मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
कल से तीन दिनों के लिए बाहर जाना है।
कल से तीन दिनों के लिए बाहर जाना है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
--
दोहे
"चुम्बन का व्यापार"
चुम्बन का दिन आ गया, कर लो सच्चा प्यार।
बिना मोल के जो मिले, चुम्बन वो उपहार।१।
--
चुम्बन के इस दिवस पर, बुझा लीजिए प्यास।
लेकिन होना चाहिए, आपस में विश्वास...
--
--
--
--
वसंत पंचमी और देवी सरस्वती ------
ध्रुव गुप्त /डॉ सुधाकर अदीब
सरस्वती की पूजा वस्तुतः आर्य सभ्यता-संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान, गीत-संगीत और धर्म-अध्यात्म के कई क्षेत्रों में विलुप्त सरस्वती नदी की भूमिका के प्रति हमारी कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है।
मित्रों को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की शुभकामनाएं !
क्रांति स्वर पर विजय राज बली माथुर
--
--
सादर नमन
वीर जवान खड़ा हिम शिखर पर सीना ताने हिम चट्टानों में करता है वो हमारी रक्षा सारी चुनौतियों को स्वीकार करके हमें नाज है उन वीरो पर जो अपनी भारत माता की रक्षा करते, वो भारत माता के लाल जिन्हे धरा पुकारती ऐसे ही एक वीर है जिनकी माँ धन्य है, वो जिन्होंने हनुमनथप्पा को जन्म दिया ६ दिन तक लड़ते रहे मौत से और मौत को दे दिया चकमा पर वो नहीं लड़ पाया और आगे, और वीरता से मौत लगा लिया धन्य हो हनुमनथप्पा तुम, जो हार कर भी जीत गए तुम्हे नमन हो और अश्रुपूर्ण विदाई...
--
देश में आपातकाल लग गया है!
आपको भले न पता हो। लेकिन, देश में आपातकाल लग गया है। आप नहीं समझ पा रहे हैं कि आपातकाल लग गया है, तो ये आपकी गैरसमझदारी हैं। क्योंकि, आप वामपंथी नहीं हैं। देश में बेहद मुश्किल में पड़े-बचे समझदार वामपंथी नहीं है। अगर आप नहीं मानते हैं, तो आप देश के नागरिक भले हों। देश के चिंता करने वाले भले हों। भले ही आप भारत को दुनिया का सबसे अच्छे देशों में शामिल कराने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हों। लेकिन, ये सब करके भी आप पिछड़े, पुरातनपंथी, संघ समर्थक, ब्राह्मणवादी या थोड़ा और साफ करें, तो मनुवादी भी ठहराए जा सकते हैं...
HARSHVARDHAN TRIPATHI
--
--
--
--
'' फरक्का हुआ '' नामक मुक्तक ,
कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक संग्रह -
'' चाँद झील में '' से लिया गया है -
--
खो दिए फिर हमने वीर
देश की शान के लिए खड़े जो,
हर मुश्किल में रहे अड़े जो,
मौत से हारे वो आखिर,
खो दिए फिर हमने वीर ...
ई. प्रदीप कुमार साहनी
--
--
--
--
--
--
--
--
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।