मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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परास्त रवि
(१)
आततायी सूर्य का, यह अनचीन्हा रूप
लज्जित भिक्षुक सा खड़ा, क्षितिज किनारे भूप !
(२)
बाँध धूप की पोटली, काँधे पर धर मौन
क्षुब्ध मना रक्ताभ मुख, चला जा रहा कौन...
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'' तुम बिना '' नामक मुक्तक ,
कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक संग्रह -
'' चाँद झील में '' से लिया गया है -
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नेताओ के हाथ
कही वतन बिक न जाये
बिक रहा है पानी, पवन बिक न जाए ,
बिक गयी है धरती, गगन बिक न जाये...
मालीगांव पर
Surendra Singh bhamboo
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प्यार के साइड इफेक्ट्स
*“सुनो, मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ.
प्लीज़, मुझसे शादी कर लो.”
उसने बेहद गंभीर आवाज़ में कहा.
“धत पगली, ये भी कोई तरीका है प्रोपोज करने का?
पूरी फ़िल्मी हो तुम...
चलो, लंच बॉक्स दो मेरा.
ऑफिस के लिए देर हो जायेगी...
Sneha Rahul Choudhary
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शिकारियों की चूजों पर बहुत तगड़ी नज़र है
ज़िंदगी बड़ी मुश्किल से होती अब बसर है
शिकारियों की चूजों पर बहुत तगड़ी नज़र है
काली यमुना मटमैली गंगा मिलती हैं रोज संगम पर
नदियों का ही नहीं यह सारे संसार का सर्द मंज़र है...
सरोकारनामा पर Dayanand Pandey
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सपना
मेरी धारणा बन गई है
मन में बस गई है
सपने में जब कोई
अपना आता है
उसका कोई
उसका कोई
संकेत देना कुछ कहना
किसी आनेवाली घटना से
किसी आनेवाली घटना से
सचेत कर जाता है
यही ममत्व ह्रदय में
यही ममत्व ह्रदय में
अपना घर बनाता है
पर कभी स्वप्न ...
अजीब सा होता है ...
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Over 40% living with HIV in India are women
भारत में एचआईवी -एड्स संक्रमित मामलों में ४० फीसद हिस्सेदारी औरतों की और ६. ५ ४ फीसद पन्द्र साल से कम उम्र के किशोरों और बालकों की है। औरतों की नियमित एचआईवी जांच शहरों और गाँवों में समान रूप से हो ,दोनों तक इससे संक्रमित होने तथा इस संक्रमण के बारे में पूरी जानकारी पहुंचे ,मुहैया करवाई जाए नियमित ऐसी जानकारी ,यह निहायत ज़रूरी है।सेक्स पार्टनर चुन ने के मामले में उसे पूरी आज़ादी हो फिर भले ही उसका पति ही क्यों न हो जो साल छ : महीनों में ही घर का रुख करता है और जिसकी एक निष्ठता शक के घेरे में बनी रहती हो।औरत को इस संक्रमण से बचाने का मतलब है एक परिवार को इस इन्फेक्शन से बचाये रखना।...
Virendra Kumar Sharma
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मेरा हर कदम
बढ़ रहा है यूं तो मंजिल की ओर ही।
पर मुझे मंजिल नहीं प्रिय तो पथ ही है...
kuldeep thakur
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जब तक साँसों का बंधन है जीते जाओ सोचो मत...
निदा फ़ाज़ली
जीवन क्या है चलता फिरता एक खिलौना है
दो आँखों में एक से हँसना एक से रोना है
जो जी चाहे वो मिल जाये कब ऐसा होता है
हर जीवन जीवन जीने का समझौता है...
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संस्मरण
"ब्लॉगिंग के पुरोधा अविनाश वाचस्पति को नमन"
कल जैसे ही इण्डरनेट खोला तो अविनाश वाचस्पति के निधन का दुखद समाचार पढ़ने को मिला। अविनाश जी से मेरे एक आत्मीय मित्र के सम्बन्ध थे। आघात सा लगा यह हृदयविदारक सूचना पढ़कर। अविनाश वाचस्पति दसियों साल से हैपेटाइटिस-बी रोग की समस्या जूझ रहे थे। वह इस रोग से लड़ते रहे और जीतते रहे और अन्ततः कल 8 फरवरी को हैपेटाइटिस-बी जीत गया। मगर यह तो एक बहाना मात्र था। रोग का इलाज है मगर मत्यु का कोई इलाज नहीं है। देर-सबेर इस दुनिया से जाना तो सबको ही पड़ता है। व्यक्ति के दुनिया से जाने के बाद ही उसकी महत्ता का पता लगता है। लेकिन अविनाश वाचस्पति के निधन से मुझे व्यक्तिगत आघात पहुँचा है। ...
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निदा फाजली नहीं रहे..
12 अक्टूबर, 1938 - 8 फरवरी, 2016 अपनी मर्जी से कहां अपने सफर के हम हैं, रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं भारत के मशहूर हिंदी – उर्दू कवि मुक्तिदा हसन ‘निदा फाजली’ नहीं रहे. 12 अक्टूबर, 1938 को जन्मे ये कविराज 8 फरवरी, 2016 को खुदा को प्यारे हो गये. वे 77 साल के थे. हमने उनकी अनेक गज़ल जगजीत सिंघ द्वारा सुनी है, आज जगजीत जी की जन्मतिथि अब निदा जी की पुण्यतिथि बन गई है...
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निदा फाजली :
तंज और तड़प है उनके लेखन में
ajay brahmatmaj
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