मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गीत "सबसे ज्यादा भाते हैं"
कोमलता अपनाने वाले,
गीत प्रणय के गाते हैं।
काँटों में मुस्काने वाले,
सबसे ज्यादा भाते हैं।।
सीधे-सादे, भोले-भाले,
रखते हैं अन्दाज़ निराले,
जो चंचल-नटखट होते हैं,
मन के होते हैं मतवाले.
हँसते हुए प्रसून देखकर,
दौड़े-दौड़े आते हैं...
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*** अस्पृश्य पद्यांश ***
उसने प्रेम किया था,
या कि उसे प्रेम जैसी
किसी सकुचाती भावना का
पाठ्य में ही भान कराया गया।
उसे अब जो लगता है
वो तब उस अनुभूति से
कुछ और ही अलग था...
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'' प्यार '' - ( 3 ) , नामक मुक्तक ,
कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक संग्रह -
'' चाँद झील में '' से लिया गया है
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मुक्तक
दीवानगी इस हद तक बढी
भूल गई वह कहाँ चली
यदि किसी अपने ने देखा
सोचेगा क्यूँ यहाँ खड़ी...
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इंसान और कुत्ता
न जाने क्यों आजकल इंसान
कुत्तों जैसे बनना चाहते हैं.
वे आदमियों की तरह नहीं,
कुत्तों की तरह लड़ते हैं,
उन्हीं की तरह जीभ लपलपाते हैं,
सुविधाओं के बदले कोई पट्टे से बांधे
तो बेहिचक बंध जाते हैं...
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जिन्दगी यूँ ही चलती रहती है
(कहानी)
सर्दी हो,गर्मी हो या फिर बरसात ,देहरादून में तीनों ही मौसमों का अपना अलग ही अंदाज है और हमेशा ही अपनी विशेष पहचान बनाए रखते हैं यहाँ के जाड़ों का तो जवाब ही नही ,रात को रजाई में घुस कर मूँगफली खाते हुए टी.वी. देखने का मजा़ कुछ आलग ही होता है और सुबह की हल्की गुनगुनी सी धूप में बैठना स्वर्गीय़ आनंद दे जाता है.... .
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आज का प्रश्न-490
कुछ जानवरों की आँखें रात्री में क्यूँ चमकती हैं ?
उत्तर : आंखों में स्थित रेटिना में दो प्रकार की कोशिका होती हैं- एक फोटोरिसेप्टर कोशिका व दूसरी रॉड कोशिका। रॉड कोशिका प्रकाश संवेदी होती हैं और कम प्रकाश में उपयोगी होती हैं। कोन कोशिका रंगों व चमकीलेपन के प्रति संवेदी होती हैं। बिल्ली में रॉड कोशिका की अपेक्षा कोन कोशिका की संख्या अधिक होती है। अंधेरे में जब बिल्ली अपनी आंखों को पूरा खोलती है तो सम्पूर्ण उपस्थित प्रकाश टेपटिम ल्यूसिडम नामक पर्त पर गिरता है, जो कि क्रिस्टल से बनी होती है...
हर रोज़ एक प्रश्न? पर
Darshan Lal
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भीड़ बुलाकर जलियावाला बाग़ बनाते भी देखेंगे
अपने देश को हम झुकते नहीं देखेंगे
कुर्बानी शहीदों की हम खोते नहीं देखेंगे
जिसने कहा है हमें देशद्रोही
उसे देशवासी नहीं उसे राजनेता ही समझेंगे
इनको कहाँ आता है राष्ट्रवाद की परिभाषा
इन्हें है अपना राज पाने को लेकर आशा
जहाँ देखेंगे वहां भारत-पाक बनाते देखेंगे...
प्रभात
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कुछ यादे है...
वो राज तुम्हारी आँखों का,
वो जादू तुम्हारी बातो का,
वो खूबसूरती ढलती शामो की,
वो तन्हाई गहराती रातो की,
वो छुअन तुम्हारे एहसासों की,
वो तूफान तुम्हारे जज्बातों का,
सभी कुछ तो वही है,
कुछ बदला नही है,
यही कुछ यादे है,
हमारी मुलाकातो की...
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सुप्रीमकोर्ट ने पटियाला हाउस से सीधे सर्वोच्च अदालत पहुंचे कन्हैया कुमार को करारा झटका दिया। साफ कहाकि जमानत की अर्जी उच्च न्यायालय में दाखिल करिए। कन्हैया के वकीलों ने भरी दुपहरिया में देश के सामने, इतने कैमरे थे कि माना जा सकता है, कन्हैया को मारने-पीटने की घटना के आधार पर ये दलील दी थी कि सर्वोच्च न्यायालय जमानत याचिका पर सुनवाई करे। ये घटना पटियाला हाउस यानी निचली अदालत में हुई थी। ये शर्मनाक घटना लगातार दो बार होने और उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर इस शर्मनाक घटना की समझ लेने गए वकीलों के बयान ने स्थिति इतनी बिगाड़ी कि सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से जवाब...
HARSHVARDHAN TRIPATHI
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जेहादी मानसिकता के
आराजक तत्वों के खिलाफ
खेलने वाला तत्त्व
जाट नहीं हो सकता
कुछ और होगा
Virendra Kumar Sharma
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आग का दरिया है
और डूब के जाना है
कुछ लोगों का जीवन अपने परिवार तक सीमित होता है, उनके लिये ही सारा खटराग रहता है। लेकिन कुछ लोग अपने मन को भी टटोलते रहते है और वे कभी परिवार से इतर अपने मन की इच्छाओं को भी पूर्ण करना चाहते हैं। इसके लिये वे साहित्यिक, राजनैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक आदि अनेक क्षेत्र हैं जिसमें वे स्वयम् को तलाशते हैं। जीवीकोपार्जन के अतिरिक्त ऐसे लोग इन से सम्बन्धित संस्थाओं में अपनी जगह ढूंढते हैं। समय की उपलब्धता के हिसाब से वे अपना मन बनाते हैं। पोस्ट को पढ़ने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें...
smt. Ajit Gupta
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उम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
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