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बुधवार, अक्टूबर 08, 2014

मत पढ़ा उपकार का हमको पहाड़ा-; चर्चा मंच 1760


मच्छरों  ने  मक्खियों  को  खुब  लताड़ा |
मक्खियाँ  क्या  छोड़  देतीं,  बहुत  झाड़ा ||

दुनियाभर में प्यार कीबड़ी अनोखी रीत।
गैरों को अपना करेऐसी होती प्रीत।।
उपवन सींचो प्यार सेमुस्कायेंगे फूल।
पौधों को भी चाहिएनेह-नीर अनुकूल।।
छोटे से इस शब्द कीमहिमा अपरम्पार।
मतलब के ही वास्ते, होती है मनुहार।१।


कविता हमारी !!ज्योति-कलश

6 टिप्‍पणियां:

  1. sundar links se saji blog charcha meri rachna ko shamil karne ke liye saadar dhanyavaad !

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर चर्चा सुंदर सूत्रों के साथ रविकर जी ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर चर्चा.
    मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. काफी खुबशुरत चर्चा
    अच्छे अच्छे लिंक्स से परिचय करवाने का आभार

    मेरी नयी कविता मुफलिसी

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर संयोजन ..हृदय से आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं

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