आज के इस चर्चा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है।
प्रिये मित्रों, जीवन में ऊचां उठने और तरक्की करने का महामंत्र है धैर्य एवं सहनशीलता। जो अपने आदर्श से नहीं हटता, धैर्य और सहनशीलता को अपने चरित्र का भूषण बनाता है, उसके लिए शाप भी वरदान बन जाता है। प्रतीक्षा, लगन, सहनशीलता, हौसला..! धैर्य के बड़े गुण को आप कोई भी छोटा नाम दें, परिणाम सुखद ही होते हैं। इतिहास के पन्नों में झांकें, तो इस एक गुण के बल पर बड़े बदलाव अंजाम दिए गए। लेकिन, आजकल यह आम जिंदगी से कम होता जा रहा है, फिर बात चाहे देव दर्शन की हो या राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की। अगर धैर्य की कला खुद में विकसित कर ली जाए, तो खुशी जिंदगी का स्थायी हिस्सा बन जाती है। सहनशीलता जिसमें नहीं है, वह शीघ्र टूट जाता है. और, जिसने सहनशीलता के कवच को ओढ़ लिया है, जीवन में प्रतिक्षण पड़ती चोटें उसे और मजबूत कर जाती हैं।
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डॉ. मोनिका शर्मा जी की प्रस्तुति
परम्पराएँ ज़मीन से जोड़ती हैं । बांधती नहीं बल्कि हमें थामें रखती हैं । इनमें जो विकृति आई है वो हमारा मानवीय स्वाभाव और स्वार्थ ही लाया है । गहराई से देखें तो रीत रिवाज़ और परम्पराओं ने हमें बिखरने नहीं दिया ।
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की प्रस्तुति
हमको प्राणों ,से प्यारा, हमारा वतन!
सारे संसार में, सब से न्यारा वतन!!
गंगा-जमुना निरन्तर, यहाँ बह रही,
वादियों की हवाएँ, कथा कह रही,
राम और श्याम का है, दुलारा वतन!
सारे संसार में, सब से न्यारा वतन!!
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योगी सारस्वत जी की प्रस्तुति
काँगड़ा माता को नगरकोट वाली माता भी कहते हैं और ब्रजेश्वरी देवी भी ! ब्रजेश्वरी का नाम मुझे कांगड़ा में ही पता चला ! ब्रजेश्वरी मंदिर , ऐसा कहा जाता है कि सती के जले हुए स्तनों पर बनाया गया है ! ये मंदिर कभी .......
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अनीता जी की प्रस्तुति
सद्गुरु में ज्ञान की सुगंध होती है जो हमें अपनी ओर खींचती है. उसमें प्रेम की आध्यात्मिक सुरभि होती है जो हमें आकर्षित करती है. एक पवित्र गंध ईश्वर की याद का साधन होती है. जो रब की याद दिलाये उसका विश्वास कराए, जिसे देखकर सिर अपने आप झुक जाये. वही तो सद्गुरु होता है.
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फ़िरदौस खान जी की प्रस्तुति
प्रिय पाठकों !
बहुत लोग हमें इनबॊक्स मैसेज करके कहते हैं-
आपकी दर्द से लबरेज़ तहरीर दिल में उतर जाती है...
आपकी तहरीर ने हमें रुला दिया...
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निहार रंजन जी की प्रस्तुति
कब तक मिथ्या के आवरण में
रौशनी भ्रम देती रहेगी
कब तक भ्रामक रंगों में बहकर
उम्मीद अपनी नैया खेती रहेगी ?
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अर्पणा त्रिपाठी जी की प्रस्तुति
शायद उसने किसी का कत्ल भी कर दिया होता तो भी उसका परिवार उसको माफ कर देता, मगर उसका गुनाह तो इससे भी कही बडा था । एक ऐसा गुनाह जो उसके परिवार को आज समाज में सम्मान से जीने का अधिकार नही देता।
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साधना वैध जी की प्रस्तुति
संध्या के चेहरे पर पड़ा
खूबसूरत सिंदूरी चूनर का
यह झीना सा अवगुंठन
आमंत्रित कर रहा है
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नीरज कुमार नीर जी की प्रस्तति
कोमल फेन
हाथ आते ही बन जाता जल
भीतर रहता
हिल्लोल लेता
महासागर अतल
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प्रवीण चोपड़ा जी की प्रस्तुति
यह ५०- ५५ वर्ष की महिला के दांतों की तस्वीर है.....आई तो थी ये दांत दिखाने नीचे वाले दांत....
