मित्रों।
दीपोत्सव से जुडे पंचपर्वों के बाद
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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||| एक नयी शुरुवात |||
मैंने धीरे से आँखे खोली, एम्बुलेंस शहर के एक बड़े हार्ट हॉस्पिटल की ओर जा रही थी। मेरी बगल में भारद्वाज जी, गौतम और सूरज बैठे थे। मुझे देखकर सूरज ने मेरा हाथ थपथपाया और कहा, “ईश्वर अंकल, आप चिंता न करे, मैंने हॉस्पिटल में डॉक्टर्स से बात कर ली है, मेरा ही एक दोस्त वहाँ पर हार्ट सर्जन है, सब ठीक हो जायेंगा। “ गौतम और भारद्वाज जी ने एक साथ कहा, “हाँ सब ठीक हो जायेंगा।“ मैंने भी धीरे से सर हिलाकर हाँ का इशारा किया। मुझे यकीन था कि अब सब ठीक हो जायेंगा।
मैंने फिर आँखे बंद कर ली और बीते बरसो की यात्रा पर चल पड़ा। यादो ने मेरे मन को घेर लिया....
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नज़रिया ग़लत है....
ये मुमकिन नहीं है, कभी दिन न बदलें
नए दौर के साथ कमसिन न बदलें
मुखौटे जमा कर रखे हैं हज़ारों
बदलते रहें रोज़, लेकिन न बदलें...
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शिशु गीत / दीनदयाल शर्मा
लकड़ी का घोड़ा बड़ा निगौड़ा
खड़ा रहता है कभी न दौड़ा।
रसगुल्ला गोल मटोल रसगुल्ला
रस से भरा रसगुल्ला
मैंने खाया रसगुल्ला
अहा! मीठा रसगुल्ला...
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बात - बेबात : कवि जी : राहुल देव
इन कवि मित्र का असली नाम है चिरौंजीलाल लेकिन शहर की टूटपूंजिया काव्य परिषद् द्वारा साहित्य भूषण सम्मान से अपमानित किये जाने के बाद से जनाब साहित्य शिरोमणि साहित्य भूषण महाकवि चिरंजीव कुमार उर्फ़ ‘चिंटू’ कहाए जाते हैं. कुछ लोगों ने इनको चढ़ाचढ़ा कर इतना ऊपर चढ़ा दिया है कि अब शहर का कोई भी आयोजन इनके बिना अधूरा ही रहता है. चिंटू जी को भी यह ग़लतफ़हमी हो गयी है कि अब इनके बिना हिंदी साहित्य का काम नहीं चल सकता....
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इक ऐसा राज बताती हूँ.......!!!
चलो आज मैं तुम्हे...
इक बात बताती हूँ....
जो तुम कभी जान नही पाये...
इक ऐसा राज बताती हूँ.......
तुम्हे मैं जैसी पसंद हूँ....
वैसी तो मैं हूँ ही नही....
'आहुति' पर sushma 'आहुति'
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चन्द माहिया : क़िस्त 10
:1:
रंगोली आँगन की
देख रही रस्ता
गोरी के साजन की
:2:
धोखा ही सही ,माना
अच्छा लगता है
तुम से धोखा खाना...
आपका ब्लॉग पर
anand kumar pathak
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'मैं' रिश्तों का सूत्रधार !!!!
मैं का संसार
अनोखा होता है
कभी विस्तृत तो
कभी शून्य
मैं गुरू जीवन का
इसका ज्ञान इसका मंत्र
मैं का ही रूप
जिसके भाव अनेक
मैं परम साधक
तप की साधना में
मैं हिमालय पे नहीं जाता
ना ही रमाता है धूनी
ना ही जगाता है
सुप्त भावनाओं को
अलख निरंजन बोल के...
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पेश है हमारे भारतवासियों के लिए एक ऐसी खबर जिससे हमारा सबका बहुत-बहुत फायदा होगा।
पैदायशी 'नवाबियत' के साथ स्वयं की अर्जित सम्पत्ति और अब बेटों की अपार कमाई वाले सलीम खान ने अपनी लाडली बेटी अर्पिता को यह विश्वास दिला दिया कि विवाह की फिजूलखर्ची से बचा जाएं और सादगी से विवाह किया जाए...
पैदायशी 'नवाबियत' के साथ स्वयं की अर्जित सम्पत्ति और अब बेटों की अपार कमाई वाले सलीम खान ने अपनी लाडली बेटी अर्पिता को यह विश्वास दिला दिया कि विवाह की फिजूलखर्ची से बचा जाएं और सादगी से विवाह किया जाए...
आपकी सहेली पर jyoti dehliwal
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"ग़ज़ल-नवगीत मचल जाते हैं"
समय चक्र में घूम रहे जब मीत बदल जाते हैं
उर अलिन्द में झूम रहे नवगीत मचल जाते हैं
जब मौसम अंगड़ाई लेकर झाँक रहा होता है,
नये सुरों के साथ सभी संगीत बदल जाते हैं...
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा सूत्र संयोजन |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
नमस्ते....
जवाब देंहटाएंसुंदर हलचल...
सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित मंच ! मेरी प्रस्तुति के चयन के लिये आपका धन्यवाद शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सोमवारीय चर्चा । 'उलूक' के सूत्र 'आशा का एक दिया जलाना है जरूरी सोच में ही जलायेंगे' को स्थान दिया आभार ।
जवाब देंहटाएंआ. मयंक जी ,
जवाब देंहटाएंचर्चा विविधरंगी रही ,आपने 'लालित्यम्' पर प्रकाशित मेरा कथांश चुना - तदर्थ आभार ; लेकिन उस पर मेरे नाम के स्थान पर 'पूर्णिमा सक्सेना' नाम अंकित है -कृपया उसे सुधार दें !
अब आपका नाम सही कर दिया गया है प्रतिभा सक्सेना जी।
जवाब देंहटाएंभूल के लिए क्षमा।
बहुत हि सुंदर चर्चा व प्रस्तुति , मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र संयोजन ...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स संयोजन एवं प्रस्तु ति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति. मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंBahut sunder links....meri rachna ko sthaan dene ke liye aapka aabhar !!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया।
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