मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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एक ग़ज़ल :
पयाम-ए-उल्फ़त मिला तो होगा....
पयाम-ए-उल्फ़त मिला तो होगा ,
न आने का कुछ बहाना होगा
मेरी अक़ीदत में क्या कमी थी ,
सबब ये तुम को बताना होगा...
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Valentine day
खतों की डायरी...!!!
जब भी तुम्हारा खत मिलता था,
तो यूँ लगता की जैसे
इस खत, मेरे दिल का कोई राज छुपा हो,
मैं जैसे हर वो बात तुमसे,
सुनना चाहती थी...
जो कभी, मैं तुमसे कहना चाहती थी..
आज भी ये खत...
मेरी डायरी दे बाहर,
खुद-बखुद आ जाते है...
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'' वह झिलमिल छवि '' नामक मुक्तक ,
कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक संग्रह -
'' चाँद झील में '' से लिया गया है -
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टीवी, इंटरनेट, शॉपिंग और सोना ये जीवन का आधार नही।
सब ने कहा, सब ने माना कि पढ़ाई ही जीवन का आधार सही...
सब ने कहा, सब ने माना कि पढ़ाई ही जीवन का आधार सही...
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सपनों की दुनिया है कितनी निराली,
हर रोज छुट्टी है, हर दिन दिवाली|
पलकों में बंद किये सपने सुहाने,
सोई हूँ पापा के लग कर सिरहाने...
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जब करे याचना 'सुंदरता'
लिख दो ना कवि, मुझ पर कविता
कुछ पता नहीं क्रय हो जाए
कब कंचन सम काया ललिता।...
लिख दो ना कवि, मुझ पर कविता
कुछ पता नहीं क्रय हो जाए
कब कंचन सम काया ललिता।...
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शब्द
शब्द मीठे होते हैं
कानों से होते हुवे
दिल में उतरते है
शहद घोल घोल के
शब्द ही खंजर से
तीखे भी हो जाते हैं
ले आते हैं
ज्वार और भाटे...
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जीवन संग्राम !
जीवन एक सतत युद्ध है
हर दिन हर पल लड़ना पड़ता है
कभी किसी व्यक्ति से,
कभी किसी विचार से ,
कभी ‘काल’ से
कभी परिस्थिति से,
कभी खुद के दिल और विवेक से...
कालीपद "प्रसाद"
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आज नुक्कड़ अनाथ हो गया -
सतीश सक्सेना
ब्लॉगिंग सभा सञ्चालन में अविनाश वाचस्पति *नुक्कड़ भी अचानक से , यूँ अनाथ हो गया ! * *ऐसा भी क्या हुआ, ये चमन ख़ाक हो गया !* *अविनाश के जाते ही,कुछ सुनसान सा लगे * *ब्लॉगिंग में मुन्नाभाई भी, इतिहास हो गया !* *कितने ही दिन से लड़ रहा था मौत से इकला* *जाने का उसको कब से ही अहसास हो गया !* *हँसता तो खूब ही रहा, अविनाश अंत तक * *आखिर ये ज़ज़्बा मस्त भी खलास हो गया !* *इक दिन तो मुन्ना भाई, सभी आएंगे वहीँ * *अखबार छाप देंगे कि, अवसान हो गया !...
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अविनाश वाचस्पति को विनम्र श्रद्धांजलि।
*कु*छ लोग ऐसे होते हैं जिनके विचार तो महान होते हैं, पर जीवन महान नहीं होता। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका जीवन तो महान होता है, पर विचार महान नहीं होते। लेकिन विरले ही सही एक व्यक्ति ऐसा मिल ही जाता है, जिसके जीवन और विचार दोनों महान होते हैं। ऐसा ही थे अविनाश वाचस्पति। अविनाश का एक व्यंग्य है "रावण का होना खलता नहीं है", मगर हमारे बीच अविनाश का न होना "पूरे ब्लॉग जगत" को खलेगा इसमें कोई संदेह नहीं है। कुछ दिन पूर्व यानि 11 जनवरी को मैंने अविनाश जी को फोन करके कहा कि अब आपकी तबीयत कैसी है ? उन्होने ठहाका और कहा कि "प्रभात भाई हेपिटाइटिस सी नामक जानलेवा बीमारी से तो मुझे इश्क हो गया है...
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