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शनिवार, अप्रैल 05, 2014

"कभी उफ़ नहीं की": चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1573

माँ ने कभी उफ़ तक नहीं की कष्टों में
और हम खुश होते रहे माँ की इस अदा पर
माँ हमारे लिए त्याग की मूर्ति रही
ईश्वर की तरह पूजते रहे माँ को हम
और सिसकती रही माँ की भावनाएं भीतर-भीतर
माँ जरूरत पड़ने पर चट्टान की तरह खड़ी हो
जाती थी हमारे लिए
दुखों की बारिश में छाते की तरह ओढ़ लेते थे माँ को हम
और तहा कर रख देते थे रजाई की तरह
सर्दी ख़त्म होते ही,माँ अगर अपने लिए जरा-सा जी लेती
तो क्या हम इतने
गुणगान करते उसके
माँ ने अकेले रहने पर खाना नहीं बनाया
हमने इसे हंसते हुए स्वीकार किया
उपयोगिता के तराजू पर तौलते रहे हम माँ को
और दावा करते रहे प्रेम का
माँ को कभी जरूरत नहीं पड़ी ऐसे दावों की
हमारी जरूरतें पूरी करने में ही गुजार दी
सारी उम्र
क्या माँ की तारीफ़ सिर्फ अपना ध्यान
न देने के कारण की जानी चाहिए ?  
(साभार : वंदना मिश्रा)    
 नमस्कार  !
मैंराजीव कुमार झा
चर्चामंच चर्चा अंक : 1573  में,
कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ, 
आप सबों  का स्वागत करता हूँ.  
--
एक नजर डालें इन चुनिंदा लिंकों पर...
 वो पूरे चाँद सा चेहरा 
अनुलता राज नायर  
 
वो पूरे चाँद सा चेहरा
जिसे मैं छू सकती थी
हाथ बढ़ा कर कभी भी....
और महसूस कर सकती थी

Do you really believe Health is Wealth ?
आधुनिक जीवन शैली की तेज रफ्तार एवं भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का विषय बहुत पीछे रह गया है और नतीजा यह निकला की आज हम युवावस्था में ही ब्लड प्रेशर, डायबिटीजह्रदय रोग, कोलेस्ट्रोल, मोटापा, गठिया, थायरॉइड जैसे रोगों से पीड़ित होने लगे हैं 


हिमकर श्याम 

कितना बदल गया है ये, नादान आदमी
अपना ही अक्स देख के हैरान आदमी

                                             पूजा उपाध्याय       


ड़की थी। सिगरेट का आखिरी कश। तलब। इंतजार का चुभता स्वाद। ऐब्सिन्थ विद शुगर। टकीला शॉट। नीट स्कॉच विदाउट आईस। प्योर ड्रग। 
पर्यावरण :क्या तकरीबन पचीस करोड़ बरस पहले पृथ्वी पर से ९० फीसद जीवों के सफाये की वजह एक माइक्रोब बना था जो ग्रीन हाउस गैस छोड़ता था ?
वीरेन्द्र कुमार शर्मा  
A fossil of a trilobite, a horsecrab-like creature that thrived in the seas for hundreds of millions of years before becoming one of many kinds of animals wiped out in a mass extinction that befell the planet 252 million years ago.

सुदूर अतीत में पृथ्वी पर जीवन का बड़े पैमाने पर कई मरतबा सफाया हो चुका है कभी कयास लगाया गया के इस सफाये की एक बार अब से कोई साढ़े छः करोड़ बरस पहले धूमकेतु वजह बने थे जब डायनासोरों का बड़े पैमाने पर सफाया हो गया था। 
आशा सक्सेना          
 
तरकश से निकला तीर
 बापिस नहीं आता
हृदय बींधता जब
खोता जाता संयम |
 

बच्चों के परीक्षा परिणाम आने के बाद एक सप्ताह की छुट्टी मिली तो मन में माँ वैष्णों देवी दर्शन की लालसा जाग उठी।
ज्वालामुखी क्या है ? व इससे सम्बंधित तथ्य ? - { What is the volcano and the FACTS ? } 
          आशीष भाई  
             
" ज्वालामुखी " भूपटल पर वह प्राक्रतिक छिद्र अथवा दरार है , जिससे होकर पृथ्वी का पिघला पदार्थ लावा , राख , जलवाष्प , ठोस पदार्थ तथा अन्य गैसें बाहर निकलती हैं।


मनु त्यागी            
 ward  lake , shillong ,वार्डस लेक , शिलांग
आज शिलांग में ​आखिरी दिन था और दो जगह हमारे देखे बिना रह गयी थी । एक वार्डस लेक और एक बडा पानी या उमियाम लेक । वार्डस लेक शिलांग शहर के दिल जैसी जगह पर स्थित है ।
Rajeev Kumar Jha    


Yes, summer has come without
The apology of a tomorrow
The summer has torn out
The remnants of my mind.

My Photo

मलाई लूटने के
मौके बहुत मिलते हैं
बिल्लियों को
सालों साल तक

उस दिन किस बारीकी से का वह बंद कोना छुआ उसने  कि कोई सोया दर्द फिर से जाग उठा ...जब उसने  कहा कि कुछ घाव जो सूखे बिना भर जाते हैं , जीवन भर तकलीफ देते हैं और वह अपने पैरों की एडी में छिपा सा हल्का निशान सहला बैठी . 

