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बुधवार, अक्टूबर 15, 2014

परिकल्पना ब्लॉगोत्सव भूटान में 15 से 18 जनवरी 2015 तक ; चर्चा मंच 1767



 
Kirti Vardhan

प्रतिभा सक्सेना 

तब.… बता ओ
Dr.NISHA MAHARANA 
"गीत-खिलते हुए कमल पसरे हैं"रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 

रंग-रंगीली इस दुनिया में, झंझावात बहुत गहरे हैं।
कीचड़ वाले तालाबों में, खिलते हुए कमल पसरे हैं।।

पल-दो पल का होता यौवन,
नहीं पता कितना है जीवन,
जीवन की आपाधापी में, झंझावात बहुत उभरे हैं।
कीचड़ वाले तालाबों में, खिलते हुए कमल पसरे हैं।।

10 टिप्‍पणियां:

  1. अद्यतन लिंकों के साथ बहुत सुन्दर चर्चा।
    आपका आभार रविकर जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर रचनाएं
    आभार भाई रविकर जी

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बहुत शुक्रिया मेरी रचना को स्थान देने के लिए ... सुन्दर लिंक्स से सजी चर्चा !

    जवाब देंहटाएं
  4. ्बहुत सुन्दर लिंक संयोजन ……आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर रँगबिरँगी चर्चा बुधवार की । 'उलूक' के सूत्र 'कोई नहीं कोई गम नहीं तू भी यहीं और मैं भी यहीं' को स्थान मिला आभारी हूँ ।

    जवाब देंहटाएं

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