आज की चर्चा में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन है।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
दीप पर्वोत्सव
कविता रावत
कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक मनाया जाने वाला पांच दिवसीय सुख, समृद्धि का खुशियों भरा दीपपर्व ’तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् 'अंधेरे से प्रकाश की ओर चलो' का संदेश लेकर आता है। अंधकार पर प्रकाश का विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाईचारे व प्रेमभाव का संदेश फैलाता है।
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"आपको भी दीपावली की ढेर सी शुभ एवं मंगलकामना "
विजय लक्ष्मी
" सुर संगीत से सजी दीपावली
स्नेहरस में पगी दीपावली
खुशियों से भीगी दीपावली
रीतो में ढलकी दीपावली
अपनेपन से छलकी दीपावली
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पूनम माटिया ‘पूनम’
हाहाह! दीपावली का नाम ही खुशियों के दीप आँखों में जला जाता है परन्तु इस दफ़े की तो बात ही कुछ और हैं ....अच्छे दिन जो आ गए हैं ....भीतर की ख़ुशी बाहर हर काम में दिखाई दे रही है चाहे वो घर-बाहर की सफाई हो या बाज़ार से खरीदारी|
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भारती दास
आलोक हो आभास की
तमस में उजास की
स्नेह युक्त आश की
सुखमय सुबास की .
आलोक हो स्वच्छंद की
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शालिनी कौशिक
वसुंधरा के हर कोने को जगमग आज बनायेंगे ,
जाति-धर्म का भेद-भूलकर मिलकर दीप जलाएंगे।
पूजन मात्र आराधन से मात विराजें कभी नहीं ,
होत कृपा जब गृहलक्ष्मी को हम सम्मान दिलायेंगें।
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(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रोशनी का पर्व है, दीपक जलायें।
नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।।
बातियाँ नन्हें दियों की कह रहीं,
इसलिए हम वेदना को सह रहीं,
तम मिटाकर, हम उजाले को दिखायें।
नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।।
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कृष्ण कुमार यादव
दीपावली सिर्फ घरों को जगमगाने वाला पर्व नहीं है बल्कि यह मानव हृदय को आलोकित करने वाला पर्व भी है। हमारी परम्परा एक तरफ दीपावली के दिन घरों को साफ-सुथरा कर गणेश-लक्ष्मी के रूप में सुख-समृद्धि का आह्वान करती है, वहीं रात के अंधियारे में आशाओं के दीप जगमगाते हैं तो निराशा के काले घने बादल स्वमेव छँटते जाते हैं।
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कुंवरजी
आस्था, उल्लास, आनन्द और समरसता के इस पावन पर्व पर सभी को परमपिता परमात्मा शान्त चित्त दे, सुखी जीवन दे, समृद्ध व्यवहार दे, अध्यात्मिक वातावरण दे, इश्वर प्रीति-गुरु भग्ति दे, सद्ज्ञान दे।
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सूबेदार जी पटना
बहुत से हिन्दू समाज के प्रगतिशील 21वीं सदी मे अपने को कहने वाले यह कहते नहीं थकते की दीपावली प्रकाश उत्सव है क्या हिन्दू समाज बिना किसी विचार के कोई पर्व मनाता है नहीं---! प्रत्येक पर्व- परंपरा और त्यवहार के पीछे कोई विचार, कोई उद्देश्य छिपा होता है,
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मंगलमयी दीपावली ! आनंदमय दीपावली राजेन्द्र स्वर्णकार
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कालीपद "प्रसाद"
"दीपावली का त्यौहार
अन्य त्यौहारों की भांति
मनाया जाता है घर घर ,
सुसुप्त आशा को जगाता है
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चैतन्यं शर्मा
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डॉ निशा महाराणा
कहा बाती ने दीये से
साथी! मत हो तुम उदास
जब तक जान रहेगी मुझमें
रहूँगी तेरे साथ........
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संजय
महापर्व के दिन हैं तो पिछले दो तीन दिन से लौटते समय मेट्रो में बहुत भीड़ हो जाती थी। ’नानक दुखिया सब संसार, सारे दुखिया जमनापार’ के रिमिक्स श्लोक के द्वारा दिल्ली के जिन जमनापारियों का महिमामंडन दशकों से होता आया हो,
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प्रबोध कुमार गोविल
प्रकाश विनिमय बड़ी कठिन प्रक्रिया है। प्रकाश यदि किसी को दिया जाए,तो यह जाता नहीं है। यह वहीँ रहते हुए अपना दायरा बढ़ा लेता है।ऐसे में प्रकाश विस्तार तो संभव है किन्तु प्रकाश विनिमय नहीं। आप किसी को बल्ब तो दे सकते हैं,जिसे वह अन्यत्र ले जाकर प्रकाशित कर ले, पर रोशनी ले जाने के लिए देना जटिल प्रक्रिया है। ठीक इसी तरह प्रकाश आयात करना भी पेचीदा है। हम कहीं से लैम्प ला सकते हैं,लेकिन उजास लाना संभव नहीं होता।
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चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
आओ अपने अंतस का तम दूर भगाएं
मृत्युस्पर्द्धी सोई मनुता पुनः जगाएं
अधिक नहीं इस तरह से दीपक एक जलाकर
यारों क्यों न अबकी दीपावली मनाएं
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यशवंत यश
इन जलते हुए
हजारों दीयों में
ढूंढ रहा हूँ
एक अपना दीया
जिसकी रोशनी
सैकड़ों अँधेरों के
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छोट-बड़े का भेद तज, हों सब आज समीप !
