रविकर
डंडे पर झंडे फहर, लहर लहर लहराय |
देशद्रोहियों पे कहर, पर उनको ना भाय |
पर उनको ना भाय, ब्लैक आउट कर देता |
पप्पू भाय अघाय, आप अब्बा से नेता |
रविकर रहा उबाल, खोज अफजल के अंडे |
खाए नमक लगाय, गिने फिर जाके डंडे ||
रविकर गिरगिट एक से, रहे बदलते रंग रविकर गिरगिट एक से, रहे बदलते रंग | खिले गुलाबी ख़ुशी मन, हो सफ़ेद जब दंग | हो सफ़ेद जब दंग, रचे रचना गड़बड़ सी | झड़े हरेरी सकल, होय गर बहसा-बहसी | बदन क्रोध से लाल, हुआ पीला तन डरकर | है बदरंगी हाल, कृष्ण-काला मन रविकर || |
सुशील कुमार जोशी
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Tushar Rastogi
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सरिता भाटिया
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प्रवीण पाण्डेय a
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Pankaj Kumar Sah
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noreply@blogger.com (सतीश पंचम)
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chandan bhati
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Shanti Garg
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रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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