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वीरेन्द्र कुमार शर्मा जी की प्रस्तुति
हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर ,बैठ शीला की शीतल छाँव
एक पुरुष भीगे नयनों से देख रहा था ,प्रलय प्रवाह ,
नीचे जल था ऊपर हिम था ,एक तरल था एक सघन ,
एक तत्व की ही प्रधानता ,कहो इसे जड़ या चेतन।
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रचना त्रिपाठी जी की प्रस्तुति
औरत होकर ये तेवर
किसने दी तुम्हें इजाजत
चीखने -चिल्लाने की
ये तो है मर्दों का हुनर
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कविता रावत जी की प्रस्तुति
31 अक्टूबर 1875 ईं. को गुजरात के खेड़ा जिला के करमसद गांव में हमारे स्वतंत्रता-संग्राम के वीर सेना नायक सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ। इसी दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि भी है,
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कुँवर कुसुमेश जी की प्रस्तुति
वो भी अमृत-सा नज़र आयेगा जो विष होगा।
हरिक जिरह पे कभी दैट कभी दिस होगा।
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चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ जी की प्रस्तुति
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गरिमा जी की प्रस्तुति
नया सवेरा आया
बहुत सारी खुशियाँ लाया
पर्वत पर छायी लाली
दुनिया में एक नया दिन आया
सब तरफ छायी खुशियाँ
नया सवेरा आया
सबके घर में आने वाली ढेर सारी खुशियाँ
भागेगा अँधेरा आयेगा उजाला
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प्रतुल वशिष्ठ जी की प्रस्तुति
भूल गए हो क्रिया 'बाँधना'
जबसे गाँठ पड़ी मन में
कोमल धागे खुले रह गए
इस बारी फिर सावन में।
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मोहन श्रीवास्तव (कवि ) जी की प्रस्तुति
होगी जब उनसे मुलाकात मेरी,
दो दिल खुशियों से तो भर जाएंगे ।
वो जब लेंगे अपनी बाहों में ,
मेरे पलकों को शरम आएंगे ॥
होगी जब उनसे......
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परी ऍम 'श्लोक' जी की प्रस्तुति
बड़ी रोशनी है
आपकी सीरत में
चौंधिया गए इरादे हमारे
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महीने के अंतिम साँस
लेने की आवाजें
आनी शुरु होती ही हैं
अंतिम सप्ताह के
अंतिम दिनों में
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सात समन्द्र्र पार से
ReplyDeleteपरिश्रम के साथ मनोयोग के साथ की गयी बढ़िया चर्चा।
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आपका आभार आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी।
बहुत ही सुंदर सूत्र संकलन , आभार फेनिल जल को शामिल करने के लिए ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर। काला धन पे शोर शराबा है बहुत
ReplyDeleteकुँवर कुसुमेश जी की प्रस्तुति
वो भी अमृत-सा नज़र आयेगा जो विष होगा।
हरिक जिरह पे कभी दैट कभी दिस होगा।
बहुत सुन्दर। हमारी रूह ज़िन्दा है
ReplyDeleteचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ जी की प्रस्तुति
सुन्दर चर्चा।
ReplyDeleteमुझे शामिल करने के लिए आभार।
बहुत सुंदर चर्चा 'उलूक' के सूत्र 'कभी कुछ भी नहीं होता है कहने के लिये तब भी कुछ कुछ कह दिया जाता है' को स्थान देने के लिये आभार ।
ReplyDeleteमेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सूत्र संकलन , आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिंक्स के साथ चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु बहुत आभार!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चर्चा व सूत्र संकलन
ReplyDeleteसाभार !
एक से बढकर एक सुंदर सूत्रों से सजी चर्चा के लिए बधाई राजेन्द्र जी. आभार !
ReplyDeleteRajendra ji thanks for selecting my post.
ReplyDeletenice collection
पढ़कर अच्छा लगा सादर धन्यवाद
ReplyDeleteखूबसुरत प्रस्तुति
ReplyDeleteबढ़िया लिंक्स , शामिल करने का आभार
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक्स और सार्थक चर्चा ! हृदय से आभार मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये !
ReplyDeleteमिले-जुले स्वाद की अच्छी रचनाओं का संयोजन !
ReplyDeleteसादर आभार,सुंदर सम्कलन के लिये.
ReplyDeleteUmda links umda prastuti !!!
ReplyDeleteUmda links umda prastuti meri rachna ko sthaan dene ke liye shukriyaa
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