![]() |
Kirti Vardhan
|
![]() |
"गीत-खिलते हुए कमल पसरे हैं"रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
रंग-रंगीली इस दुनिया में, झंझावात बहुत गहरे हैं।
कीचड़ वाले तालाबों में, खिलते हुए कमल पसरे हैं।।
पल-दो पल का होता यौवन,
नहीं पता कितना है जीवन,
जीवन की आपाधापी में, झंझावात बहुत उभरे हैं।
कीचड़ वाले तालाबों में, खिलते हुए कमल पसरे हैं।।
|
अद्यतन लिंकों के साथ बहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार रविकर जी।
सुन्दर रचनाएं
जवाब देंहटाएंआभार भाई रविकर जी
सादर
बहुत बहुत शुक्रिया मेरी रचना को स्थान देने के लिए ... सुन्दर लिंक्स से सजी चर्चा !
जवाब देंहटाएं्बहुत सुन्दर लिंक संयोजन ……आभार
जवाब देंहटाएंati sundar charcha thanks nd aabhar ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआभार!
Nice links.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रँगबिरँगी चर्चा बुधवार की । 'उलूक' के सूत्र 'कोई नहीं कोई गम नहीं तू भी यहीं और मैं भी यहीं' को स्थान मिला आभारी हूँ ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनाएँ.....
जवाब देंहटाएंआभार...
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं