कहूं क्या
मेहरबानी की कहानी
फटी आँखों
में पानी की कहानी
कलेजा और
फुरसत हो तो बोलो
सुनाऊं
जिंदगानी की कहानी
नसों को मल
रहा हूं याद करके
लहू की द्रुत
रवानी की कहानी
इस ऐंठी जीभ
से संभव नहीं है
सुनाना
नागरानी की कहानी
बुढ़ापे की
जहाँ शुरुआत होती
वहीँ पूरी
जवानी की कहानी
यूँ परिभाषित
करूं मैं जिंदगी को
कहूं किससे
परेशानी की कहानी
(साभार : केशव शरण)
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नमस्कार ! रविवारीय चर्चा में
राजीव कुमार झा का अभिवादन.
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आज की चर्चा में शामिल लिंक्स हैं.......
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डॉ. अरविन्द मिश्र
दीवाली की अनेक यादें हैं। इस बार अपने पैतृक निवास जा नहीं पाया तो यादें और भी सघन हो मन में उमड़ घुमड़ रही हैं। हमारे लिए दीवाली का मतलब ही होता था पटाखों और फुलझड़ियों का प्रदर्शन। एक माह पहले से ही छुरछुरी ( पूर्वांचल में फुलझड़ियों को इस नाम से भी पुकारते हैं ) इकट्ठी करना शुरू हो जाता था जिसमें किशोरावस्था की देहरी पर खड़े समवयी हम कुछ बच्चे बड़े बुजुर्गो से आँख बचा बचा कर एक गोपनीय संग्रह करते जाते थे.
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अशोक पाण्डे
मैं भटकता हूँ
जीवन के नाले में
किसी पुराने तिरपाल के थैले की तरह लिए अपनी स्मृति,
टपकते हुए फ़रिश्ते
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अरुण देव
ग़ज़ल कविता का ऐसा ढांचा है जो ब-रास्ते फारसी से होते हुए दुनिया की अधिकतर भाषाओँ में मकबूल है.
बात रुक-रुक कर बढ़ी, फिर हिचकियों में आ गई
फोन पर जो हो न पायी, चिट्ठियों में आ गई
सुब्ह दो ख़ामोशियों को चाय पीते देख कर
गुनगुनी-सी धूप उतरी, प्यालियों में आ गई
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वंदना गुप्ता
रंगों को नाज़ था अपने होने पर
मगर पता ना था
हर रंग तभी खिलता है
जब महबूब की आँखों में
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बी.एस. पाबला
मेरी चुप्पी भांप उन्होंने एक तकनीकी जिज्ञासा जाहिर की. उन्होंने एक संवेदनशील ई मेल अपने किसी सहयोगी को भेजी थी और उत्तर की हफ्तों प्रतीक्षा करने के बाद उस संदर्भ में बात की तो वह सहयोगी साफ़ मुकर गया कि ऎसी कोई ई मेल उसे मिली है.
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कुलदीप ठाकुर
हर उत्सव, त्योहारों पर,
होती थी मेरी पूजा,
हर पूजा, यज्ञ के भोग का,
प्रथम अंश मुझे खिलाते थे...
होती थी मेरी पूजा,
हर पूजा, यज्ञ के भोग का,
प्रथम अंश मुझे खिलाते थे...
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विजयलक्ष्मी
" वो कोई और होंगे चेहरे पे गजल कहने वाले ,
उजला मन चांदनी छलकी तब गजल बनती है
उजला मन चांदनी छलकी तब गजल बनती है
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Krishan Veer Singh
भैया दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भारतीय समाज में परिवार सबसे अहम पहलू है।
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यज्ञ-हवन करके बहन, माँग रही वरदान।
भइया का यमदेवता, करना शुभ-कल्याण।।
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अमित मिश्र
देहक डिबियामे साँसक तेल अजब
अन्तिम गति बुझितो नेहक मेल अजब
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राजीव कुमार झा
बचपन में माँ की डायरी में पढ़ी लोकगीत की एक कड़ी,आज अनायास ही याद आ गई है. .......
