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शनिवार, जनवरी 20, 2018

"आगे बढिए और जिम्मेदारी महसूस कीजिये" (चर्चा अंक-2854)

मित्रों!
मेरा स्वास्थ्य आजकल खराब है
इसलिए अपनी सुविधानुसार ही 
यदा कदा लिंक लगाऊँगा।
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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अँधेरा... 

उम्र की माचिस में  
ख़ुशियों की तीलियाँ  
एक रोज़ सारी जल गई  
डिबिया ख़ाली हो गई... 
डॉ. जेन्नी शबनम  
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गणतंत्र 

1  
राजपथ से जब भी 
निकलती है तोपें  
लहूलुहान होता है जनपथ.... 
सरोकार पर Arun Roy  
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7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    स्वास्थ्य लाभ शीघ्र हो
    अंग्रेजी में बोले तो
    गेट वेल सून
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आशा है आप स्वस्थ होंगे। सुन्दर शनिवारीय चर्चा अंक में 'उलूक' की बकबक को जगह देने के लिये आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. तेरा बाबा.

    बूढे बाबा का जब चश्मा टूटा
    बोला बेटा कुछ धुंधला धुंधला है
    तूं मेरा चश्मां बनवा दे,
    मोबाइल में मशगूल
    गर्दन मोड़े बिना में बोला
    ठीक है बाबा कल बनवा दुंगा,
    बेटा आज ही बनवा दे
    देख सकूं हसीं दुनियां
    ना रहूं कल तक शायद जिंदा,
    जिद ना करो बाबा
    आज थोड़ा काम है
    वेसे भी बूढी आंखों से एक दिन में
    अब क्या देख लोगे दुनिया,
    आंखों में दो मोती चमके
    लहजे में शहद मिला के
    बाबा बोले बेठो बेटा
    छोड़ो यह चश्मा वस्मा
    बचपन का इक किस्सा सुनलो
    उस दिन तेरी साईकल टूटी थी
    शायद तेरी स्कूल की छुट्टी थी
    तूं चीखा था चिल्लाया था
    घर में तूफान मचाया था
    में थका हारा काम से आया था
    तूं तुतला कर बोला था
    बाबा मेरी गाड़ी टूट गई
    अभी दूसरी ला दो
    या फिर इसको ही चला दो
    मेने कहा था बेटा कल ला दुंगा
    तेरी आंखों में आंसू थे
    तूने जिद पकड़ ली थी
    तेरी जिद के आगे में हार गया था
    उसी वक्त में बाजार गया था
    उस दिन जो कुछ कमाया था
    उसी से तेरी साईकल ले आया था
    तेरा बाबा था ना
    तेरी आंखों में आंसू केसे सहता
    उछल कूद को देखकर
    में अपनी थकान भूल गया था
    तूं जितना खुश था उस दिन
    में भी उतना खुश था
    आखिर "तेरा बाबा था ना"

    https://deshwali.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छे लिंक्स. आपके शीघ्र स्वास्थ्य की कामना करता हूँ.

    जवाब देंहटाएं
  5. हर जी आप जल्दी स्वास्थ्य हो ऐसी कामना करता हूँ

    सुन्दर शनिवारीय चर्चा अंक में बदलाव की सिर्फ बाते मत कीजिये
    आगे बढिए और जिम्मेदारी महसूस कीजिये..
    सुगना फाउंडेशन को जगह देने के लिये आभार/धन्यवाद


    जवाब देंहटाएं

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