विजया दशमी के शुभ अवसर पर आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है । बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक यह पर्व, सभी के जीवन में संपूर्णता लाये, यही प्रार्थना है माँ दुर्गा से।
नवरात्र का अर्थ शिव और शक्ति के उस नौ दुर्गाओं के स्वरूप से भी है, जिन्होंने आदिकाल से ही इस संसार को जीवन प्रदायिनी ऊर्जा प्रदान की है और प्रकृति तथा सृष्टि के निर्माण में मातृशक्ति और स्त्री शक्ति की प्रधानता को सिद्ध किया है। दुर्गा माता स्वयं सिंह वाहिनी होकर अपने शरीर में नव दुर्गाओं के अलग-अलग स्वरूप को समाहित किए हुए है।
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति. चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति.महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।
कविता रावत
आसुरी शक्ति पर दैवी-शक्ति की विजय का प्रतीक शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा के नवस्वरूपों की नवरात्र के पश्चात् आश्विन शुक्ल दशमी को इसका समापन ‘मधुरेण समापयेत’ के कारण ‘दशहरा’ नाम से प्रसिद्ध है। एक ओर जहाँ नवरात्र पूजा-पाठ का पर्व है, जिसमें की गई पूजा मानव मन को पवित्र तथा भगवती माँ के चरणों में लीन कर जीवन में सुख-शांति और ऐश्वर्य की समृद्धि करती है तो दूसरी ओर विजयादशमी धार्मिक दृष्टि से आत्मशुद्धि का पर्व है, जिसमें पूजा
वन्दना गुप्ता
महागौरी सिद्धिदात्री का तेज समाया
माँ ने आज अदभुत रूप बनाया
सच्चे मन से जो कोई ध्याता
हर मनोरथ सिद्ध हो जाता
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गिरिजा कुलश्रेष्ठ
आजकल दुर्गाजी की झाँकियों से हर सडक ,चौराहा व गली जगमगा रही है । मधुर ,कर्णकटु ,भक्तिमय और फूहड सभी तरह के भजनों से हर दिशा संगीतमय (कोलाहलमय) है ।
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मेरा संघर्ष
नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो', इस लोकोक्ति के अनुसार नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है। दशहरा पर्व पर इस पक्षी के दर्शन को शुभ और भाग्य को जगाने वाला माना जाता है। जिसके चलते दशहरे के दिन हर व्यक्ति इसी आस में छत पर जाकर आकाश को निहारता है कि उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाएँ। ताकि साल भर उनके यहाँ शुभ कार्य का सिलसिला चलता रहे।
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नीतीश तिवारी
पूरे देश में दशहरा व दुर्गा पूजा का पर्व हर्षौल्लास के साथ मनाया जा रहा है. मेरे गाँव में भी हमेशा की तरह माँ दुर्गा का भव्य पंडाल लगा है और दुर्गा माँ की आराधना हो रही है.करीब दस साल बाद दुर्गा पूजा के समय घर पर हूँ,
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जन्म हिमालय पर लिया, नमन आपको मात।
शैलसुता के नाम से, आप हुईं विख्यात।।
कठिन तपस्या से मिला, ब्रह्मचारिणी नाम।
तप के बल से पा लिया, शिवशंकर का धाम।।
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शैलसुता के नाम से, आप हुईं विख्यात।।
कठिन तपस्या से मिला, ब्रह्मचारिणी नाम।
तप के बल से पा लिया, शिवशंकर का धाम।।
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मिश्रा राहुल
दिन में भी सपना सा लगता है,
कोई आज अपना सा लगता है।
कदम बहकते हुए दिखते है मेरे,
कोई साज अपना सा लगता है।
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शकुन्तला शर्मा
मन में जिजीविषा हो पर्यावरण बचाओ
जलवायु स्वच्छ रखो अपना गगन बचाओ ।
रखो विचार ऊँचा यह है कवच हमारा
वाणी मधुर हो भाई पर्यावरण बचाओ ।
भूल चुके हैं
सुग्रीव,बाली या हनुमान की ताकत
छोड़ चुके हैं
पहाड़
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प्रतिभा सक्सेना
मेहमान को बोर नहीं होने दिया था विनय ने . मेहमान ही तो था मैं वहाँ ,घूम कर लौटने का बाद देर रात तक बातें चलती रहीं
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प्रवीण चोपड़ा
पिछले सप्ताह यहां लखनऊ के पीजीआई मैडीकल संस्थान में पेट एवं आंत के विशेषज्ञों की गोष्ठी हुई थी, उस दौरान इन अनुभवी विशेषज्ञों ने बहुत सी काम की बातें मीडिया के साथ शेयर की जिन्हें समाचार पत्रों में भी जगह दी गई। कुछ ऐसी बातें हैं जो मैं इस पोस्ट में शेयर करना चाहता हूं.....