भेद-भाव को त्याग कर, साथ जलायें दीप !!
दूर हुये जो रूठ कर, उन्हें मनायें आज !
टूटन-टूटन में बंटा, जोड़ें सकल समाज !!
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कंचनलता चतुर्वेदी
गांधी जी का एक ही सपना|
साफ, स्वच्छ देश हो अपना|
आओं साथ उसे भी कर लें,
जो अकेला बैठा कबसे|
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ज्योतिर्मय यह पर्व है ,जगर-मगर उजियार।
ऐसे ही शाश्वत रहे ,अन्तर्मन उजियार ।
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धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
खेतों में दीप जलाये कृषकों ने नई फसल के !
दरिद्रता का घना अन्धेरा मिटा इसी के बल से !!
चारो ओर धरा है जगमग ,आज सुहानी लगती !
खुशहाली के गीत गूँजते, नई आशाऐ जगती !!
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(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
तम अमावस का मिटाने को दिवाली आ गयी है।
दीपकों की रौशनी सबके दिलों को भा गयी है।।
जगमगाते खूबसूरत लग रहे नन्हें दिये,
लग रहा जैसे सितारे हों जमीं पर आ गये,
झोंपड़ी महलों के जैसी मुस्कराहट पा गयी है।
दीपकों की रोशनी सबके दिलों को भा गयी है।।
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सतीश सक्सेना
दीपोत्सव मंगलमय सबको
गज आनन,गौरी पूजा से !
दुष्ट प्रवृतियां, कम हो जाएँ
अस्त्र मिले, खुद चतुर्भुजा से
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राजेन्द्र कुमार सिंह
प्रिये मित्रों, आज पावन पर्व दीपावली है। आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। भारतवर्ष में मनाए जानेवाले सभी त्यौहारों में दीपावलीका सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ यह उपनिषदोंकी आज्ञा है।
सुंदर दीपोंमय चर्चा... आप सब को एक बार फिर
जवाब देंहटाएं[आप सब को पावन दिवाली की शुभकामनाएं...]
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी।
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सभी पाठकों को दीपावली की शृंखला में
पंच पर्वों की आपको शुभकामनाएँ।
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी ब्लोगर भाईयों एवं बहनों को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने का आभार... शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंShabd-pankh par baith ujaale, aapke sath chale aaye !
जवाब देंहटाएंसुंदर दीपमयी चर्चा राजेंद्र जी । दीप पर्व की शुभकामनाऐं सभी को ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दीपमयी चर्चा प्रस्तुति में मुझे शामिल करने के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंगोवर्द्धन-पर्व की वधाई ! ईश्वर करे हमारे देश में नक़ली दूध-दूध-उत्पादों का निर्माण रुक जाए ! आज के चर्चा-मंच में सम सामयिक विषयों का संयोजन बहुत अच्छा सिद्ध होगा ! मेरी रचना को इस में शामिल करने हेतु धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंरंग बिरंगी दीपों के मेले सजाये है ,इसमें मेरी रचना को भी शमिल किये है .आभार सर
जवाब देंहटाएंकई अच्छे लिंक्स मिले । मेरी रचना भी यहाँ है । अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंthanks nd aabhar ..sundar links....
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स. दीपावली मुबारक
जवाब देंहटाएंSunder links...umda charcha...sabhi paathako ko diwali ki mangalkamnaayein!!
जवाब देंहटाएंगोवर्द्धन-पर्व की वधाई,बढ़िया लिंक्स. दीपावली मुबारक
जवाब देंहटाएंआभार सहित आपको दीपावली की मंगलकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंसभी मित्रों को हार्दिक बधाई ........चर्चा मंच का आभार ....... सभी लिनक्स रोचक
जवाब देंहटाएंआपका पोस्ट सराहनीय है.....कृप्या यहाँ भी पधारें....
जवाब देंहटाएं--Good News For Hindi Reader--
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deepavali shubh ho mangalmay ho ,sabhi blog se rachnaye lekar charcha karave to hamri rachna bhi shamil ho sakti hai dhanyabad
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