फ़रियाद
राकेश श्रीवास्तव  


पल्लवी त्रिवेदी    
पल्लवी त्रिवेदी     
वो पगली सिर्फ हंसना जानती थी ! बचपन से ही मैले कपड़ों में पूरे मोहल्ले में भटकती फिरती और जिसे देखती , देखकर " खी खी " करके हंस पड़ती और फिर बस हंसती ही रहती देर तक ! 
अशोक पांडे 
 
         

१९५८ में जन्मीं पाकिस्तानी गायिका मेहनाज़ बेग़म ने संगीत की तमाम विधाओं में काम किया, ख़ास तौर पर ग़ज़ल, ठुमरी, दादरा, ख़याल और ध्रुपद में. उनकी माँ कज्जन बेग़म भी एक ख्यात गायिका थीं. 

अय बुड्ढ़े..! 
मार्कंडेय दवे 

           रचना tripathi  
माँ तू मुझमें 

आज अचानक ऐसा लगने लगा जैसे मेरी बेटी मुझसे कुछ कह रही है- 

     सुनील  दीपक            
Doctor lives grafic by Sunil Deepak, 2014
पाराम्परिक भारतीय सोच के अनुसार अक्सर बच्चों को क्या पढ़ना चाहिये और क्या काम करना चाहिये से ले कर किससे शादी करनी चाहिये, सब बातों के लिए माता पिता, भैया भाभी, दादा जी आदि की आज्ञा का पालन करना चाहिये. 

साठ के दशक में एक फिल्म आयी थी नौनिहाल। संगीतकार थे मदनमोहन। इस फिल्म के सारे गीत कैफ़ी आज़मी ने लिखे थे।  आज भी कैफ़ी आज़मी की पहचान गीतकार के बजाए एक शायर के रूप में ज्यादा है। 

"ग़ज़ल-रूप” से ही प्यार है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

मतलबी संसार में गुम हो गया किरदार है
हर जगह पर हो रहा ईमान का व्यापार है
धन्यवाद !
आगे देखिए
"अद्यतन लिंक"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 
--
अंतर्मन की विडम्बना ....  

अंतर्मन एक ऐसा बंद  घर
जिसके अन्दर रहती है 
संघर्ष करती हुई जिजीविषा,
कुछ ना कर पाने की कसक 
घुटन भरी साँसे 
कसमसाते विचार और...

--
"बाल मिठाई" 
 

मेरे पापा गये हुए थे,
परसों नैनीताल।
मेरे लिए वहाँ से लाए,
वो यह मीठा माल।।
--
मुल्क खामोश क्यों है -- क्षमा जी 
दिलों में खुशी की कोंपल नहीं,
फिर ये मौसमे बहार क्यों है?
सूखे पड़े हैं पेड़ यहाँ,
इन्हें परिंदों का इंतज़ार क्यों है...

म्हारा हरियाणा
म्हारा हरियाणा
--
चाँद की लालटेन 

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गाय और आयुर्वेद 

एक बड़ी पुरानी कहावत है, हम गाय नहीं पालते, गाय हमें पालती है। हम भी गाय द्वारा ११ वर्ष पालित रहे हैं। गाय का घर में होना स्वास्थ्य के लिये एक वरदान है। खाने के लिये भरपूर दूध, दही, मठ्ठा, मक्खन और घी। खेत के लिये गोबर और ईँधन के रूप में गोबर के उपले। गोमूत्र से कीटनाशक और गाय के बछड़े से खेत जोतने के लिये बैल। खेत में उपजे गेहूँ से ही चोकर, अवशेष से भूसा और सरसों से खली। अपने आप में परिपूर्ण आर्थिक व्यवस्था का परिचायक है, गाय का घर में होना...
न दैन्यं न पलायनम्
--
वसंत न जाना तुम !!

आसमान का रंग हो आज चाहे  फीका 
आज बारिश भी न कर पाये तन को गीला 
फूल चाहे आज खिले अधखिले से 
पर आज तुम मिले 
आज ही वसंत !! 

कविता

21 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    सुन्दर रूप चर्चा मंच का |
    पठनीय सूत्र | मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छे लिंक्स के बीच अपना लिखा देखना सुखद है !
    आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं
  3. "जीवन किसका है" को चर्चा में सम्मान देने के लिये धन्यवाद राजीव. सुन्दर संयोजन. :)

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सार्थक व पठनीय सूत्र ! मेरे सृजन को भी सम्मिलित किया आभारी हूँ !

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर सूत्र संयोजन राजीव । उलूक के सूत्र 'शिकायत करने की हर बात पर बीमारी हो गई हो जिसे
    उसका इलाज ही नहीं कहीं हो पाता है' को जगह दी आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. आज की इन्द्रधनुषी चर्चा बहुत अच्छी लग रही है।
    उपयोगी लिंकों से साक्षात्कार करवाने के लिए राजीव कुमार झा जी आपका आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सार्थक व पठनीय लिंको के साथ बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, आपका बहुत बहुत आभार राजीव जी।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  9. हर बार की तरह बढ़िया प्रस्तुति व कमाल के सूत्र , राजीव भाई व मंच को धन्यवाद !
    हिंदी ब्लॉग जगत में एक नए ब्लॉग की शुरुवात हुई है कृपया आप सब से विनती है कि एक बार अवश्य पधारें , व अपना सुझाव जरूर रक्खें , धन्यवाद ! ~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~ ( एक ऐसा ब्लॉग -जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता है )

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बढ़िया लिंक्स...सुन्दर चर्चा...
    अपनी रचना का लिंक यहाँ पाकर प्रसन्नता हुई.

    आभार
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  11. बड़े ही रोचक व पठनीय सूत्र, आभार।

    जवाब देंहटाएं
  12. राजीव जी, नमस्कार! बहुत उम्दा लिंक्स, अच्छी रचनाओं से रूबरू करने के लिए आभार...मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद...

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