"अस्थायीरूप से चर्चा मंच लॉक" (वैकल्पिक चर्चा मंच अंक-2)
मित्रों।
सात वर्षों से प्रतिदिन अनवरतरूप से
ब्लॉगों की अद्यतन प्रविष्टियाँ दिखा रहे
आप सब ब्लॉगरों की पहली पसन्द "चर्चा मंच" को
किसी शरारती व्यक्ति की शिकायत पर अस्थायीरूप से
लॉक किया गया है। गूगल को अपील कर दी गयी है।
तब तक आपके लिंकों का सिलसिला यहाँ
"वैकल्पिक चर्चा मंच" पर जारी रहेगा।
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आज देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सुरभि
जो आगे की सोच कर चलता है और कठोर धरती को नहीं छोड़ता है वही सरल जीवन जी पाता है |
सदा भविष्य को ध्यान में रख कर आने वाले कल के लिए प्लानिग करना चाहिए और बचत करने की आदत डालना चाहिए ...
सदा भविष्य को ध्यान में रख कर आने वाले कल के लिए प्लानिग करना चाहिए और बचत करने की आदत डालना चाहिए ...
Akanksha पर Asha Saxena
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'' हम सब तो आम हैं '' नामक नवगीत ,
स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह -
'' एक अक्षर और '' से लिया गया है -
हम सब तो आम हैं , खास नहीं ,
अपना कोई इतिहास नहीं।
अपने हैं संग - साथ
तकलीफें , पीड़ा है , आँसू हैं हैं चीखें ,
सपनों की हमको तलाश नहीं...
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हर डाल छुई- मुई नहीं होती
हर शाम सुरमई नहीं होती -
कृत कथ्यों को गुनना होगा
हर बात आई गई नहीं होती ...
हर शाम सुरमई नहीं होती -
कृत कथ्यों को गुनना होगा
हर बात आई गई नहीं होती ...
udaya veer singh
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कुछ अलाहदा शे’र :
तक़्दीर देखिए
1-
ऐसी ‘बहार’ क्या न हो जिसमें विसाले यार
हर बार ये ही सोचूँ मैं तक़्दीर देखिए
-‘ग़ाफ़िल
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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दुर्योधन को चुने या युधिष्ठिर को।
हम सब एक हैं फिर बंटते क्यों हैं?
डरते क्यों हैं?
हमारे पास शक्ति है
दुर्योधन को चुने
या
युधिष्ठिर को...
पर kuldeep thakur
--
कैसा ये खेल है सूत्रधार का ....
रंगमंच सी दुनिया है ,
सूत्रधार की कल्पना से परे !
पुरुषों के दो सिर हैं
और स्त्रियां हैं यहाँ बिना सिर की !
बेटे के पिता का सिर ,
बेटी के पिता से कितना भिन्न है...
--
पत्नी वो होती है जो ---
पत्नी वो होती है जो ,
बोल बोल कर, पति की बोलती बंद कर दे ,
फिर बोले कि आप कुछ बोलते क्यों नहीं !
पत्नी वो होती है जो ,
पहले बच्चे को खिला खिला कर बीमार कर दे ,
फिर डॉक्टर से कहे कि ये कुछ खाता क्यों नहीं ...
बुधवार, 17 फ़रवरी 2016
देश के लिए चिंता के क्षण
आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
तकनीकि समस्या के कारण चर्चा मंच का लिंक कुछ समय के लिए उपलब्ध नहीं है । निरंतरता बनाए रखने के लिए आज चर्चा को वैकल्पिक चर्चा मंच ( टेस्ट चर्चा मंच ) पर लगाया जा रहा है । आशा है जल्द ही मुख्य ब्लॉग पर चर्चाओं का दौर फिर शुरू होगा
खुश खबरी यह है कि ब्लॉगर ने ब्लॉग का लॉक खोल दिया है अब।
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नमस्कार,
हमें आपके ब्लॉग http://charchamanch. blogspot.com/ के संबंध में आपकी अपील प्राप्त हुई है. समीक्षा करने पर हमें पता चला है कि आपके ब्लॉग को हमारे स्वचालित सिस्टम द्वारा गलती से TOS उल्लंघनकर्ता के रूप में चिह्नित कर दिया गया था और, इसलिए अब आपके ब्लॉग को फिर से स्थापित कर दिया गया है. इस दौरान इससे आपको होने वाली किसी भी असुविधा के लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं और चूंकि हम अपनी समीक्षा पूर्ण कर चुके हैं, इसलिए धैर्य बनाए रखने के लिए आपका धन्यवाद. आपके सहयोग के लिए धन्यवाद. भवदीय, Blogger टीम
चलते हैं चर्चा की ओर
यूनिवर्सिटीयों को ब्रेनबम नहीं ईमानदार व्यक्तित्व बनाने दो
सीपी
राष्ट्रवाद और राष्ट्रद्रोह
न देशभक्त न देशद्रोही
देश की प्रज्ञा का अपमान न करें
हों समता के भाव
बेलगाम अभिव्यक्ति
क्षणिकाएँ
अर्थहीन नहीं...
