मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
--
लोहे के घर से-10
January 27 at 5:53pm · आज सभी #ट्रेनें दगा दे गईं। अपनी भी, पराई भी। हे प्रभु! ये हो क्या रहा है!!! 49अप और दून, किसान सभी डाउन ट्रेनें कैंसिल। अपन को तो 60 किमी जाना है, बस पकड़ लिया मगर जिसे लम्बी यात्रा करनी हो, उनका क्या हाल हुआ होगा...
--
बढ़ रही रफ़्तार की दीवानगी चारों तरफ़
हर मुहल्ले, हर सड़क पर, हर गली, चारों तरफ़
है तेरा जल्वा, तेरी चर्चा रही चारों तरफ़
आस्माँ पे अब्र भी छाने से कतराने लगे
इस तरह फैली है तेरी रौशनी चारों तरफ़...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
--
--
LeTv Le 1S mobile
complete review in Hindi
कीमत :- 10,999/- मात्र
Display :-
400 पिक्सल प्रति इंच के साथ इस मोबाइल का व्यू एंगल सकारात्मक है. 5.5 FHD स्क्रीन के साथ मूवी देखने का मजा ही अलग देता है | इस कीमत वाले सभी मोबइलों में से इसकी स्क्रीन सकारात्मक पाई गई है
DESIGN :-
iPhone के समान देखने वाले इस फ़ोन को अलुमिनियम बॉडी के साथ बनाया गया है जो की इसको बहुत ही खुबसूरत बनता है साथ ही हाथ में पकड़ने में आसानी होती है | 7.5mm मोटाई वाले इस फ़ोन में स्क्रीन कोने से कोने तक लगाई गई है | इसका डिजाईन इस कीमत वाले सभी मोबिलों में से सबसे खूबसूरत है | कुल मिला कर यह मोबाइल देखने में काफी कीमती लगता है |
Performance :-
यह मोबाइल 3GB of RAM, a 2.2GHz octa-core MediaTek Helio X10 processor and 32GB स्टोरेज के साथ उपलब्ध है हमने इस फ़ोन में किसी प्रकार की हंग होने की शिकायत नहीं देखि खासकर हैवी गेम खेलते वक्त | लेकिन हैवी गेम के साथ और अधिक प्रोग्राम को खोलने पर ये फ़ोन थोडा धीमा महसूस दिख पड़ता है | इस मोबाइल में आप हैवी गेम जैसे Asphalt 8 जैसे खेलों को आसानी से खेल सकते है |
हालाँकि देर तक काम में लेने पर यह मोबाइल थोडा गरम महसूस होता है, जैसा की आप जानते है इसकी बॉडी धातु की बनी हुई है तो गरम होना लाजमी होगा |...
ज्ञान दर्पण पर Ratan singh shekhawat
--
Mahanadi yahaan khandit hoti hai.
प्रथम पंचवर्षीय योजना में सम्बलपुर (ओडिशा) के पास महानदी पर हीराकुण्ड बाँध बना। तब उस बनते हुए बाँध को देखने के लिए हमारी स्कूल ट्रिप गयी थी। वह एक भव्य और अविस्मरणीय अनुभव था। सम्बलपुर के लिए हमें झारसुगुड़ा में गाडी बदलनी थी। और झारसुगुड़ा के रेलवे स्टेशन पर हमें काफी देर रुकना पड़ा था। अब, जब कभी झारसुगुड़ा जाने का मौका मिलता है,वहाँ मैं बचपन के अपने उन दिनों को ढूंढता हूँ। और वो मुझे मिल जाते हैं।
हीराकुण्ड बाँध से पहले झारसुगुड़ा एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र रहां है। वह आज भी है। लेकिन वह व्यापारिक परम्परा अब नहीं है, जो दो नदियों की जल संस्कृति से विकसित हुयी थी। और झारसुगुड़ा को विशिष्ट बनाती थी। गोदावरी और महानदी का जलमार्ग से होकर प्राचीन बालीदेश और हिन्दचीन द्वीप समूह के साथ होने वाले समुद्रपारीय व्यापार के लिए झारसुगुड़ा एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। हीराकुण्ड बाँध बनने से महानदी खंडित हो गयी। और यह ऐतिहासिक जलमार्ग अवरुद्ध हो गया...
