दफनाये बैठा है हर ह्रदय
सपन कोई
दर्द को समेटे हो,जैसे पिन
कुशन कोई
कांपती हवाओं पर,तैरती
घटाओं पर
मुदित है मौसम का अनुवादित
मन कोई
आँखों की क्या कहिए,हो सके
तो चुप रहिए
आहत है जंगल में आजकल हिरण
कोई
उतरी है मीरा सी,आत्मा
अधीरा सी
गली-गली चर्चित है चाँद की
किरण कोई
शब्द-शब्द तीखा है,आलपिन
सरीखा है
आंसुओं में डूबा है,जिंदगी
भजन कोई
सपनों के मानचित्र-जैसा,बस
एक मित्र
अंकित है पलकों की कोर पर
चुभन कोई
(साभार : सुरेश कुमार)
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नमस्कार !
रविवारीय 'चर्चा मंच' में
राजीव कुमार झा का अभिवादन.
आज की चर्चा में शामिल लिंक्स हैं...
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आज फिर खिलकर, बिखरा पारिजात ....!!
अनुपमा त्रिपाठी
अजस्र सौरभ सहस्त्रधारा ,
लाई वसुंधरा
नवल सौगात !!
थक गईं नजरें तुम्हारे दर्शनों की आस में।
आ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में।।
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जगजीत सिंह : गली कासिम से चली एक गजल की झंकार था वो ..
मनीष कुमार
जगजीत सिंह को गुजरे यूँ तो तीन साल हो गए......
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ख्यालों की चिड़िया........
poonam matiya
ये ख्यालों की चिड़िया भी बड़ी चुलबुली
कभी यहाँ, कभी वहां उड़, बैठ जाती
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करवा चौथ का चाँद-------
ज्योति खरे
चाँद तो मैंने
उसी दिन रख दिया था
हथेली पर तुम्हारे
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तुम तो खुद भी औरत हो
नमस्कार !
रविवारीय 'चर्चा मंच' में
राजीव कुमार झा का अभिवादन.
आज की चर्चा में शामिल लिंक्स हैं...
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आज फिर खिलकर, बिखरा पारिजात ....!!
अनुपमा त्रिपाठी
अजस्र सौरभ सहस्त्रधारा ,
लाई वसुंधरा
नवल सौगात !!
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वंदना गुप्ता
शाम के धुंधलके मे
सागर मे आगोश मे
सिमटता सूरज जब
रात की स्याही ओढता था
सागर मे आगोश मे
सिमटता सूरज जब
रात की स्याही ओढता था
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आ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में।।
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जगजीत सिंह : गली कासिम से चली एक गजल की झंकार था वो ..
मनीष कुमार
जगजीत सिंह को गुजरे यूँ तो तीन साल हो गए......
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ख्यालों की चिड़िया........
poonam matiya
ये ख्यालों की चिड़िया भी बड़ी चुलबुली
कभी यहाँ, कभी वहां उड़, बैठ जाती
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करवा चौथ का चाँद-------
ज्योति खरे
चाँद तो मैंने
उसी दिन रख दिया था
हथेली पर तुम्हारे
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तुम तो खुद भी औरत हो
कुलदीप ठाकुर
आयी थी मैंजब इस घर में,
कहां था मैंने तुम को मां,
तुमने भी बड़े प्रेम से,
मुझे बेटी कहकर पुकारा था,
कहां था मैंने तुम को मां,
तुमने भी बड़े प्रेम से,
मुझे बेटी कहकर पुकारा था,
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डॉ. टी.एस.दराल
मुम्बई के आस पास भी कुछ स्थान ऐसे हैं जहां मुम्बईकार सप्ताहांत मज़े से बिताकर तरो ताज़ा महसूस कर सकते हैं ! इन्ही मे से एक है , केन्द्रीय शासित प्रदेश दमन !
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यशवंत 'यश'
बज रहा है
कभी धीमा
कभी तेज संगीत
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कोई यहाँ दिल लूटता कब था
दिलबाग विर्क
दिलबाग विर्क
ख़ुदा तू ही, सिवा तेरे किसी को पूजता कब था
तेरा दर छोड़, मेरा दूसरा कोई पता कब था ।
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रविकर
ता ता थैया ता ता थैया |
मैया लेती रही बलैया |
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डॉ. जेन्नी शबनम
काजल थक कर बोला -
मुझसे अब और न होगा
नहीं छुपा सकता
उसकी आँखों का सूनापन,
मुझसे अब और न होगा
नहीं छुपा सकता
उसकी आँखों का सूनापन,
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आनंद पाठक
तलाश जिसकी थी वो तो नहीं मिला फिर भी
उसी की याद में ये दिल है मुब्तिला फिर भी
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राजीव कुमार झा
'चिट्ठी न कोई सन्देश......'