दिन रात तेरे ख्यालों में
कैसा ये खेल है सूत्रधार का .
सपना मांगलिक
यूनिवर्सिटीयों को ब्रेनबम नहीं ईमानदार व्यक्तित्व बनाने दो
सीपी
राष्ट्रवाद और राष्ट्रद्रोह
न देशभक्त न देशद्रोही
देश की प्रज्ञा का अपमान न करें
हों समता के भाव
बेलगाम अभिव्यक्ति
क्षणिकाएँ
अर्थहीन नहीं...
दिन रात तेरे ख्यालों में
कैसा ये खेल है सूत्रधार का .
सपना मांगलिक
धन्यवाद
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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016
"अस्थायीरूप से चर्चा मंच लॉक" (वैकल्पिक चर्चा मंच अंक-2)
मित्रों।
सात वर्षों से प्रतिदिन अनवरतरूप से
ब्लॉगों की अद्यतन प्रविष्टियाँ दिखा रहे
आप सब ब्लॉगरों की पहली पसन्द "चर्चा मंच" को
किसी शरारती व्यक्ति की शिकायत पर अस्थायीरूप से
लॉक किया गया है। गूगल को अपील कर दी गयी है।
तब तक आपके लिंकों का सिलसिला यहाँ
"वैकल्पिक चर्चा मंच" पर जारी रहेगा।
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आज देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सुरभि
जो आगे की सोच कर चलता है और कठोर धरती को नहीं छोड़ता है वही सरल जीवन जी पाता है |
सदा भविष्य को ध्यान में रख कर आने वाले कल के लिए प्लानिग करना चाहिए और बचत करने की आदत डालना चाहिए ...
सदा भविष्य को ध्यान में रख कर आने वाले कल के लिए प्लानिग करना चाहिए और बचत करने की आदत डालना चाहिए ...
Akanksha पर Asha Saxena
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'' हम सब तो आम हैं '' नामक नवगीत ,
स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह -
'' एक अक्षर और '' से लिया गया है -
हम सब तो आम हैं , खास नहीं ,
अपना कोई इतिहास नहीं।
अपने हैं संग - साथ
तकलीफें , पीड़ा है , आँसू हैं हैं चीखें ,
सपनों की हमको तलाश नहीं...
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हर डाल छुई- मुई नहीं होती
हर शाम सुरमई नहीं होती -
कृत कथ्यों को गुनना होगा
हर बात आई गई नहीं होती ...
हर शाम सुरमई नहीं होती -
कृत कथ्यों को गुनना होगा
हर बात आई गई नहीं होती ...
udaya veer singh
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कुछ अलाहदा शे’र :
तक़्दीर देखिए
1-
ऐसी ‘बहार’ क्या न हो जिसमें विसाले यार
हर बार ये ही सोचूँ मैं तक़्दीर देखिए
-‘ग़ाफ़िल
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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दुर्योधन को चुने या युधिष्ठिर को।
हम सब एक हैं फिर बंटते क्यों हैं?
डरते क्यों हैं?
हमारे पास शक्ति है
दुर्योधन को चुने
या
युधिष्ठिर को...
पर kuldeep thakur
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कैसा ये खेल है सूत्रधार का ....
रंगमंच सी दुनिया है ,
सूत्रधार की कल्पना से परे !
पुरुषों के दो सिर हैं
और स्त्रियां हैं यहाँ बिना सिर की !
बेटे के पिता का सिर ,
बेटी के पिता से कितना भिन्न है...
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पत्नी वो होती है जो ---
पत्नी वो होती है जो ,
बोल बोल कर, पति की बोलती बंद कर दे ,
फिर बोले कि आप कुछ बोलते क्यों नहीं !
पत्नी वो होती है जो ,
पहले बच्चे को खिला खिला कर बीमार कर दे ,
फिर डॉक्टर से कहे कि ये कुछ खाता क्यों नहीं ...
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