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Monday, November 18, 2013

कार्तिक महीने की आखिरी गुज़ारिश : चर्चामंच 1433

शुभम दोस्तों...
मैं 
सरिता भाटिया
लाई हूँ 
कार्तिक महीने की आखिरी गुज़ारिश 
चर्चामंच 1433 पर 
आइये बढ़ें 
|| 
कार्तिक पूर्णिमा 

नारी भावना 

कुछ इस तरह 

सचिन घोंसला व्यग्र 

यह दुनिया हैरान परेशान करती रहेगी

अध्यात्म जगत सूर्य को सजल प्रणाम 

लाला लाजपत राय 

जिसका असबाब बिना बिका रह जाए 


कैसे कहूँ आजाद हैं 

समर्पण की खुशहाली 

हिंदी का शोक काल

ओमप्रकाश बाल्मीकि की स्मृति 

डंके के जोर पर जयकारा

बड़ों को नमस्कार 
छोटों को प्यार 
आगे देखिए.."मयंक का कोना"
--
कुछ लिंक "आपका ब्लॉग" से
आपका ब्लॉग
भारत कठिन परिश्रम करने वाले 
लोगों को सम्‍मानित करता है: 
वैज्ञानिक सी एन राव
Scientist Dr C N R Rao
 क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के अलावा भारत 
रत्‍न के लिए चुने गये वैज्ञानिक सी एन राव ने कहा कि 
मैं यह सुनकर आश्‍चर्यचकित हूं कि 
मुझे इस सम्‍मान के लिए चुना गया।
 उन्‍होंने कहा कि भारत में कठिन परिश्रम 
करने वाले लोगों को सम्‍मान दिया जाता है 
लेकिन अगर आपमें कठिन परिश्रम और 
समर्पण के गुण नहीं हैं तो 
आपको यह सम्‍मान नहीं मिलेगा...
--
Homi Bhabha should also be awarded 
with the (Bharat Ratna) honour
Rao said the country's foremost nuclear scientist 
Homi Bhabha 
should also be awarded with the (Bharat Ratna) honour.
"I used to say earlier that Homi Bhabha should get this 
honour and also other eminent researchers," Rao said.
Expressing profound happiness for being chosen for the 
prestigious award, Rao said he had served the country for 
many decades and 
published over 1,600 scientific papers till date....
--
वेदांत के साथ भक्ति भाव विवेचन 
अध्यात्म क्षेत्र का एक विरला संयोग है। 
जो उन्हें पूर्ण ब्रह्म की ओर से वरदान रूप में प्राप्त था
अध्यात्म जगत सूर्य को सजल प्रणाम 
प्रणाम !प्रणाम !

--
हम तो जाते अपने धाम अपनी राम राम राम
गोलोक सिधारे जगद्गुरु कृपालुजी महाराज 
नहीं रहे विवादित जगदगुरू कृपालु महाराज
ये न्यूज़ मुझे तब मिली जब मैं मुम्बई के अन्तर-राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर फ्रेंकफर्ट -मुम्बई फलाइट से उतरकर वील चेअर की प्रतीक्षा कर रहा था। न्यूज़ देने वाली कैण्टन (मिशिगन )से मेरी बिटिया गुंजन शर्मा थी।उसने कहा जगद -गुरु-कृपालुजी महाराज  आज गोलोक चले गए...

--
*महान लोगों का देश*
पैदा होने के कुछ ही वर्षों में, जब मै होश सम्हाल रहा था, तभी मुझे ये एहसास हो गया था कि मै किसी महान देश में अवतरित हो गया हूँ। घर के अंदर पुरखों की फ़ोटो घरेलू मंदिर में भगवान के ऊपर शोभायमान हुआ करतीं थीं। स्कूल पहुंचा तो स्कूल का नाम ही महापुरुष के नाम पर रक्खा हुआ था...