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यशोदा अग्रवाल
भरोसा
अब भी मौजूद है दुनिया में
नमक की तरह
अब भी
पेड़ों के भरोसे पक्षी
सब कुछ छेड़ जाते हैं
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आशा सक्सेना
अस्थिर मन वह खोज रहा
अपने प्यार की मंजिल
भटक गया था राह से
घिर कर आपदाओं से |
अब खोजता
बाधा विहीन सुगम सरल
सहज मार्ग
उस तक पहुँचने का |
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देवदत्त प्रसून
दिलों में झुलसे हुये अनुराग रोकिये !
भारत में लगी, बापूजी, आग रोकिये !!
मुहँ बाये हुये दैत्य से दहेज़ देश में |
नारी के सुख पे लगे बन्देज़ देश में ||
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यशवंत यश
नोटों पर छपी
तुम्हारी
मुस्कुराती तस्वीर
हर रोज़ गुजरती है
न जाने कितने ही
काले हाथों से ..
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कुँवर कुसुमेश
छोड़ गये तुम सब कुछ जैसा गांधी जी।
आज नहीं है वो सब वैसा गांधी जी।
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डॉ आशुतोष शुक्ला
पीएम के एक सबसे बड़े महत्वाकांक्षी "स्वच्छ भारत अभियान" की आज से विधिवत शुरुवात होने जा रही है जिसके माध्यम से स्वयं पीएम भी राजपथ पर झाड़ू लगाकर प्रतीकात्मक तौर पर इसकी औपचारिक शुरुवात भी करने वाले हैं. देश में जिस तरह से हम आम नागरिक कहीं भी कुछ भी गंदगी करने से बाज़ नहीं आते हैं उसको देखते हुए यदि इस अभियान के महत्व को समझने का प्रयास किया जाये तो यह अपने आप में देश को स्वच्छ रखने की कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकती है
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मनोज कुमार
गांधी जी तब सत्ताइस वर्ष के थे। उन्हें पता लगा कि बम्बई (मुंबई) में ब्यूबोनिक प्लेग की महामारी फूट पड़ी। चारों तरफ़ घबराहट फैल गई। पूरे पश्चिम भारत में आतंक छा गया। जब बम्बई में प्लेग फैला तो राजकोट में भी खलबली मच गई। यह आवश्यक हो गया कि राजकोट में निवारक उपाय किए जाएं।
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Wo aurat वो औरतरीना मौर्या
वो औरत जब निकलती है घर से
दर्जनभर सुहाग की निशानिया पहनकर
सिंदूरी आभा बिखेरती उसकी माँग
गले में लटकाये तोलाभर मंगलसूत्र
हाथों में पिया नाम की मेहंदी
और दर्जन - दो- दर्जनभर चूड़ियाँ
Wo aurat वो औरतरीना मौर्या
वो औरत जब निकलती है घर से
दर्जनभर सुहाग की निशानिया पहनकर
सिंदूरी आभा बिखेरती उसकी माँग
गले में लटकाये तोलाभर मंगलसूत्र
हाथों में पिया नाम की मेहंदी
और दर्जन - दो- दर्जनभर चूड़ियाँ
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समयानुकूल रचनाओं का चयन -आभाऱ आपका !
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आपका आभार राजेंद्र जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सामयिक चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें!
बेहतरीन लिंक्स संयोजन एवं प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंविजयादशमी-पर्व की हार्दिक वधाई !
जवाब देंहटाएंराम करे रावण मर जाए !
मानवता जी भर सुख पाए !!
अच्छा प्रस्तुती करण ! सार गर्भित समसामयिक चर्चा !
बहुत बहुत धन्यवाद सर
जवाब देंहटाएंविजयदशमी पर्व आपको सपरिवार मंगलमय हो।
सादर
सुंदर चर्चा सुंदर प्रस्तुति राजेंद्र जी ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिये धन्यवाद राजेन्द्र जी । रचनाओं को पढ़ रही हूँ ।
जवाब देंहटाएंसामयिक चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंbahut-bahut aabhar nd dhanyavad shastri jee ...
जवाब देंहटाएंमाँ दुर्गा के रंगों में रँगी शानदार चर्चा।
जवाब देंहटाएंआदरणीय राजेन्द्र कुमार जी आपकी निष्ठा को प्रणाम।
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आभार।