मित्रों!
चर्चा मंच पर आप सभी का स्वागत है।
सोमवार की चर्चा में
मेरी पसंद के लिंक देखिए।
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कार्टून :- ईद मुबारक
काजल कुमार के कार्टून
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कार्टून :- ईद मुबारक
काजल कुमार के कार्टून
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बक़रीद के अवसर पर पाठकों को
बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
Blog News पर DR. ANWER JAMAL
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बेनक़ाब
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दर्पण
बेनक़ाब
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दर्पण
दूर बहुत दूर है वो प्यारा गाँव
साथ चलती है बबूल की छाँव
सूख गयी है स्नेह की नदी
रेत में धँस धँस जाते है पाँव...
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अभी अपनी अपनी बातें है
बहुत हैं तेरी मेरी बातें
कभी मिल आ
वो भी करते हैं
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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अभी अपनी अपनी बातें है
बहुत हैं तेरी मेरी बातें
कभी मिल आ
वो भी करते हैं
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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मन
भटकता है कभी कभी
अटकता है आस पास की दीवारों पर
लटकती तस्वीरों के मोहपाश में फँसकर
कुछ समझता है...
जो मेरा मन कहे पर
Yashwant Yash
भटकता है कभी कभी
अटकता है आस पास की दीवारों पर
लटकती तस्वीरों के मोहपाश में फँसकर
कुछ समझता है...
जो मेरा मन कहे पर
Yashwant Yash
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विजय दशमी का पर्व,
हम मनाएं बड़ी शान से
हम मनाएं बड़ी शान से
विजय दशमी का पर्व, हम मनाएं बड़ी शान से
भारत की जय हो, भारतीयों की आन बान से
सर्वत्र हो रही चर्चा आज भारत की संसार में
स्तंभित हैं सब, मॉम,मेरी,मोदी की पहचान से
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मॉम = मंगलयान , मेरी = मेरी कॉम
सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कॉल
Tribhawan Kaul
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अब क़ातिल ख़ुद ही मसीहा है...
मलिकज़ादा 'मंजूर'
मामूल पर साहिल रहता है
फ़ितरत पे समंदर होता है
तूफ़ाँ जो डुबो दे कश्ती को
कश्ती ही के अंदर होता है...
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal
मलिकज़ादा 'मंजूर'
मामूल पर साहिल रहता है
फ़ितरत पे समंदर होता है
तूफ़ाँ जो डुबो दे कश्ती को
कश्ती ही के अंदर होता है...
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal
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ख़ुदा के पास जाना है !
हमारी भी हक़ीक़त है, तुम्हारा भी फ़साना है
तुम्हें दिल को जलाना है, हमें दिल आज़माना है
जुदाई पर ग़ज़ल कह कर ज़माने में सुनाते हो
चले ही क्यूं नहीं आते अगर रिश्ता निभाना है...
साझा आसमान पर Suresh Swapnil
हमारी भी हक़ीक़त है, तुम्हारा भी फ़साना है
तुम्हें दिल को जलाना है, हमें दिल आज़माना है
जुदाई पर ग़ज़ल कह कर ज़माने में सुनाते हो
चले ही क्यूं नहीं आते अगर रिश्ता निभाना है...
साझा आसमान पर Suresh Swapnil
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उनके लिए इस जगह से बेहतर
कोई जगह हो नहीं सकती
*आज इंडिया टीवी पर एक रिपोर्ट देख रही थी -*
*दिल्ली के आस-पास पाकिस्तान से आये
हिन्दू शरणार्थी बसे हैं
ऐसी बदहाली में रह रहे हैं कि
मत पूछिए लेकिन फिर भी खुश है !!!*
*सोचिये मेहनत कर एक समय खाते हैं
तो दूसरे समय का ठिकाना नहीं...
मुझे कुछ कहना है ....पर अरुणा
कोई जगह हो नहीं सकती
*आज इंडिया टीवी पर एक रिपोर्ट देख रही थी -*
*दिल्ली के आस-पास पाकिस्तान से आये
हिन्दू शरणार्थी बसे हैं
ऐसी बदहाली में रह रहे हैं कि
मत पूछिए लेकिन फिर भी खुश है !!!*
*सोचिये मेहनत कर एक समय खाते हैं
तो दूसरे समय का ठिकाना नहीं...
मुझे कुछ कहना है ....पर अरुणा
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छंद - दुर्मिल सवैया :कविता
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मन की सुनिये मन से लिखिये, बरखा बन मुक्त झरे कविता
जन - मानस के मन में पहुँचे , तुलसी सम रूप धरे कविता
यह मन्त्र बने सुख - यंत्र बने , सब दु:ख समूल हरे कविता
इतिहास गवाह रहा सुनिये , युग में बदलाव करे कविता
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग [छत्तीसगढ़]
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
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"नौका लहरों में फँसी,
बेबस खेवनहार"
बेबस खेवनहार"
चिड़िया अपने नीड़ में, करती करुण पुकार।
सत्याग्रह सच्चे करें, राज करें मक्कार।।
आम जरूरत का हुआ, मँहगा सब सामान।
ऐसी हालत देख कर, जनता है हैरान।।
नेता रहते ठाठ से, मरते हैं निर्दोष।
पहन केंचुली हंस की, गिना रहे गुण-दोष।।
तेल कान में डाल कर, सोई है सरकार।
सत्याग्रह सच्चे करें, राज करें मक्कार।।..
उच्चारण
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शुभ प्रभात भाई मयंक जी
जवाब देंहटाएंआपके चुनी हुई रचनाएँ उत्कृष्ट होती है हरदम
आभार
सादर
शुभ प्रभात हरबार की तरह लिंक्स का चुनाव शानदार |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |
बहुत कुछ है आज की चर्चा में । 'उलूक' के सूत्र 'अभी अपनी अपनी बातें है बहुत हैं तेरी मेरी बातें कभी मिल आ वो भी करते हैं' को स्थान देने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसबको ईद मुबारक!
बहुत बहुत धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंसादर
हमेशा की तरह बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच अपनी तरह का एक ऐसा मंच है जो ब्लॉगर को प्रोत्साहित करता है --- हमेशा की तरह
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर