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बासी दीपावली मनाना भी तो परंपरा है ।
और वैसे भी दीपावली तो
देव प्रबोधनी एकादशी तक रहती है ।
तो आइये मनाते हैं बासी दीपावली ।
और वैसे भी दीपावली तो
देव प्रबोधनी एकादशी तक रहती है ।
तो आइये मनाते हैं बासी दीपावली ।
पंकज सुबीर
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smt. Ajit Gupta
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चरित्र (पुरुषोत्तम पाण्डेय)
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मिशन मोहब्बत!anjana dayal
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shikha kaushik
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Asha Joglekar
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Admin Deep
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विशाल चर्चित
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कार्ट्रून:-अब बच कर कहां जाएगा कालाधन
आप आकर मिले नहीं होते
प्यार के सिलसिले नहीं होते
बात होती न ग़र मुहब्बत की
कोई शिकवे-गिले नहीं होते..
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Anita
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कार्ट्रून:-अब बच कर कहां जाएगा कालाधन
Kajal Kumar
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्सआज की |
आदरणीय सर...सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंछटपूजा की सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएँ।
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आभार रविकर जी आपका।
achcha hai shubhkamnayen
जवाब देंहटाएंबढ़िया ग़ज़ल कही है भाई साहब :
जवाब देंहटाएंबात होती न ग़र मुहब्बत की
कोई शिकवे-गिले नहीं होते
सेतु सारे मन को भाएं ,जब जब रविकर आएं
जवाब देंहटाएंसेतु सारे मन को भाएं ,जब जब रविकर आएं
जवाब देंहटाएंहम भी अच्छे भले होते ,
गर तुमसे यूं मिले होते।
अति सुन्दर दर्शन लिए आई है ये रचना यहां सब कुछ तेज़ी से बदल रहा है।
जवाब देंहटाएंदिमाग का भार याद रख
और दिल का हलका फूल मत भूल
सुशील कुमार जोशी उलूक टाइम्स
सुंदर बुधवारीय चर्चा । 'उलूक' का आभार सूत्र 'दिमाग का भार याद रख और दिल का हलका फूल मत भूल' को स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर बुधवारीय चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
Sunder links.....sunder charcha manch ki prastuti..... Aabhar !!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा
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