फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, मार्च 20, 2018

"ख़ार से दामन बचाना चाहिए" (चर्चा अंक-2915)

मित्रों! 
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

--
--
--

चेहरा नहीं दिल बोलता है .... 

चेहरा नहीं दिल बोलता है ....!!
और दिल 
जब भी... दिल से बोलता है ... 
तब बुत मुस्कुरातें हैं ...
तितलियाँ मंडरातीं हैं...
हज़ारों हज़ार स्वर लहरियां ...
वीणा  तारों से छिटककर
बिखरतीं .........
पुरवैया – पछुआ हवाओं में ..
घुल जातीं हैं ... 
--

गाली देने वाली लड़कियाँ 

कभी उनसे बात करना तो  
साथ रखना तहज़ीब और तमीज़  
वर्ना गालियों की बौछार  
मिल सकती है उपहार... 
एक बूँद पर Pooja Anil  
--

उड़ान....उर्मिल 

मोह माया  का  बना हिंडोला ,
अहंकार की  चमक रही डोरी !
लालसा  का  बिछा  है पाटा,
मन  का परिंदा पर फैलाया,
चाह  जगी अम्बर छूने की...
मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal  
--

जिद्दी मन... 

ये ज़िद्दी मन ज़िद करता है  
जो नहीं मिलता वही चाहता है,  
तारों से भी दूर  
मंज़िल ढूँढता है  
यायावर-सा भटकता है... 
डॉ. जेन्नी शबनम  
--

मन का मौसम 

Sunehra Ehsaas पर 
Nivedita Dinkar - 
--

।।मंगलमय हो विलम्बी संवत्सर।। 

सत शत नमन है विलम्बी संवत्सर। 
बत्तीसवॉ स्थान हैं स्वामी विश्वेश्वर... 
Girijashankar Tiwari  
--
--
--

यादों का झरोखा - ८ -  

स्व. जगदीश शंकर कुलश्रेष्ठ 

मैं जब १९६० में लाखेरी आया तब ए.सी.सी. मिडिल स्कूल अपने पूरे यौवन में था. उसमें ३० से अधिक अध्यापक हुआ करते थे. यह स्कूल जिले में ही नहीं, पूरे राजस्थान का एक आदर्श स्कूल माना जाता था. स्व. गणेशबल भारद्वाज इसके प्रधानाध्यापक थे. उनके सहायक अध्यापकों में स्व. बंशीधर चतुर्वेदी, हरिसिंह राठौर, अविनाशचन्द्र गौड़ उर्फ़ मामाजी, मदनलाल वर्मा, बृजमोहन शर्मा (बाद में अकाउन्टस ऑफिसर बने), जगदीश शंकर कुलश्रेष्ठ, सोहनलाल शर्मा, ओंकारलाल शर्मा, कंवरलाल जोशी, कल्याणमल, श्रीमती आर्थर, श्रीमती विमला भोंसले, श्रीमती फ्रैंकलिन आदि सीनियर लोग थे... 

4 टिप्‍पणियां:

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।