मच्छरों ने मक्खियों को खुब लताड़ा |
मक्खियाँ क्या छोड़ देतीं, बहुत झाड़ा ||
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Virendra Kumar Sharma
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"दोहागीत-मतलब का है प्यार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
दुनियाभर में प्यार की, बड़ी अनोखी रीत।
गैरों को अपना करे, ऐसी होती प्रीत।।
उपवन सींचो प्यार से, मुस्कायेंगे फूल।
पौधों को भी चाहिए, नेह-नीर अनुकूल।।
छोटे से इस शब्द की, महिमा अपरम्पार।
मतलब के ही वास्ते, होती है मनुहार।१।
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कविता हमारी !!ज्योति-कलश
sundar links se saji blog charcha meri rachna ko shamil karne ke liye saadar dhanyavaad !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा सुंदर सूत्रों के साथ रविकर जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंकाफी खुबशुरत चर्चा
जवाब देंहटाएंअच्छे अच्छे लिंक्स से परिचय करवाने का आभार
मेरी नयी कविता मुफलिसी
सुन्दर संयोजन ..हृदय से आभार आपका !
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