकेंगे।
कोई भी सदस्य इस समूह को सबस्कराइब कर सकता है। सबस्कराइब के लिये
http://groups.google.com/group/ekmanch
यहां पर जाएं। या
ekmanch+subscribe@googlegroups.com
पर मेल भेजें।
इस समूह में पोस्ट करने के लिए,
ekmanch@googlegroups.com
को ईमेल भेजें.
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पोस्ट पर पड़ी लाल लाइन के कारण लिंक खुल नहीं रहे हैं-
जवाब देंहटाएंयह समस्या विगत सप्ताह में भी आई थी-
कृपया एक बार आप इस समस्या के बारे में गुरूजी से बात कर लें-
सादर