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सोमवार, जून 02, 2014

"स्नेह के ये सारे शब्द" (चर्चा मंच 1631)

मित्रों।
सोमवार की चर्चामें मेरी पसंद के लिंक देखिए।
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रस्म ग़ाफ़िल से निभायी न गयी 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़ि
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कितना रौशन रौशन उसका चेहरा है 

कितना रौशन रौशन उसका चेहरा है
बैठा उस पर काले तिल का पहरा है...
सत्यार्थमित्र पर सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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कितने अनजान थे हम हर्फ़ लुटाते रहे 

कितने अनजान थे हम हर्फ़ लुटाते रहे,
यूँ ही गैरों को हम ये हुनर सिखाते रहे ।
Harash Mahajan
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मैं उदास हूँ.. 

पानी में पानी का रंग तलाशना जता देना है 
कि मैं उदास हूँ। 
ख़ुशी में ग़म तलाशना जता देना है कि 
मैं उदास हूँ...
नयी उड़ान + पर Upasna Siag 
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जिंदगी के रंगमंच पर !!! 

जिंदगी के रंगमंच पर लगाकर आईना जिंदगी ने,
हर लम्‍हा इक नया ही रंग दिखाया है जिंदगी ने ।

ख्‍वाब, हो ख्वाहिश हो या फिर हो कोई जुस्‍तजू,
कदमों का साथ हर मोड़ पे निभाया है जिंदगी ने...
SADA पर  सदा 
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डायरी के पन्ने- 21 

My Photo
नीरज कुमार ‘जाट’
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*सपनें*  

सपनों के करीब 

झिलमिलाते हैं उसके 
कहते हैं कि सपने 
आसमान से आते हैं 
My Photo
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कार्टून :-  

जब हँसाने वाले मुखौटे डराने लगे ... 

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"देवालय का सजग सन्तरी" 


देवालय का सजग सन्तरी,
हर-पल राग सुनाता है।
प्राणवायु को देने वाला ही,
पीपल कहलाता है।।

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभा
    सूत्रों का अच्छा संकलन |
    प्राणवायु मिलती जब कुछ अटका कुछ भटका मन स्थिर होता |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  2. बढ़िया चर्चा अच्छे लिंक मिले आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति !

    जवाब देंहटाएं
  4. Thanx Mayank Ji.... happy to be here among rainbow collection of links.

    जवाब देंहटाएं

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