वाणभट्टपरVaanbhatt 
--
नारे और भाषण लिखवा लो- 
नारे और भाषण की दुकान

हमारी एक नई घोषणा!! आईए और जानिए हमारा एक नया व्यापार.....चुनाव के मौसम में एकदम ताजा. हमारे यहाँ चुनाव के लिए नारे और भाषण लिखे जाते हैं. हम एक निष्पक्ष, व्यवसायिक नारेबाजी संस्थान हैं. हमारे यहाँ कोई भेद-भाव, पक्षपात या किसी संप्रदाय विशेष का विरोघ या समर्थन नहीं किया जाता. कृपया नक्कालों से सावधान रहें- हमारी कोई ब्रान्च नहीं है. हम वही लिखते हैं, जैसी ग्राहक की मांग होती है. हर पार्टी के लिए,पार्टी के स्तर को देखते हुए- राष्ट्रीय स्तर ,प्रदेश स्तर और नगर के चुनाव क्षेत्र पर आधारित क्षेत्रानुसार नारे लिखे जाते हैं । प्रत्याशी स्तर के नारे लिखने में हमें विशेष दक्षता प्राप्त है... 
उड़न तश्तरी ....
--
नाको झील , किन्नौर , हिमाचल 

Yatra, Discover Beautiful India पर Manu Tyagi

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तुम्हारी कुछ भी नहीं ......

ये चाहतें बड़ी अजीब ही नहीं 
अजीब - अजीब सी कभी भी कहीं भी 
यूँ ही सी सरगोशियाँ करने लग जाती हैं 
अब देखो न कैसी चाहत उभर आयी है 
चाहती हूँ तुम्हारी कुछ भी नहीं बनना ...
झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव 
--
घात लगाए धूर्त, धराये हिन्दु-मुसलमाँ
रविकर की कुण्डलियाँ 
रविकर की कुण्डलियाँ
--
माँ को देते बेंच, पाक से पैसा पाके -
"लिंक-लिक्खाड़"
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर

--
वोटरों पर निर्भर है, प्रजातंत्र की डोर
वोटरों पर निर्भर है
 प्रजातंत्र की डोर
राष्ट्र पर शासन करने की
हिम्मत हो पुरजोर
प्रजातंत्र का भविष्य है निर्भर
वोट उसे दें जो हो बेहतर  
अपने प्रतिनिधि को चुनकर...
BHARTI DAS
--
ओमप्रकाश वाल्‍मीकि ने 
पहली बार कलम से हिलाया 
प्रभु वर्ग का किला

विनम्र श्रद्धांजलि
शब्‍द श्‍यामल पर Shyam Bihari Shyamal 
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बहुत सुकून मिला है तेरे फिर आने से.....

Vishaal Charchchit

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कैसे कहूँ आजाद है...........
पसरा हुआ अवसाद है कण-कण कसैला हो गया,
पानी विषैला हो गया 
शब्द आजादी का पावन, अर्थ मैला हो गया...
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)

--
चुनाव का दंगल लेकर आए हैं  
बने रहिए हमारे साथ
 चुनावी दंगल चल रहे हैं, सारे ही पहलवान ताल ठोककर मैदान में हैं। मीडिया बारी बारी से सभी को उकसाने का श्रम कर रहा है। जैसे ही कोई पहलवान कमजोर पड़ता है, मीडिया उसके पक्ष में खड़ी हो जाती है, और वह फूल कर कुप्‍पा हो जाता है...
अजित गुप्‍ता का कोना

--
"टूटा हुआ स्वप्न" 
काव्य संग्रह "सुख का सूरज" से
एक गीत
"टूटा हुआ स्वप्न"
मेरे गाँव, गली आँगन में,
अपनापन ही अपनापन है।
देश-वेश-परिवेश सभी में,
कहीं नही बेगानापन है।।

घर के आगे पेड़ नीम का,

वैद्यराज सा खड़ा हुआ है।
माता जैसी गौमाता का,
खूँटा अब भी गड़ा हुआ है।
टेसू के फूलों से गुंथित,
तीनपात की हर डाली है।
घर के पीछे हरियाली है,
लगता मानो खुशहाली है...
सुख का सूरज
--
कार्टून :- अबे ओ माननीय छोटू इधर आ

