मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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"हम देख-देख ललचाते हैं"
मधुमेह हुआ जबसे हमको,
मिष्ठान नही हम खाते हैं।
बरफी-लड्डू के चित्र देखकर,
अपने मन को बहलाते हैं।।
हमने खाया मन-तन भरके,
अब शिक्षा जग को देते हैं,
खाना मीठा पर कम खाना,
हम दुनिया को समझाते हैं।
मधुमेह हुआ जबसे हमको,
मिष्ठान नही हम खाते हैं।।
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कुछ और क्षणिकाएँ
*पचहत्तर* आश्चर्यचकित हूँ जानकर कि
कवि लोग कविता भी लिखते हैं
मैं सोचता था थक जाते होंगे बेचारे
पुरस्कार लेने और लौटाने के बीच...
उमेश महादोषी
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'' मेरे स्वप्न अहम् हारे '' नामक नवगीत ,
स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह -
'' एक अक्षर और '' से लिया गया है -
हरसिंगार सबके सब मुरझाते चले गये !!
समय के धुँधलके में - ममता के चेहरे
सब धुँधलाते चले गये
हरसिंगार सबके सब मुरझाते चले गये...
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स्वयं ही समाया
समर्पण हे देवी, तुम्हें आज जीवन,
तुम्हें पा के, जीवन में सर्वस्व पाया ।
है मन आज मोदित, यह तन आज पुलकित,
मैं मरुजीव सौन्दर्य-रस में नहाया ।।१।।...
प्रवीण पाण्डेय
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"अपने आप को जानें और पहचानें"
हमारी ज्यादा रूचि सिर्फ दूसरों को जानने और अपनी जान पहचान बढ़ाने में ही रहती है, खुद अपने को जानने में नहीं रहती। हमारी यह भी कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक लोग हमें जानें, हम लोकप्रिय हों पर यह कोशिश हम जरा भी नहीं करते कि हम खुद के बारे में जानें कि हम क्या हैं, क्यों हैं, क्यों पैदा हुए हैं, किसलिए पैदा हुए हैं....
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अजब गजब संसार
अजब गजब दुनिया है भैया, अजब गजब हैं लोग ।
रहे भागते जीवन भर ये, क्या ना करें प्रयोग ।।
पैसों पर ही ध्यान है सबका, नहीं कहीं है चैन।
दिन भर तो ये रहे ऊँघते, नींद बिना है रैन...
ई. प्रदीप कुमार साहनी
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मेरे ही कांधे पर सिर रख कर दुलराना मुझे
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धागों को उलझा रही हूँ..
कि सुलझा रही हूँ....
फिर उँगलियों के पोरो में,
धागों को उलझा रही हूँ...
कि सुलझा रही हूँ....
उलझे तो तुम्हारे ख्याल हो,
सुलझे तो तुम्हारे जवाब हो.....
मैं फिर धागों में,
हमारे एहसासों को पिरो रही हूँ...
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अरे क्या साँप सूँघा है सभी को
किए बदनाम हैं सब आशिक़ी को
मगर हासिल हुआ क्या कुछ किसी को ...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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ज़िंदगी जीने की कला
राम चरित मानस और महाभारत हमारे धर्म के दो ऐसे महान ग्रन्थ है जिनसे हम बहुत कुछ सीख सकते है | राम चरित मानस में जहाँ भगवान श्री राम के आदर्श चरित्र को पूजा जाता है वहाँ महाभारत में योगेश्वर श्री कृष्ण के चरित्र के भिन्न भिन्न स्वरूप दर्शाये गये हैं । यहाँ मै चर्चा करुँगी ,महाज्ञानी ,महापंडित रावण की ,हर वर्ष हम सब दशहरे को उसका पुतला जला के बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाते है ,अगर हम देखें तो उस बुराई की जड़ को पानी तो लक्ष्मण ने दिया था ,श्रूपनखा की नाक काट कर ,अपमानित व्यक्ति अपने अपमान को कैसे सहन कर सकता है । वैसे ही महाभारत में द्रौपदी ने दुर्योद्धन को अन्धे का बेटा ...
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खतरनाक मिसाल कायम कर रहे हैं
पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम
खतरनाक है ये। कितना खतरनाक इसका अंदाजा तो अभी लगाना मुश्किल है। आगे चलकर पता चलेगा। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में आतंकवादियों के साथ सहानुभूति रखने, देश की बर्बादी के नारे लगाने और देश की संसद पर हमला करने की साजिश रखने वाले आतंकवादी अफजल गुरू को शहीद बताने वाले छात्रों के समर्थन की राजनीति और आगे चली गई है। हालांकि, इसे राजनीति क्यों कहा जाना चाहिए। क्योंकि, राजनीति तो सत्ता पाने के लिए, सत्ता चलाने के लिए की जाने वाली नीति है। लेकिन, शायद कांग्रेस सत्ता पाने के लिए कहीं तक भी जाने को राजनीति का हिस्सा ही मानने लगी है...
HARSHVARDHAN TRIPATHI
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जब एक थानेदार ने थमाई
आईजी पुलिस के खिलाफ दर्ज की रपट
...जी हाँ ! हम बात कर रहे है संत थानेदार के नाम से विख्यात थानेदार रामसिंह की| जिन्होंने कभी भी पराये धन को हाथ नहीं लगाया| अपने सहायकों से कोई व्यक्तिगत काम नहीं कराया, कभी मुफ्त में रेल बस यात्रा नहीं की| कभी किसी मामले की जाँच में ऊपरी दबाव में नहीं आये| बल्कि उनकी छवि के चलते उनके उच्चाधिकारी उनसे कभी किसी की सिफारिश भी नहीं करते थे| यह थानेदार रामसिंह की कर्तव्यनिष्ठा की पराकाष्ठा ही थी कि एक बार उन्होंने जयपुर राज्य के पुलिस महानिरीक्षक के खिलाफ बिना किसी खौफ के अपने थाने के रोजनामचे में रपट दर्ज कर ली| इस घटना पर संत थानेदार पुस्तक के लेखक शार्दुल सिंह कविया अपनी पुस्तक में लिखते है- "महात्मा गांधी की डांडी यात्रा और नमक सत्याग्रह के फलस्वरूप समूचे देश में चेतना की एक नई लहर फैल गई थी। राजस्थान की देशी रियासतें भी इससे अछूती नहीं रही। राजस्थान में इन्हीं दिनों प्रजामण्डल की स्थापना हुई जिसने आगे चलकर जन-आन्दोलन का रूप धारण कर लिया...
ज्ञान दर्पण पर Ratan singh shekhawat
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