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बुधवार, अक्टूबर 29, 2014

आइये मनाते हैं बासी दीपावली : चर्चा मंच 1781

1
पंकज सुबीर 
2
smt. Ajit Gupta 
3
चरित्र  (पुरुषोत्तम पाण्डेय) 
4
5
shikha kaushik 
6
7
Asha Joglekar
8
Admin Deep
9
विशाल चर्चित 
11
13



आप आकर मिले नहीं होते
प्यार के सिलसिले नहीं होते

बात होती न ग़र मुहब्बत की
कोई शिकवे-गिले नहीं होते.. 
14
Anita 
15

16
कार्ट्रून:-अब बच कर कहां जाएगा कालाधन

Kajal Kumar 

14 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्सआज की |

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    छटपूजा की सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएँ।
    --
    आभार रविकर जी आपका।

    जवाब देंहटाएं
  3. बढ़िया ग़ज़ल कही है भाई साहब :

    बात होती न ग़र मुहब्बत की
    कोई शिकवे-गिले नहीं होते

    जवाब देंहटाएं
  4. सेतु सारे मन को भाएं ,जब जब रविकर आएं

    जवाब देंहटाएं
  5. सेतु सारे मन को भाएं ,जब जब रविकर आएं

    हम भी अच्छे भले होते ,

    गर तुमसे यूं मिले होते।

    जवाब देंहटाएं
  6. अति सुन्दर दर्शन लिए आई है ये रचना यहां सब कुछ तेज़ी से बदल रहा है।

    दिमाग का भार याद रख
    और दिल का हलका फूल मत भूल
    सुशील कुमार जोशी उलूक टाइम्स

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर बुधवारीय चर्चा । 'उलूक' का आभार सूत्र 'दिमाग का भार याद रख और दिल का हलका फूल मत भूल' को स्थान देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं

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