फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, फ़रवरी 17, 2016

नमन हे अविनाश वाचस्पति-; चर्चा मंच 2255


नमन हे अविनाश वाचस्पति-

रविकर 
श्यामल सुमन 

मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -२ , अंक ५ ,फ़रबरी २०१६ में

Madan Mohan Saxena 
रोके अपनी बहन को, दकियानूसी भाय |
ऊँची शिक्षा के लिए, शहर नहीं ले जाय |

शहर नहीं ले जाय, भाय खुद जाय कमाया |
घर भी लिया बसाय, बाप बनने को आया |

होय प्रसव का दर्द, मर्द-डाक्टर को टोके |
महिला डाक्टर खोज, रहा कब से रो रो के ||

हमिंग बर्ड - मुकेश कुमार सिन्हा

shashi purwar 

जब भाषा दरबारी ,दैवीय....

udaya veer singh 

नयी-नयी पोशाक बदलकर, मौसम आते-जाते हैं,

yashoda Agrawal 

गीत "पात झर गये मस्त पवन में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।