काजल कुमार के कार्टून
--
कल अचानक मिल गया एक पुराना कवि
तुरंत पहचान गया हमारी कवि वाली छवि
कुशलक्षेम पूछने के उपरांत
अपनी जिज्ञासा करने को शांत करके 
उसने अपना मुँह खोला
और बडे ही प्रेम से बोला-
आपको देखकर लगता है आप अच्छी लिखी-पढी हैं 
फिर आप क्यों कविता लिखने के इस पचडे में पडी हैं 
किसी अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में चली जाईए 
और फिर आराम से अपना जीवन बिताइए...
अंतर्मन की लहरें पर Dr. Sarika Mukesh 

--
मधु सिंह : जीवन मरा नहीं करता है
     ( नीरज़ का अनुसरण,नीरज़ को समर्पित )
सपने   तो   सपने  होते  है  

नहीं   कभी  अपने  होते  हैं 
कुछ सपनों के मर जाने से  
कुछ सांसो के रूक जाने से 
जीवन  मरा  नहीं करता है 
बन अश्रुधार बहा करता है....
.. शुभविदा ..

26 comments:

  1. सभी संकलन सुन्दर

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  2. कार्तिक महीने की आख़िरी गुजारिश बिलकुल कार्तिक पूर्णिमा की भाँति मनमोहक............

    आदरणीय शास्त्री जी, आदरणीया सरिता जी...मुझे भी सम्मिलित करने हेतु आभार. अपरिहार्य व्यस्तताओं के कारण मंच नेट पर नियमित नहीं हो पा रहा हूँ .क्षमा चाहता हूँ....

    ReplyDelete
  3. कार्तिक महीने की आख़िरी गुजारिश बिलकुल कार्तिक पूर्णिमा की भाँति मनमोहक............

    आदरणीय शास्त्री जी, आदरणीया सरिता जी...मुझे भी सम्मिलित करने हेतु आभार. अपरिहार्य व्यस्तताओं के कारण मंच नेट पर नियमित नहीं हो पा रहा हूँ .क्षमा चाहता हूँ....

    ReplyDelete
  4. आज के लिंक्स बहुत अच्छे व पाठन के योग्य हैं , धन्यवाद चर्चा मंच

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर चर्चा ! आ. सरिता जी एवं आ. शास्त्री जी.

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  6. बढ़िया प्रस्तुति-
    सुन्दर चर्चा-
    आभार आपका-

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  7. सुंदर लिंक्स लिए चर्चा ......

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  8. सुंदर पठनीय लिंक्स .......... आभार आपका !

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  9. आज के सुन्दर सूत्र के लिए चर्चा का आभार , चर्चा का आभार , क्योंकि इस मंच से है हम सबको प्यार , हम सबको है प्यार तो , आइये करें एक संकल्प , सुन्दर सूत्र व अच्छा प्रकाशन देके हम बनाए मंच का बेहतर कल , धन्यवाद
    " जै श्री हरि: "

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  10. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ,....आभार!

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  11. रिसर्च खोज आदि के अनुभव , अंधविश्वास , विश्वास पर नजर डालती एक ब्लॉग अवश्य पढ़े -
    १- मेरे विचार : renikbafna.blogspot.com
    २- इन सर्च ऑफ़ ट्रुथ / सत्य की खोज में : renikjain.logspot.com
    - रेणिक बाफना , रायपुर

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  12. सुन्दर चर्चा मंच सजाया ,

    सेतु एक से एक सजाया। शुक्रिया गुज़ारिश शुक्रिया कौना मयंक।

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  13. सपने तो सपने होते है
    नहीं कभी अपने होते हैं
    कुछ सपनों के मर जाने से
    कुछ सांसो के रूक जाने से
    जीवन मरा नहीं करता है
    बन अश्रुधार बहा करता है||1||

