तेजाबी नारे लगा, करे देश से द्रोह |
शोध छात्र करते दिखे, आतंकी से मोह |
आतंकी से मोह, देश की हँसी उड़ाते |
भारत मुर्दाबाद, शत्रु की जय जय गाते |
उधर बारहवीं पास, छात्र सेना में जाते |
मरें राष्ट्र रक्षार्थ, हमें उम्मीद बँधाते ||
|
pramod joshi
|
रविकर
|
रंजना
|
rohitash kumar
|
Randhir Singh Suman
|
Kirtish bhatt
|
NARESH THAKUR
|
Ravishankar Shrivastava
दो सौ इक्यावन लगे, फोन बुकिंग आरम्भ।
दिखा करोड़ों का यहाँ, बेमतलब का दम्भ। बेमतलब का दम्भ, दर्जनों बुक करवाये। नोचे बिल्ली खम्भ, फोन आये ना आये। मुफ्तखोर उस्ताद, दूर रहता है कोसों। कौड़ी करे न खर्च, कहाँ इक्यावन दो सौ।। |
Virendra Kumar Sharma a
|
udaya veer singh
|
shyam Gupta
|
Shalini Kaushik
|
VenuS "ज़ोया"
|
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।