दिवंगत जगजीत सिंह की यह चर्चित गज़ल आज के सन्दर्भ में भी मौजूं है.
दिवंगत जगजीत सिंह की यह चर्चित गज़ल आज के सन्दर्भ में भी मौजूं है.
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आशीष अवस्थी
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अमित कुमार
हम पढ़ल-लिखल सुच्चा बेरोजगार छी
सब जगह दबल छी आ सब ठाँ लचार छी
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विकेश कुमार बडोला
आज आर. के. नारायण का 108वां जन्म-दिवस है। दक्षिण भारतीय अंग्रेजी लेखक और उत्तर भारतीयों में मालगुडी डेज के लेखक के रूप में प्रसिद्ध नारायण अपने समय के बड़े उत्प्रेरक लेखक रहे।
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राजीव उपाध्याय
सूरज! तू क्या संग लाया है?
आशाओं को,
क्या पीली किरणों में बिखराया है?
सूरज! तू क्या संग लाया है?
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हिमकर श्याम
खूब होती शरारत मेरे साथ भी
सब्र को अब मिले कोई सौगात भी
सब्र को अब मिले कोई सौगात भी
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सुशील कुमार जोशी
छोटे छोटे फूल
रंग बिरंगे और
कोमल भी
बिखरते हुऐ
रंग बिरंगे और
कोमल भी
बिखरते हुऐ
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परी ऍम 'श्लोक'
कोशिश वही
कामयाब होती है
जिसकी नेक सोच से
शुरुआत होती है
कामयाब होती है
जिसकी नेक सोच से
शुरुआत होती है
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धन्यवाद !
अच्छे लिंकों के साथ बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपका आभार आदरणीय राजीव कुमार झा जी।
बहुत सुंदर लिंक्स
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा...
जवाब देंहटाएंआभार।
मुझे बहुत निराशा होती है जब लोग लिंक्स तक पहुँचते ही नहीं फिर भी उनको लिंक्स अच्छे, सुंदर,लाजवाब और खुबसुरत लगते हैं.... उनकी अंतर्यामिता को मेरा दंडवत प्रणाम.
जवाब देंहटाएंकिसी का लिंक यहाँ लगाया जाय और उस लिंक पर चर्चा मंच के माध्यम से एक भी व्यक्ति (लेखक/लेखिका) वहां नहीं पहुँचता तो फिर चर्चा मंच का कोई औचित्य नहीं है.
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चर्चा मंच पर आये और सीधा कमेंट बॉक्स में रटा-रटाया कमेंट किया और चले गये.... ये खिलवाड़ सा लगता है.
नियत में सुधार की जरूरत है.
(कृपया अन्यथा न लेवें)
:)
हटाएंब्वाहाहाहा :D
हटाएंसुंदर प्रस्तुति व लिंक्स , मेरी रचना को शामिल करने हेतु आपको धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुती ।मेरी रचना शामिल करने केलिए सादर आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चयन ,अभी पूरे नहीं पढ पाई ,पर आपको धन्यवाद और बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा । 'आठ सौंवा पन्ना ‘उलूक’ का बालिकाओं को समर्पित आज उनके अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर' को स्थान देने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स-सह- चर्चा प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंआभार!........
बहुत सुंदर लिंक्स !!आभार मेरी रचना को अपने यहाँ स्थान दिया राजीव कुमार झा जी !!
जवाब देंहटाएंराजीव जी, नमस्कार! सुंदर चर्चा, उम्दा लिंक्स...बहुत-बहुत आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिये...
जवाब देंहटाएंBahut sunder links ...chanchamanch par meri rachna ko sthaan dene ke liye aapka aabhaar !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा। धन्यवाद राजीव जी।
जवाब देंहटाएंआभार यहाँ मेरे लेख को शामिल करने के लिए !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा -
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
बहुत बहुत धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनायें
सभी रचनाकारों को बधाई
चर्चा मंच वाकई रचनाओं को शिखर पर ले जाता है
मुझे सम्मलित करने का आभार