    सुन्दर सन्देश परक गीत

    --
    मधु सिंह : जीवन मरा नहीं करता है
    ( नीरज़ का अनुसरण,नीरज़ को समर्पित )

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  14. सुन्दर परिवेश प्रधान गीत।

    मेरे गाँव, गली आँगन में,
    अपनापन ही अपनापन है।
    देश-वेश-परिवेश सभी में,
    कहीं नही बेगानापन है।।

    घर के आगे पेड़ नीम का,

    वैद्यराज सा खड़ा हुआ है।
    माता जैसी गौमाता का,
    खूँटा अब भी गड़ा हुआ है।
    टेसू के फूलों से गुंथित,
    तीनपात की हर डाली है।
    घर के पीछे हरियाली है,
    लगता मानो खुशहाली है...

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  15. अपने समूचे परिवेश को खंगालती अंत में आशावादी झलक लिए है ये रचना।

    संकल्प हितोपदेश का,अनुमान लो परिवेश का
    तेरा नहीं मेरा नहीं , यह प्रश्न पूरे देश का
    तुममें छुपा प्रहलाद है

    परम्परा में आस्था रखने वाले कवी का नाम है निगम अरुण कुमार।

    कैसे कहूँ आजाद है...........
    पसरा हुआ अवसाद है कण-कण कसैला हो गया,
    पानी विषैला हो गया
    शब्द आजादी का पावन, अर्थ मैला हो गया...
    अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)

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  16. घात लगाए धूर्त, धराये हिन्दु-मुसलमाँ -
    (1)
    सतत धमाके में मरे, माँ के सच्चे पूत |
    वह रैली देकर गई, पक्के कई सबूत |

    पक्के कई सबूत, देश पर दाग बदनुमा |
    घात लगाए धूर्त, धराये हिन्दु-मुसलमाँ |

    माँ को देते बेंच, पाक से पैसा पाके |

    रजस और तमस संसिक्त लोग हर चीज़ में दाग ही देखते हैं चाहे वह सचिन भाई का किरदार हो या जगद्गुरु ऐसे पत्रकार हमारे बीच प्रगटित हुए हैं जिन्हें सिर्फ दाग ही दिखता है एक चैनलिया जगद्गुरु के बारे में कह रहा था अपने न्यूज़ चैनल पर -विवादों से उनका पुराना नाता था ,मर गए वो अब। ऐसे ही राजनीति में लोग साम्प्रदायिकता की बात करते हैं सोनिया (सोइया )हो या कोई और इन्हें यह नहीं पता भारत में सम्प्रदाय थे भारत कभी भी साम्प्रादायिक नहीं रहा ये सिलसिला तो मुसलमानों के आने के बाद शुरू हुआ। यहाँ तो जितने सनातनी थे उतने ही देव थे। कोई शैव और कोई वैष्णव सम्प्रदाय को भजता था।

    सम्प्रदाय का अर्थ है वह जो समाज को कुछ देता है सोइया जी को भी कोई समझा दे तो भारत के बारे में उनके ज्ञान चक्षु खुलें जो साम्प्रदायिकता की बात करतीं हैं। कोई है इन्हें बतलाये सम्प्रदाय का मर्म और अर्थ। हिन्दू बोले तो भारत धर्मी समाज कैसे साम्प्रादायिक हो गया भले कांग्रेसियों। भली आदमिन सोइया जी।

    माँ को देते बेंच, पाक से पैसा पाके -
    "लिंक-लिक्खाड़"
    "लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर

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  17. गोदी में बैठा रखे, रहें पोषते नित्य |
    उंगली डाले नाक में, कर विष्टा से कृत्य |

