फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, फ़रवरी 12, 2016

"विचार ही हमें बदल सकते हैं" (चर्चा अंक-2250)

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है। वसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें। 
मनुष्य का विकास और भविष्य उसकी मन:स्थिति पर निर्भर है। जैसा बीज होगा वैसा ही पौधा उगेगा। जैसे विचार होंगे वैसे ही कर्म बनेंगे। जैसे कर्म करेंगे वैसी ही परिस्थितियां बन जाएंगी। भली-बुरी परिस्थितियां अनायास ही सामने नहीं आ खड़ी होतीं। उनका अपने कर्तव्य से बड़ा गहरा संबंध होता है। वृत्तियों की प्रतिक्रिया परिस्थितियों के रूप में सामने आती हैं। तथ्य यह है कि वृत्तियां अनायास ही नहीं बनने लगतीं, वरन् चिरकाल से मन में स्थित विचार पध्दति का परिणाम होती हैं। वास्तविक पूंजी धन नहीं विचार हैं। वास्तविक शक्ति साधनों में नहीं, विचारों में सन्निहित है। व्यक्तित्व का निखार विचारशीलता पर अवलंबित है। सोचने के ढंग से जीवन को दिशा मिलती है और दिशा निर्धारण पर भविष्य का भला-बुरा होना निश्चित है। सच तो यह है कि आज कोई व्यक्ति जिस भी स्थिति में है वह उसके अब तक के विचारों का ही परिणाम है और भविष्य में जैसा कुछ बन सकेगा उसका आधार उसकी विचारशैली ही होगी।
===============================
साधना वैद 
ऐ हंसवाहिनी
माँ शारदे
दे दो ज्ञान !
सद्मति और संस्कार से
अभिसिंचित करो
हमारे मन प्राण !
गूँजे दिग्दिगंत में
चहुँ ओर
तुम्हारा यश गान !
कविता रावत 
व्रत ग्रंथों और पुराणों में असंख्य उत्सवों का उल्लेख मिलता है। ‘उत्सव’ का अभिप्राय है आनन्द का अतिरेक। ’उत्सव’ शब्द का प्रयोग साधारणतः त्यौहार के लिए किया जाता है। उत्सव में आनन्द का सामूहिक रूप समाहित है। इसलिए उत्सव के दिन साज-श्रृंगार, श्रेष्ठ व्यंजन, आपसी मिलन के साथ ही उदारता से दान-पुण्य किये जाने का प्रचलन भी है। वसंत इसी श्रेणी में आता है।
===============================
 (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
प्रण करने का बन रहा, आज सुखद संयोग।
सदा प्रतिज्ञा में बँधो, होगा नहीं वियोग।।
--
सोच-समझ कर बोलिए, वाणी है अनमोल।
अपने वचनों को सदा, तोल-तोल कर बोल।।
--
हाड़-मांस की जीभ को, कभी न देना छूट।
रसना ही तो डालती, सम्बन्धों में फूट।।
===============================
अर्पणा खरे 
वादे
जो दिल से
किये जाते है
वो महज
रस्म नहीं होती
===============================

कुलदीप ठाकुर 

न खुश हैं
वो
जिन के पास 
पैसा बेशुमार हैं।
सोने के लिये
मखमल के बिसतर है
पर क्या करे
नींद नहीं आती।
भूख नहीं लगती
===============================

फ़िरदौस खान 
आज प्रोमिस डे है...यानी वादों का दिन... एक-दूजे से वादा करने का दिन...
लेकिन हम मानते हैं कि सबके अपने-अपने प्रोमिस डे हुआ करते हैं... जो किसी भी माह के किसी भी दिन, किसी भी तारीख़ को हो सकते हैं... बहरहाल, इसी बहाने कुछ गुज़श्ता लम्हे सामने आकर खड़े हो गए...
===============================

ई. प्रदीप कुमार साहनी
हे भोलेनाथ मैं करुँ निवेदन,
आप हो दानी, मैं अकिंचन ।

आप नाथ हो हे त्रिपुरारी,
दास हूँ मैं भोले भंडारी ।
===============================
अशोक पाण्डेय 
बदलती शक्लों 
बदलते जिस्मों में 
चलता-फिरता ये इक शरारा 
जो इस घड़ी 
नाम है तुम्हारा
===============================

वीरेंदर कुमार शर्मा 

गतिविधियाँ आतंक की, जे एन यू में नित्य।
देश द्रोहिता चरम पर, शर्मनाक ये कृत्य।
शर्मनाक यह कृत्य, सबक इनको सिखलाओ ।
कहते जिन्हें शहीद, इन्हें उनतक पहुँचाओ।
सरकारी संज्ञान, अन्यथा जनता रक्षति।
राष्ट्रभक्त तैयार, करे हम इनकी दुर्गति।
===============================

अजय यादव 
मित्रो ! अपना जीवन साथी कैसे चुने ?के लिखने के बाद अब* प्रेग्नेंसी* पर एक विस्तृत लेख माला प्रस्तुत करने जा रहा हूँ |अपने विचारो प्रश्नों से अवगत कराते ...
===============================
भारती  दास 
हे हंस वाहिनी शारदे
अज्ञानता से उबार दे , हे .............
सुन्दर छवि शोभा अपार
नैनों में छाई है खुमार
इक बार माँ तू निहार दे
अज्ञानता से उबार दे , हे............
तू श्वेत पद्दम विराजती
===============================
वन्दना गुप्ता 
शहीदों को नमन किया
श्रद्धांजलि अर्पित की
और हो गया कर्तव्य पूरा

ए मेरे देशवासियों
किस हाल में है मेरे घर के वासी
कभी जाकर पूछना हाल उनका
===============================

आशा सक्सेना 
संवेदना विहीन
निष्ठुरता के पुरोधा 
क्या है सोच जानना कठिन 
अंतस की हल चल का
यदि कभी कुछ सहा होता 
कष्ट का अनुभव किया होता 
तभी अनुभव होता
कष्ट किसे कहा जाए
===============================
आकांक्षा सक्सेना
कल 12 फरवरी है और पूरा देश बंसतोत्सव की तैयारियों में व्यस्त है | यह पर्व प्रकृति के श्रंगार का नवीनता,प्रेम और खुशी का पर्व माना जाता है|इस त्योहार में जहाँ एक ओर पतंगे उड़ाई जाती हैं कि हम पतंग की ही तरह आसमान की उँचाइयाों को स्पर्श कर सके|
डॉ दयाराम अस्लोक 
डायबटीज ऐसी बीमारी है जिससे निजात पाना बहुत कठिन है। इसलिए बेहतर है कि पहले से ही शरीर को इतना चुस्त रखें कि बीमारी छू भी न पाए। ऐसे में ये योगासन बहुत फायदेमंद हैं। अगर डायबीटीज के मरीज हैं भी तो ये योगा करने से सेहत ठीक रहेगी। ब्लड शुगर नियंत्रित रहेगी और तनाव, थकान जैसी परेशानियां दूर होंगी। जानते हैं किन योगासन से आप डॉयबटीज को दूर कर सकते हैं।
राजेश कुमार 
सर्दियों में पैरों के पंजे बहुत ठंडे पड़ जाते हैं और अनेक तरह के पापड़ बेलने पर भी गर्म नहीं होते। यह समस्या पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक होती है। युवाओं में कम और बुजुर्गों में अधिक पाई जाती है शारीरिक दृष्टि से पैर ठंडे तब होते हैं
===============================
धन्यवाद , फिर मिलेंगे अगले 



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।