सतीश का संसार पर satish jayaswal
--
उधार
छोटा बनिया देता है उधार में
आटा, नमक, तेल और मसाले
उधार में नाई काट देता है बाल-दाढ़ी
बड़ा बनिया देता है उधार में
अनाज, तेल, हथियार
पंडित नहीं कराता पूजा उधार में
नहीं देता बड़ा बनिया उधार में
किताब, पेन्सिल, कलम बच्चो के लिए
--
--
--
--
'' आँसू '' नामक नवगीत ,
कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह -
'' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है -
आँसू तो आँसू हैं , निकल ही पड़ते हैं।
वैसे ये पानी हैं , फिर भी ये मानी हैं ,
तुच्छ समझने पर , भीतर तक गड़ते हैं।
आँसू तो आँसू हैं , निकल ही पड़ते हैं...
--
मैं प्यारेलाल ही ठीक हूँ
यों तो मेरा नाम इस्लाम मोहम्मद है, धर्मपरायण मौलवी साहब और मेरे अम्मी-अब्बू ने ये नाम बहुत खुशी खुशी दिया होगा. ये नाम ऐसा है कि इसके उच्चारण से ही मालूम हो जाता है कि मैं धरम से मुसलमान हूँ. पहली झलक में ही ये नाम ट्रेडमार्क की तरह मेरी पहचान है. मैं उत्तर प्रदेश के उस इलाके के ग्रामीण परिवेश में बड़ा हुआ हूँ, जिसे मुजफ्फर नगर-मेरठ कहा जाता था. पिछले साल मेरे परिवार ने भी हिन्दू-मुस्लिम झगड़ों/दंगों की त्रासदी झेली है. राजनैतिक रोटियाँ सेकने वालो ने इस इलाके का भाईचारा बिगाड़ कर रख दिया है, जिसके घावों को भरने में लंबा समय लग सकता है...
जाले पर पुरुषोत्तम पाण्डेय
--
--
--
कोई भी शेर मुकम्मल बहर नहीं आता ...
उदास रात का मंजर अगर नहीं आता
कभी मैं लौट के फिर अपने घर नहीं आता
मैं भूल जाता ये बस्ती, गली ये घर आँगन
कभी जो राह में बूढा शजर नहीं आता...
--
'सम्वेदना की नम धरा पर' -
श्रीमती आशा लता सक्सेना जी की नज़र से
“सम्वेदना की नम धरा पर” फैली काव्य धारा विविधता लिए है | साधना की ‘साधना’ लेखन में स्पष्ट झलकती है | बचपन से ही साहित्य में रूचि और कुछ नया करने की ललक उसमें रही जो रचनाओं के माध्यम से समय-समय पर प्रस्फुटित हुई | रचनाधर्मिता का वृहद् रूप उसकी कविताओं में समाया है |
कम उम्र से ही साधना ने पारिवारिक दायित्वों का कुशलतापूर्वक वहन किया और समय-समय पर अपने विचार लिपिबद्ध किये | साधना स्वभाव से बहुत भावुक और संवेदनशील है | सामाजिक सरोकारों के विविध विषयों और समसामयिक समस्याओं पर तथा नारी उत्पीड़न, महिला जागृति एवं कन्या भ्रूण ह्त्या जैसे संवेदनशील मुद्दों पर लिखी रचनाओं में साधना के मनोभावों की प्रस्तुति उसकी उन्नत सोच की परिचायक है...
--
--
कहा कृष्ण ने अर्जुन से
ज्ञान चक्षु खोल अपने
रंग बिरंगे इस जीवन में
होना पड़ता रू ब रु
आशा और निराशा से
मनाता जश्न जीत पर
तो कोई रोता हार पर अपनी...
--
--
...तू क़यामत कर
सब्र कर या खुली बग़ावत कर
अपने एहसास की हिफ़ाज़त कर
शाह से दोस्ती नहीं मुमकिन
क्यूं न सच बोल कर अदावत कर...
--
अचानक
उन टूटी खिड़कियों
का उतरा रंग
चमकने लगा
शायद
जिंदगी ने
अंगडा़ई ली...
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।