मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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Fantastico things
which we learn
from other animals in hindi
*हम* इंसान अपने-आप को सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ मानते है। इसीलिए बड़ी आसानी से हर इंसानी गलती के लिए किसी न किसी जानवर से उस गलती की तुलना कर देते है। हम झट से कह देते है, *"जानवर कहीं का!!" *जबकि बाकि पशु-पक्षी निहायत ही करिने से, बेइंतहा मोहब्बत के साथ रहते है...
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मित्रता दिवस
दादी ने गुल्लक दिलवाई
बचत की आदत डलवाई
मैंने भी इसको अपनाया
चंद सिक्के जमा किये
फ्रेन्डशिप डे है आनेवाला
मन ने कहा
क्यूं न खुद फ्रेन्ड शिप बैण्ड बनाऊँ
अपने मित्रों को पहनाऊँ
छोटे छोटे उपहारों से
मनभावन जश्न मनाऊँ ...
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'' तूती की धुन कौन सुनेगा ? '' नामक नवगीत ,
कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह -
'' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है -
जीवन क्या है ? अखबारी है।
लोकतंत्र की लाचारी है...
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रूपसी
यादों के चित्रकार ने थे, अति मधुर चित्र तेरे खींचे,
तब हो जीवन्त कल्पना ने, ला अद्भुत रंग उसमें सींचे ।
सौन्दर्य-देव ने फिर उसमें, भर दी आकर्षण की फुहार,
मेरे जीवन की स्वप्न-तरी, चल पड़ी सहज तेरे पीछे...
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कवि की मनोदशा
एक कवि हूँ मैं,
सदैव ही उपेक्षित,
सदैव ही अलग सा,
यूँ रहा हूँ मैं ।
पता नहीं पर क्यों,
सब भागते हैं मुझसे,
हृदय की बात बोलूँ, तिरस्कार है होता ।
कविता ही दुनिया,
कविता ही भावना,
कविता ही सर्वस्व,
मेरा भंडार है यही ...
कविता मंच पर
ई. प्रदीप कुमार साहनी
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आयेंगे ऋतुराज बसंत
खिल गए सरसों पीले पीले,
पीत रंग में रंगी धरा है,
वृक्षों में नव कोंपल फूटे,
पुनः यहाँ सब हरा भरा है ।
पतझड़ के वे रुखे से पल,
हो चला अब उसका अंत,
प्रकृति सत्कार में जुटी,
आयेंगे ऋतुराज बसंत...
ई. प्रदीप कुमार साहनी
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मन ही देवता मन ही ईश्वर
मन ही देवता मन ही ईश्वर मन ,जी हाँ मन ,एक स्थान पर टिकता ही नही पल में यहाँ तो अगले ही पल न जाने कितनी दूर पहुंच जाता है ,हर वक्त भिन्न भिन्न विचारों की उथल पुथल में उलझा रहता है ,भटकता रहता है यहाँ से वहाँ और न जाने कहाँ कहाँ...
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जीवन कथा
नए भवन में
नई गृहस्थी,
डाल-डाल पर तितली तितली.
कली-हृदय कुछ अस्फुट सा है,
स्वप्न, नींद में अंकुर सा है,
लगता जग सुन्दर निष्पापी
हृदय बड़ा सागर जैसा है...
मानसी पर
Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी
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मुफ़्त का खाया मगर पचता नहीं
सच है के तुझसे कोई रिश्ता नहीं
जी तेरे बिन पर कहीं लगता नहीं है
तस्सवुर ही ठिकाना वस्ल का
इश्क़ मुझसा भी कोई करता नहीं...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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