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मंगलवार, अक्टूबर 07, 2014

"हमे है पथ बनाने की आदत" (चर्चा मंच:1759)

मित्रों।
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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रंग ज़िंदगी के.... 
गांठें ही गांठें हों जिसमें ऐसे बंधन देख लिए
कांटे ही कांटे हों जिसमें ऐसे दामन देख लिए

प्यार की दिलकश म्यानों में नफ़रत की शमशीर यहाँ
शिफ़ा के नाम पे ज़ख्म कुरेदे ऐसे मरहम देख लिए
मीठा भी गप्प, 
कड़वा भी गप्प पर निर्दोष दीक्षित - 
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इश्क़ 

मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा... 
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शादीशुदा आदमी की हालत 
बीबी क्या बला है हम आपको क्या बताये, 
आप भी तो उस दर से वाकिफ होंगे !
अगर ना मारे जाते होंगे तो क्या गम है, 
रोज-रोज मुर्गे बनाए जाते होंगे !!...

हिन्दी कविता मंच पर ऋषभ शुक्ला
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किताबों की दुनिया - 101 

नीरज पर नीरज गोस्वामी 
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"दोहा"दोहागीत-धर्म हुआ मुहताज" 
2250वीं पोस्ट
हैवानों की होड़ अबकरने लगा समाज।
खौफ नहीं कानून काबदले रस्म-रिवाज।।

लोकतन्त्र में न्याय सेहोती अक्सर भूल।
कौआ मोती निगलताहंस फाँकता धूल।।
धनबल-तनबल-राजबलजन-गण रहे पछाड़।
बच जाते मक्कार भीलेकर शक की आड़।।
माँ-बहनों के रूप कीलगती बोली आज।
खौफ नहीं कानून काबदले रस्म-रिवाज।१।...
उच्चारण

10 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर सूत्र संयोजन सुंदर चर्चा । आभार 'उलूक' का सूत्र 'बंद करके आँखों को कभी उजाले को अँधेरे में भी देखा जाये' को स्थान देने के लिये ।

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  2. sundar charcha aur meri rachana ko sthan dene ke liye dhanyvad.

    http://hindikavitamanch.blogspot.in/
    http://rishabhpoem.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. चिट्टों का सुन्दर संकलन। रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। आभार आपका। कुछ तो कहो क्यों चुप रहते हो - 2

    जवाब देंहटाएं
  5. बढ़िया चर्चा,रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  6. Sabhi links bahut hi lajawaab ...charcha me meri rachna shamil karne ke liye aapki aabhaari hun bahut ,,!!

    जवाब देंहटाएं
  7. रचनाओं की अहमियत यही से समझ आती है ,बढियाँ चर्चा

    जवाब देंहटाएं

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