सुधि पाठकों!
सोमवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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विवाह संस्था से
पारिवारिक - सामाजिक स्थिरता ------
विजय राजबली माथुर
क्रांति स्वर पर
विजय राज बली माथुर
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चार हाइकु......
सविता अग्रवाल ’सवि’
1. आतुर पक्षी हवा सूँघते सारे चोंच निकाले 2. लाली शाखा की दे रही है संदेसा नई ऋतु का 3. शब्द सौंदर्य सरसता बेजोड़ अनूठा शोध 4. हिन्दी का लेख लेखन शिखर का करे झंकृत
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देहदान कर देना
जब नहीं हों मुझमें प्राण,
इतना एहसान कर देना
अंतिम इच्छा यही कि मेरा देहदान कर देना।
जीते जी कुछ किया न मैंने
स्वार्थी जीवन बिताया है
यूं ही कटे दिन रात ,
समझ कभी न कुछ भी आया है।
क्या होगा शमशान में जल कर...
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पर न ऐसा है के बेहतर हो गया हूँ
कह रहा क्यूँ तू के निश्तर हो गया हूँ
तेरी सुह्बत में वही गर हो गया हूँ...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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हम दिलजलों....!!
हम दिलजलों पर ,मत हंसों यारों,
कभी तो तुम्हारा भी ,दिल जला होगा।
ऐसे ही नहीं कोई बन जाता ,कवि और शायर,
इस दिल को ज़रूर, किसी ने छला होगा...
kamlesh chander verma
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शुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार राधा बहन।
Badhiya Charcha achchhe link mile ... Dhanyawad
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, राधा जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंक्रांतिस्वर की पोस्ट को इस अंक में स्थान देने हेतु राधा तिवारी जी एवं शास्त्री जी को धन्यवाद व आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंभोर अभिव्यक्ति की पोस्ट को इस चर्चा में स्थान देने हेतु राधा तिवारी जी को बहुत-बहुत धन्यवाद और सहृदय आभार..!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति, मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, राधा जी।
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