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मंगलवार, अक्टूबर 28, 2014

"माँ का आँचल प्यार भरा" (चर्चा मंच-1780)

मित्रों।
आदरणीय रविकर जी उत्तरप्रद्श के प्रवास पर हैं।
मंगलवार की चर्चा में मेरी पसन्द के लिंक देखिए।
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जन गण मन के 5 पद...  

गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा 1911 में रचित इस रचना के पहले पद को भारत का राष्ट्रगान होने का गौरव प्राप्त है। रचना में कुल पाँच पद हैं। राष्ट्रगान के गायन की अवधि लगभग 52 सेकेण्ड है । कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान संक्षिप्त रूप में भी गाया जाता है, इसमें प्रथम तथा अन्तिम पंक्तियाँ ही बोलते हैं जिसमें लगभग 20 सेकेण्ड का समय लगता है। संविधान सभा ने जन-गण-मन को भारत के राष्ट्रगान के रुप में 24 जनवरी 1950 को अपनाया था। इसे सर्वप्रथम 27 दिसम्बर 1911 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था। इस रचना की भाषा संस्कृत-मिश्र बांग्ला है... 

रवीन्द्रनाथ ठाकुर

आपका ब्लॉग पर kuldeep thakur
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चौराहा 

Kailash Sharma 
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गर्दनों पे आरियाँ चारों तरफ हैं 
खून की पिचकारियाँ चारों तरफ हैं 
ना किलेबंदी करें तो क्या करें हम 
युद्ध की तैयारियाँ चारों तरफ हैं... 
स्वप्न मेरे... पर Digamber Naswa 
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पशोपेश में हूँ 

जिस तरह 

संदेह के  बादलों से नहीं नापी जा सकती पृथ्वी की गहराई
दम्भ के झूठे रागों से नहीं बनायीं  जा सकती मौसिकी 
उसी तरह 
संदिग्ध की श्रेणी में रखा है खुद को ...
एक प्रयास पर vandana gupta
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बबन विधाता 

बबन विधाता लेके छाता, 
निकल पड़े बरसात में। 
फिसले ऐसे गिरे जोर से, 
कैसे चलते रात में। 
कीचड़ में भर गए थे कपड़े, 
देखे बबन विधाता। 
इसी बीच में उड़ गया उनका, 
रंग-बिरंगा छाता... 
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आज आप सब को एक नई जानकारी देता हूँ मेरे शरारती बच्च १८५७ को अंग्रेज गदर मानते है पर हम लोग उसे स्वतंत्रता का प्रथम युद्द मानते है -- उस युद्द में जहा देश के सारे लोगो ने अपने प्राणों की आहुति दी वही पर महारानी लक्ष्मी बाई की बुआ महारानी तपस्वनी और देवी चौधरानी ये दो महान बलिदान को भुलाया नही जा सकता है... 
शरारती बचपन पर sunil kumar 
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इरादा 

उसकी सारी कोशिशे सारी जिद अनसुनी कर दी गईं। लाख सिर पटकने पर भी उसकी माँ ने उसे तैरना सीखने की अनुमति नहीं दी। मछुआरे का बेटा तैरना ना जाने , बस्ती के लोग हँसते थे पर वो डरी हुई थीं... 
कासे कहूँ? पर kavita verma
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"गुस्ताख़ी" 

आज पन्ना है सहमा हुआ 
डरा स्याही का क़तरा हुआ 
गम ए इश्क़ आ सीने से लग जा ज़रा 
दिल को आघात बहुत गहरा हुआ... 
तात्पर्य पर कवि किशोर कुमार खोरेन्द्र
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सुनो पथिक अनजाने तुम 

कविताओं में "तुम " शब्द का प्रयोग 
कविता को व्यापक विस्तार देता है... 
उसी विषय पर आधारित रचना...  
सुनो पथिक अनजाने तुम 
लगते बड़े सुहाने तुम 
कविताओं में आते हो 
अपनी बात सुनाने तुम... 
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु 
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यूँ तो टूट जाती है कसमें

वक़्त के सलीबों से टकरा कर
वादें भूल जाते हैं
या फिर जान-बूझ कर
भुला दिए जातें है
मगर
तुम्हे इक मौका है
आओ!
मेरी यकीन को हवा दे दो... 

© परी ऍम. "श्लोक
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... "प्रिय मित्र.. 
यूँ अंतर्मन की लकीरों को 
आपसे बेहतर कौन पढ़ सकता है..?? 
इन आड़ी-तिरछी बेबाक़..अशांत.. 
अविरल लहरों का माप और ताप.. 
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कुछ इस कदर, कुछ इस तरह का, गुमाँ है उन्हें 'उदय' 
शाम, शमा, दीप, रौशनी, सब खुद को समझते हैं वो ? 
सच ! तेरे इल्जामों से, हमें कोई परहेज नहीं है 
हम जानते हैं, तू आज भी मौक़ा न चूकेगी ?? 
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तुझे   मेरे  आँसुओं  की   कसम।
मुझे  माफ़  कर  दो  ओ  सनम।।
कभी दिल न दुखाऊँगा वादा मेरा।
मुझे   तेरे   गेसुओं   की   कसम।। 
मेरी सोच मेरी मंजिल पर 
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16 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर चर्चा...
    आभार आदरणीय आप का।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर...चर्चा मंच...बधाई ..डॉ.रूपचंद्र शास्त्री ' मयंक' जी..

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति सुंदर सूत्रों के साथ आभार 'उलूक' का सूत्र 'कहीं कोई किसी को नहीं रोकता है
    चाँद भी क्या पता कुछ ऐसा ही सोचता है ' को स्थान दिया ।

    जवाब देंहटाएं
  4. शास्त्री जी,सादर नमस्कार,
    सबसे पहले चर्चामम्च पर प्रस्तुत सुम्दर लिन्क्स के आभार,एक प्रार्थना के साथ कि आपने मुझे मंच तक तो पंहुचा दिया लेकिन मैंरे पास उसका कोई स्मृतिचिन्ह नहीम है,कृपया कुछ स्नेप्स यदि मेरी आई.डी पर दाल सकें तो आभारी रहूंगी.
    परिवारीजनोम को मेरा यथायोग्य पम्हुचे.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. चर्चा मंच के सुन्दर लाजवाब लिंक ...
    मुझे भी जगह देने का शुक्रिया आज की महफ़िल में ...

    जवाब देंहटाएं
  7. चर्चा मंच "माँ का आँचल प्यार भरा" में मुझे शामिल करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया।
    बहुत अच्छा प्रयास !
    मेरी सोच मेरी मंजिल

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर लिंक्स...बहुत रोचक चर्चा...आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर चर्चा
    मेरी रचना आज की चर्चा में शामिल करने के लिए सादर आभार ! :)

    जवाब देंहटाएं
  10. अच्छी लगी चित्रमय सुन्दर चर्चा .
    आभार.

    जवाब देंहटाएं
  11. धन्यवाद मयंक साब..

    सादर आभार..!!

    जवाब देंहटाएं
  12. Lajawaab links...umdaa charcha...meri rchna ko sthaan dene ke liye aabhaar !!

    जवाब देंहटाएं

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