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सोमवार, फ़रवरी 08, 2016

"आयेंगे ऋतुराज बसंत" (चर्चा अंक-2246)

मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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Fantastico things 

which we learn 

from other animals in hindi 

*हम* इंसान अपने-आप को सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ मानते है। इसीलिए बड़ी आसानी से हर इंसानी गलती के लिए किसी न किसी जानवर से उस गलती की तुलना कर देते है। हम झट से कह देते है, *"जानवर कहीं का!!" *जबकि बाकि पशु-पक्षी निहायत ही करिने से, बेइंतहा मोहब्बत के साथ रहते है... 
आपकी सहेली पर Jyoti Dehliwal  
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मित्रता दिवस 

दादी ने गुल्लक दिलवाई 
बचत की आदत डलवाई 
मैंने भी इसको अपनाया 
चंद सिक्के जमा किये 
फ्रेन्डशिप डे है आनेवाला 
मन ने कहा 
क्यूं न खुद फ्रेन्ड शिप बैण्ड बनाऊँ 
अपने मित्रों को पहनाऊँ 
छोटे छोटे उपहारों से
 मनभावन जश्न मनाऊँ ... 
Akanksha पर Asha Saxena 
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रूपसी 

यादों के चित्रकार ने थे, अति मधुर चित्र तेरे खींचे, 
तब हो जीवन्त कल्पना ने, ला अद्भुत रंग उसमें सींचे । 
सौन्दर्य-देव ने फिर उसमें, भर दी आकर्षण की फुहार, 
मेरे जीवन की स्वप्न-तरी, चल पड़ी सहज तेरे पीछे... 
न दैन्यं न पलायनम् पर प्रवीण पाण्डेय 
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कवि की मनोदशा 

एक कवि हूँ मैं, 
सदैव ही उपेक्षित, 
सदैव ही अलग सा, 
यूँ रहा हूँ मैं । 
पता नहीं पर क्यों, 
सब भागते हैं मुझसे, 
हृदय की बात बोलूँ, तिरस्कार है होता । 
कविता ही दुनिया, 
कविता ही भावना, 
कविता ही सर्वस्व, 
मेरा भंडार है यही ... 
ई. प्रदीप कुमार साहनी 
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आयेंगे ऋतुराज बसंत 

खिल गए सरसों पीले पीले,  
पीत रंग में रंगी धरा है, 
वृक्षों में नव कोंपल फूटे, 
पुनः यहाँ सब हरा भरा है । 
पतझड़ के वे रुखे से पल, 
हो चला अब उसका अंत, 
प्रकृति सत्कार में जुटी, 
आयेंगे ऋतुराज बसंत... 
ई. प्रदीप कुमार साहनी 
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मटर छीलती लड़की---। 

Fulbagiya पर डा0 हेमंत कुमार 
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मन ही देवता मन ही ईश्वर 

मन ही देवता मन ही ईश्वर मन ,जी हाँ मन ,एक स्थान पर टिकता ही नही पल में यहाँ तो अगले ही पल न जाने कितनी दूर पहुंच जाता है ,हर वक्त भिन्न भिन्न विचारों की उथल पुथल में उलझा रहता है ,भटकता रहता है यहाँ से वहाँ और न जाने कहाँ कहाँ... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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जीवन कथा 

नए भवन में
नई गृहस्थी,
डाल-डाल पर तितली तितली.

कली-हृदय कुछ अस्फुट सा है,
स्वप्न,  नींद में अंकुर सा है,
लगता जग सुन्दर निष्पापी
https://ssl.gstatic.com/ui/v1/icons/mail/images/cleardot.gifहृदय बड़ा सागर जैसा है... 
मानसी पर 
Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी 
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मुफ़्त का खाया मगर पचता नहीं 

सच है के तुझसे कोई रिश्ता नहीं 
जी तेरे बिन पर कहीं लगता नहीं है 
तस्सवुर ही ठिकाना वस्ल का 
इश्क़ मुझसा भी कोई करता नहीं... 
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’  
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आभानेरी 

parmeshwari choudhary  
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