(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
उपासना में वासना, मुख में है हरिनाम।
सत्संगों की आड़ में, होते गन्दे काम।।
कामी. क्रोधी-लालची, करते कारोबार।
राम नाम की आड़ में, दौलत का व्यापार।।
उपवन के माली स्वयं, कली मसलते आज।
आशाएँ धूमिल हुईं, कुंठित हुआ समाज।।
गुरूकुलों के नाम को, कर डाला बदनाम।
सत्संगों की आड़ में, होते गन्दे काम।१।
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सिद्धेश्वर सिंह
यह जो है एक दीवार
कालेपन से रंगी
इसी पर उभरते हैं उजले अक्षर
इसी पर पर उतराती है उम्मीद
इसी पर सहेजे जाते हैं स्वप्न।
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प्रबोध कुमार गोविल
शीघ्र आने वाली दीवाली के सन्दर्भ में एक अपील फेसबुक पर पढ़ी। इसमें कहा गया है कि यदि दीपोत्सव पर चाइनीज़ लाइटें,बल्ब,लैंम्प, पटाखों आदि का प्रयोग किया जायेगा तो चाइना तीन सौ करोड़ रूपये से अमीर हो जायेगा, किन्तु यदि इनकी जगह मिट्टी के दिए जलेंगे तो कुम्हार रोजगार पाएंगे और देश का पैसा देश में रहेगा। राष्ट्रप्रेम और मानवता की इस भावना को नमन, लेकिन …?
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वन्दना गुप्ता
मित्रों इस बार के 'हिंदी चेतना' का अक्टूबर से दिसम्बर 'कथा - आलोचना विशेषांक' में मेरे द्वारा लिखी गयी हिंदी चेतना पत्रिका की समीक्षा (पेज ७ ) और एक आलोचनात्मक पाठकीय दृष्टिकोण ( ८९-९० पेज ) छपा है।
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रेवा टेबरीवाल
मुट्ठी भर एहसास
जो हर बार
भर लेती हूँ ........
फिसल जाती है
रेत की तरह
उँगलियों के कोरों से .......
थाम लेती हूँ
प्रतिभा सक्सेना
पीछे वाले क्रीक के दोनों ओर बाजरे जैसी कलगी वाली लंबी-लंबी घासें उग आई हैं.फिर ऊँचे पेड़ों की पाँत, साइकिल और पैदल वालों की लेन के बीच के ढाल को
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शशि पुरवार
पटना का वह घर जहाँ बचपन ने उड़ान भरी थी,पटना बाद में तो कभी नहीं जा ही सकी, जिनके साथ वो हसीन यादें जुड़ीं थी वो तो कब से तारे बन गए. आज ४० वर्षों बाद भी बाहर से यह घर वैसा ही खड़ा है कुछ परिवर्तन नहीं दिखा। २०- २५ कमरों का यह घर जहाँ चप्पे चप्पे पर बचपन की अनगिन यादें जुडी है। चुपके से तहखाने में छुप जाना, आँगन में खेलना ......
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निवेदिता दिनकर
देखो, कैसी सजी धजी,
मुस्कराहट की चादर ओढ़े,
चलती फिरती,
आलिशान घरों में …
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रोहितास घोरेला
प्यार की नियत, सोच, नज़र सब हराम हुई
इसी सबब से कोई अबला कितनी बद्नाम हुई.
इंतजार, इज़हार, गुलाब, ख़्वाब, वफ़ा, नशा
उसे पाने की कोशिशें तमाम हुई सरेआम हुई
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सृजनकर्ता सृजन क्यों करता है? साहित्य का उद्देश्य क्या है? यश, कीर्ति, मनोरंजन, रुपए कमाना, समाजहित करना या और कोई? अब साहित्य का क्षेत्र सीमित नहीं रहा है, उसमें परिवर्तन हो गए हैं। अनेक विधाएं और विधाओं के अंतर्गत कई प्रकारों में लेखन हो रहा है। उपन्यास विधा में चर्चित बना प्रकार आंचलिक उपन्यास।
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प्रभात रंजन
यह मेरी पहली चेतन भगत की किताब थी और शायद यह आख़िरी भी होगी। चेतन भगत, मैं आपकी बुराई या कुछ, नहीं कर रहा लेकिन इस किताब की कहानी क्या है? एक लड़का था माधव,एक लड़की थी रिया। माधव को दोस्ती से बढ़कर कुछ और चाहिए था। लेकिन रिया बस एक दोस्त बनना चाहती थी। मुझे पूरी किताब पढ़ते हुए लगा कि सर चेतन भगत इस कहानी को बस खींचते जा रहे हैं। कहानी के मसाले में उपन्यास।
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चेतन रामकिशन 'देव"
नयन नींद से रिक्त हो गए, स्मृति में छवि तुम्हारी।
स्वांस भी आती कठिनाई से, गतिशीलता हुयी है भारी।
स्पंदन भी मौन हो गया, और स्वप्न भी टूट गए हैं,
प्रेम समर्पित कर दो जो तुम, रहूँ तुम्हारा मैं आभारी।
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शकुन्तला शर्मा
सुरेश स्वप्निल
जंग हो जज़्बात की ये सिलसिला अच्छा नहीं
दोस्ती में रात-दिन शिकवा-गिला अच्छा नहीं
उम्र भर का साथ हो तो क्या ख़ुदी, कैसी अना
हमसफ़र से क़दम पर फ़ासला अच्छा नहीं
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आशा सक्सेना
वह बैठा निहारता
पुष्पों भरी क्यारियां
टहनियां झुक झुक जातीं
कुसुमों के भार से |
अनायास तेरा आना
रंग बिरंगे फूल चुनना
महावरी पैर बढ़ाना
झुकना और सम्हलना |
Abhimanyu Bhardwaj
गूगल क्रोमबुक एक अलग ही प्रकार का लैपटॉप है, जो गूगल के ख्ाास ऑपरेटिंग सिस्टम क्रोम पर चलता है, इसमें स्टार्ट मेन्यू के स्थान पर क्रोम एप्लीकेशन लॉन्चर दिया गया है, जो क्रोम बेव स्टोर से जुडा रहता है और जब अाप क्रोम बेव स्टोर से कोई भी एप्लीकेशन डाउनलोड करते हैं, तो वह सीधे क्रोम एप्लीकेशन लॉन्चर में दिखाई देती हैं,
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परी ऍम 'श्लोक
उसका न ही पता मालूम
और न ही ठिकाना.....
मगर
इतनी खबर तो है मुझे
कि आज फिर वो
रात भर जागे होंगे
आँखो को मसलते हुए....
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धन्यबाद,
बहुत ही सुंदर शुक्रवारीय चर्चा सुंदर सूत्रों के साथ राजेंद्र जी ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी।
जवाब देंहटाएं--
आज की चर्चा में बहुत ही उम्दा लिंकों का चयन किया है आपने।
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आपके श्रम को नमन है।
बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंआभार!
सुंदर सूत्रों के साथ बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा, सार्थक लिंको का चयन ,आभार मित्रवर ,
जवाब देंहटाएंAapke chayan me vividhata ke sath-sath vichaarvaan baaton ka samavesh bhi hai.Achchha laga.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति, ,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंSabhi links lajawaab....meri rachna shamil karne ke liye aapka hardik aabhaar ...!!
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