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गुरुवार, दिसंबर 26, 2013

चर्चा - 1473 ( वाह रे हिन्दुस्तानियों )

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है 
उत्तरी भारत एक तरफ ठंड की चपेट में है तो वहीं दूसरी और दिल्ली को लेकर वातावरण में गर्मी है |  केजरीवाल जब सरकार नहीं बना रहा था तब भी शोर था , जब बना रहा है तब भी शोर |  दरअसल इस देश में लोग विचारवान होने के दावे लाख करें वास्तव में वे पिछ्ल्ग्गू हैं , पार्टियों के अंध समर्थक हैं, तभी देश के नेता सेवक न होकर मालिक बन जाते हैं | केजरीवाल और आप के नेता देखते हैं कब मालिक बनेगें | वैसे वे कुछ भी करें , अच्छा या बुरा एक बार हजम होने वाला नहीं हम लोगों के, इसलिए हमारा चीखना-चिल्लाना तो जारी रहेगा क्योंकि हमसे कोई चाहता है कि कोंग्रेस दुबारा आए तो किसी को मोदी को प्रधानमन्त्री बनते देखना है : देश जाए भाड़ में | वाह रे हिन्दुस्तानियों ! 
चलते हैं चर्चा की ओर
 
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मेरी लेखन - यात्रा
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आभार 
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
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बीत रहा है यह बड़ा दिन 

बड़ा दिन
बीत रहा है यह बड़ा दिन
तारी है इक बड़ी - सी रात
सोचो तो
क्या किया आज कुछ बड़ा ?... 


कर्मनाशा पर siddheshwar singh 
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सेंटा न आया 

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मैं हूँ ना ! 

Sudhinama पर sadhana vaid
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मैं दर-ब-दर हूँ बहुत मुझको ढूंढ पाना क्या...... 
अभय कुमार ‘अभय’ 

मेरी धरोहर पर yashoda agrawal 

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कविता की शक्ति
नित्य बदलती इस दुनिया में 
जीवन विकास की पटरी पर 
चाहे कितना ही तेज क्यों न दौडे़, 
मनुष्य के अंतरतम में सौंदर्य-बोध 
और सुख-कामना की जो चिरकालीन , 
अदम्य प्यास लगी हुई है, 
वह कभी बदलती नहीं, 
न ही कम होती है...

शब्द सक्रिय हैं पर Sushil Kumar 
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व्यास-गद्दी -लघु कथा 

भारतीय नारी पर shikha kaushik 

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मानवता खो गयी कही 
मेरा फोटो
aashaye पर garima 

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जलील (नारी उत्पीड़न पर कटाक्ष ) 
बात एक दशक पहले की है, तब हमारे गाँव में पक्की सड़क नहीं थी ईंट के खडंजे हुआ करते थे. बारिशों में चलना मुश्किल होता था. गाडी तो दूर लोग साइकिल भी गाँव में घुसाने से डरते थे. चलने के लिए कोई ख़ास मुश्किल नहीं थी बस कपडे गीली मिट्टी से लथपथ हो जाते थे. इन सबसे बचने का एक ही उपाय था कि किसी तरह नहर के बाँध पर चढ़े  फिर कीचड़ से सुरक्षा हो जाती थी.हाँ अलग बात है कि कीचड़ की  जगह सुअरा (एक तरह का खर जो कपड़ों में बुरी तरह चिपक जाता है) पैरों में लगते थे जिन्हे छुड़ाने में जान निकल आती थी....
आपका ब्लॉग पर abhishek shukla

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लाड़ली चली .... 
सृजन मंच ऑनलाइन
बाबा की दहलीज लांघ चली
वो पिया के गाँव चली
बचपन बीता माँ के आंचल
सुनहरे दिन पिता का आँगन
छूटे संगी सहेली बहना भैया
मिले दुलारी को अब सईंया
मीत चुनरिया ओढ़ चली 
बाबा की लाड़ली चली .... 
अन्नपूर्णा बाजपेई
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समाज का स्वरूप चंद लोग ही बदलते  हैं
हेमा पाल

समाज का स्वरूप चंद लोग ही बदलते  हैं
जैसे सूरज अकेले ही जग में उजाला भरते हैं
एक ही शक्ति समाज को चलाती है
नेता के रूप में हमारे सामने आती है
इनमे से कुछ नेता बुराई का नेतृत्व करते हैं...
आपका ब्लॉग पर हेमा पाल
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शासन का मशविरा
 जाने वक्त कैसा आगया या भूले से मैं यहाँ आ गया
   शासन मशविरा देता अब प्रकाशकों व उदघोषकों को
   स्थान नहीं दो न्यायपालिका व शासन विरूढ रोष को...
आपका ब्लॉग पर पथिक अंजाना
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सूनापन कितना खलता है. 

आँखों से दर्द टपकता है
होंठों से हँसना पड़ता है

दोनों की बाहें थाम यहाँ,
जीवन भर चलना पड़ता है...
काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
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अभिनन्दन अटल बिहारी ! 
अभिनन्दन अटल बिहारी !! 
अभिनन्दन अटल बिहारी !!!

अलबेला खत्री
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मोहब्बत 

मोहब्बत में दिल को थाम के रखना, 
बहुत मुश्किल होता है...
Sadah Bahar Sher - O - Shayeri

14 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात |अच्छी और समसामयिक चर्चा |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं
  2. चन्द्र टरै सूरज टरै, टरे जगत व्यवहार।
    किन्तु विर्क जी का नहीं, कभी चूकता वार।।
    --
    सुन्दर चर्चा।
    आभार आदरणीय विर्क जी आपका।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर चर्चा ! मेरे हाइगा को स्थान देने के लिये आभार आपका शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर प्रभावी चर्चा ,
    मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में जगह देने के लिए ,आभार ....शास्त्री जी,एवं दिलबाग जी,,,,

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया लिंक्स। आभार मेरी नई पोस्ट की साझेदारी के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  6. दिलबाग की दिल बाग बाग करती आज की चर्चा में उल्लूक का "आओ मित्र आह्वान करें तुम हम और सब ईसा का आज ध्यान करें" को शामिल करने पर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  7. लाजवाब संकलन। पोस्ट को स्थान देने के लिए साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  8. शुभ प्रभात,बेहतरीन लिंक्स के लिए शुक्रिया.......

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत दिनों के बाद आया हूं। मंच ने अपनी गरिमा से आकर्षित किया। खुद को पाकर भी प्रसन्नता हुई।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत बढ़ि‍या संकलन..मेरी रचना को स्‍थान देने का शुक्रि‍या..

    जवाब देंहटाएं
  12. अच्छा रचना-संयोजन है ! मेरी रचना को इस संयोजन में सम्मिलित करने हेतु आभार !

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुन्दर संकलन ...हृदय से आभार आदरणीय दिलबाग जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए | सादर

    जवाब देंहटाएं

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