“महल पर कागा बोला है री”
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शरारती बचपन पर sunil kumar
---------------------मेरे दोहे ....
Kunwar Kusumesh
---------------------भारतीय मूल की दो बेटियों ने
चिकित्सा क्षेत्र में किया कमाल
शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav
---------------------आओ! जाने क्या है ‘भर्तृहरि-नीति‘ ?
धरती की गोद पर
Sanjay Kumar Garg
---------------------अम्बर तो श्वेताम्बर ही है
गों को नाज़ था अपने होने पर
मगर पता ना था हर रंग तभी खिलता है
जब महबूब की आँखों में
मोहब्बत का दीया जलता है..
vandana gupta
---------------------कार्टून :-हाफ़ स्वेटर वाले मंत्री जी
खोज सुख की
प्रेम की पिपास अन्तर्निहित है जो,
घूमते चहुँ ओर उसके कर्म सारे ।
दे सके जो हर किसी को प्रेम तृप्ति,
बिका उसको कौड़ियों के मूल्य जीवन...
हम दीपावली क्यों मनाते हैं ?
....मेरे लिए यह गर्व का विषय है कि मेरा संबंध रफ़ी साहब के ज़िला बाराबंकी (दरियाबाद ) से है और मैं भी अपने बाबा जी, बाबू जी व नाना जी की भांति ही आज भी ईमानदारी के मार्ग पर चल कर पग-पग पर काँटों का सामना कर रहा हूँ। 24 अक्तूबर रफ़ी अहमद किदवई साहब का स्मृति दिवस है तो हमारे पिता जी स्व.ताजराज बली माथुर साहब का जन्मदिन है ।
विजय राजबली माथुर
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व्यंग:
दीपावली की आधुनिकता और प्रभु की दुविधा
Vikram Pratap singh
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छोट-बड़े का भेद तज, हों सब आज समीप !
भेद-भाव को त्याग कर, साथ जलायें दीप !!
देवदत्त प्रसून
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पंकज गोयल
जानाँ दिल का शहर, नगर अफ़सोस का है
तेरा मेरा सारा सफ़र अफ़सोस का है
किस चाहत से ज़हरे-तमन्ना माँगा था
और अब हाथों में साग़र अफ़सोस का है
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अभिमन्यु भारद्वाज
आईये जानते हैं एंड्राइड मोबाइल के वो टिप्स और ट्रिक्स जिनसे आप अपने एंड्रॉयड एंड्राइड मोबाइल को और भी बेहतरीन तरीके से यूज कर सके और उसका भरपूर फायदा उठा सकें -
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अल्पना वर्मा
स्त्री! तुम्हारी पीठ की लकीर रखनी होगी
तुम्हें हमेशा सीधी!
क्योकि यही करेगी तुम्हारे काँधे के बोझ का संतुलन
और यही रखेगी तुम्हारा सर ऊँचा !
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आशीष अवस्थी --------------------------
धन्यवाद !
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स |
चर्चा का आरंभ सुंदर कविता से किया गया...
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं लाजवाब है...मुझे भी स्थान दिया।
आभार।
सुन्दर रचनाओं का संकलन
जवाब देंहटाएंकहूं क्या जिंदगानी की कहानी
हर सुबह हर शाम आती है सुनामी
कलेजा थाम कर अक्सर बैठ जाता हूं
खूँ से लथपथ है कफ़े-गुलचीं की कहानी
सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआभार।
आदरणीय शास्त्री जी व झ साहब को धन्यवाद एवं आभार मेरे ब्लाग-पोस्ट को शामिल करने हेतु ।
जवाब देंहटाएंशास्त्री द्वारा लगाया 'हवन' का चित्र व दोहा अति उत्तम है।
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए आभार
सुंदर लिंक्स व प्रस्तुति , आदरणीय राजीव सर व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत सुंदर चर्चा सुंदर सूत्रों के साथ राजीव ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआभार!
बेहतरीन प्रस्तुति
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जवाब देंहटाएंAndroid Mobile Tips And Tricks In Hindi nice post hai
Mujhe Bahut Pasand aai
जवाब देंहटाएंinteresting topic very useful Thanks
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