मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक।
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"गीत-पौधे नये लगाऊँगा"
उस पथ को कैसे भूलूँगा, जिस पथ का निर्माता हूँ,
मैं चुपचाप नहीं बैठूँगा, माता का उद्गाता हूँ,
ऊसर धरती में भी मैंने, बीज आस के बोए हैँ,
शब्दों की माला में, नूतन मनके रोज पिरोए हैं,
खर-पतवार हटा उपवन में, पौधे नये लगाऊँगा।
जिस महफिल में उल्लू बोलें, वहाँ नहीं मैं गाऊँगा।।
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ये कैसा प्रेम है
बड़ौदा शहर की घटना जिसमें एक गोद ली हुई बेटी ने ही अपने प्रेमी के साथ मिलकर माता-पिता की हत्या कर दी, के विषय में देख-पढ़ कर मन उद्वेलित है । यह मामला इंसानियत से भरोसा उठाने वाला सा है । जो निसंतान दम्पत्ति बरसों पहले एक अनाथ बच्ची को बेटी बनाकर घर लाये थे उन्होंनें सपने में भी नहीं सोचा होगा कि भविष्य में उनके साथ ऐसा दर्दनाक खेल खेला जायेगा । लगता है जैसे भले बुरे की सीख और सही समझाइश देना ही उन बुजुर्गों की गलती थी । जिसका मोल उन्हें जान गवांकर चुकाना पड़ा । प्रेम प्रसंग में पड़ी बिटिया से उन बुजुर्गों ने रोक-टोक की तो प्रेमी के साथ मिलकर उनकी जान ही ले ली और ...
डॉ. मोनिका शर्मा
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घोड़े घोड़े होते हैं
गधे गधे होते हैं
मुद्दे तो मुद्दे होते हैं
वो ना घोड़े होते हैं
ना गधे होते हैं
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उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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किसी दिन रो पड़े ...
सादगी उनकी क़ह्र ढाने लगी
आइनों पर बे-ख़ुदी छाने लगी
जब सफ़र में रात गहराने लगी
सह्र की उम्मीद बहलाने लगी...
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ऐसा वर चाहिए… !
''आंटी मुझे ऐसा वर चाहिए,
जो पर्सनैलिटी में सलमान जैसा हो, परफेक्टनेस में आमिर जैसा हो, सूरत में अभिषेक बच्चन जैसा हो, स्ट्रॉंगनेस में सनी देओल जैसा हो और कॉमेडियन कपिल शर्मा जैसा हो।
प्यार में मुझे चांद-तारे नहीं चाहिए। वो मुझे इतना प्यार करें, जितना 'जोधा-अकबर' में अकबर जोधा से करता है और 'दिया और बाती' में सूरज संध्या से करता है...
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भोर से साँझ सूरज की सिंदूरी -
सुनहरी बिंदी से शुरू
चाँद की रुपहली बिंदी पर खत्म
एक औरत का जीवन।
सूरज की बिंदी देखने की
फ़ुरसत ही कहाँ ...
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सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए आभार।
बहुत सुन्दर सूत्र ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आभार आपका शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंसुंदर सोमवारीय चर्चा । 'उलूक' के सूत्र 'घोड़े घोड़े होते हैं गधे गधे होते हैं मुद्दे तो मुद्दे होते हैं वो ना घोड़े होते हैं ना गधे होते हैं' और 'अंधेरा ही उजाले का फायदा अब उठाता है' को जगह देने के लिये आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा। आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत सुन्दर चर्चा, सभी रचनाएं पसंद आईं!!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स, शामिल करने का आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सूत्र ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आभार आपका शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स. मेरी कविता को शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंऊँ
जवाब देंहटाएंकई ब्लॉग प्रविष्टियों से कुछ को चुन कर चर्चा मंच पर स्थान देना
कठिन कार्य है आप के इस साहित्य कर्म के लिए आपका आभार
और ' आकर्षण करोति इति श्री कृष्ण ' को सम्मिलित करने के लिए
धन्यवाद ! यहां आनेवाले सभी ~ पर्व की मंगलकामनाएं
- लावण्या
Sunder charcha .... Bahut Sunder links ..
जवाब देंहटाएंसुम्दर-सटीक चर्चा लिन्क्स के सादर आभार.
जवाब देंहटाएंहृदय से आभारी हूं इस चर्चा मंच का...... बहुत ही खूबसूरत प्रयास !!!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा
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