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रविवार, अप्रैल 08, 2018

"करो सतत् अभ्यास" (चर्चा अंक-2934)

मित्रों! 
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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कोई ज़रूरी तो नहीं हर बार फिसलना 
कोशिशों से ही मुमकिन होगा संभलना । 

अगर फ़ासिले दिलों के दूर करने हैं तो 
दो क़दम मैं चलूँगा, दो क़दम तुम चलना... 
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अपमान के साथ मिले लाभ से  

सम्मान के साथ हानि उठाना भला 

गलत ढंग से कमाया धन गलत ढंग से खर्च हो जाता हैबड़ी आसानी से मिलने वाला आसानी से खो भी जाता है
दूध की कमाई दूध और पानी की पानी में जाती हैचोरी की ऊन ज्यादा दिन गर्माइश नहीं देती है... 

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ऊँचा नीचा 

उसको थोड़ा ऊँचा कर दो इसको थोड़ा नीचा।हम समान करके मानेंगे गद्दा और गलीचा।।कोई सिर न झुकायेगा अब चाहेगा आशीष नहीं।एक कुड़ी से नैन लड़ायें चाचा और भतीजा।। 
मेरी दुनिया पर Vimal Shukla  
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रहस्य 

purushottam kumar sinha  
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वाट्स अप जिंदगी --- 

आंधी वर्षा से नरमाई रैन की ,
शीतल सुहानी भोर में अपार्टमेंट की,
बालकॉनी में बैठ चाय की चुस्कियां लेते,
दूर क्षितिज में छितरे बादलों की खिड़की से
शरमाये सकुचाये से सूरज को
ताक झांक करते देखकर हमें सोचना पड़ा... 

अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल  
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परदेस में गरमी 

(अप्रैल ६, २०१८)
अभी बहुत है देरहवा की ठिठुराती सिहरनजाने में
उधर देस में गरम तवे ज्योंरस्ते का डामरपिघलातेसूखे पत्ते घुँघरू बांधेलू के संग मेंघूमर गाते
और इधर शैतान हवा नेबर्फ़ उड़ा दीवीराने में... 

मानसी पर 
Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी  
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8 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर चर्चा। मेरी कविता शामिल करने के लिए शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर चर्चा, मेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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