    कर विष्टा से कृत्य, भिगोता रहा लंगोटी |
    करता गोटी लाल, काटता लाल चिकोटी |

    रविकर खोटी नीति, धमाके झेले मोदी |
    यह आतंकी प्रीति, छुरी से काया गोदी ||

    अटकल दुश्मन लें लगा, है चुनाव आसन्न |
    बुरे दौर से गुजरती, सत्ता बांटे अन्न |

    सत्ता बाँटे अन्न, पकड़ते हैं आतंकी |
    आये दाउद हाथ, होय फिर सत्ता पक्की |

    हो जाए कल्याण, अभी तक टुंडा-भटकल |
    पकड़ेंगे कुछ मगर, लगाते रविकर अटकल ||



    होती है लेकिन यहाँ, राँची में क्यूँ खाज-
    दंगे के प्रतिफल वहाँ, गिना गए युवराज |
    होती है लेकिन यहाँ, राँची में क्यूँ खाज |

    राँची में क्यूँ खाज, नक्सली आतंकी हैं |
    ये आते नहिं बाज, हजारों जानें ली हैं |

    अब सत्ता सरकार, हुवे हैं फिर से नंगे |
    पटना गया अबोध, हुवे कब रविकर दंगे ||


    हुक्कू हूँ करने लगे, अब तो यहाँ सियार |
    कब से जंगल-राज में, सब से शान्त बिहार |

    सब से शान्त बिहार, सुरक्षित रहा ठिकाना |
    किन्तु लगाया दाग, दगा दे रहा सयाना |

    रहा पटाखे दाग, पिसे घुन पिसता गेहूँ |
    सत्ता अब तो जाग, बंद कर यह हुक्कू हूँ -

    सटीक व्यंग्य इंतजामिया पर।
    घात लगाए धूर्त, धराये हिन्दु-मुसलमाँ
    रविकर की कुण्डलियाँ
    रविकर की कुण्डलियाँ

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    Replies
    1. बहुत सुन्दर रही आध्यात्मिक सैर चित्र भी ललचाते मनभावन तमाम।


      शारदा नदी में स्नान
      डॉ रूप चन्द्र शास्त्री

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  18. सुन्दर चर्चा मंच सजाया ,सुन्दर सांस्कृतिक विवरण मुहैया करवाया है इस पोस्ट

    कार्तिक पूर्णिमा
    सरिता भाटिया

    ReplyDelete


  19. जिन लोगों ने देश, प्रदेश, जनता के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में कुछ किया उनका महान हो जाना वाकई गौरव की बात है। पर जो लोग सिर्फ इसलिए महान हो गए कि उनके पोते या पर-पोते पावर में आ गए तो अफ़सोस होता है। परन्तु मै इस व्यवस्था का विरोध नहीं करता। कल का क्या पता। हमारे भी पोते या पर-पोते या उनके बच्चे कभी पावर में आ जाएं तो मेरे नाम पर एक सड़क, एक मोहल्ला या एक शहर बन जाए और महान ब्लॉगर वाणभट्ट भी अमर हो जाए। पर मै अपनी वसीहत में लिख जाउंगा कि अगर किसी चौराहे पर मेरी मूर्ति लगवाना तो मूर्ति नॉन-स्टिक मटेरियल की होनी चाहिए ताकि चिड़िया की बीट न चिपके।

    बहुत खूब भाई बाणभट्ट जी व्यंग्य वाही जो सर चढ़के बोले।

    --
    *महान लोगों का देश*
    पैदा होने के कुछ ही वर्षों में, जब मै होश सम्हाल रहा था, तभी मुझे ये एहसास हो गया था कि मै किसी महान देश में अवतरित हो गया हूँ। घर के अंदर पुरखों की फ़ोटो घरेलू मंदिर में भगवान के ऊपर शोभायमान हुआ करतीं थीं। स्कूल पहुंचा तो स्कूल का नाम ही महापुरुष के नाम पर रक्खा हुआ था...
    वाणभट्टपरVaanbhatt

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  20. सुन्दर प्रस्तुति!
    आभार!

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  21. बढ़िया चर्चा एवं प्रस्तुति...वाणभट्ट के शामिल करने के लिए धन्यवाद...

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  22. सुन्दर प्रस्तुति ,आभार सर

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