मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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कविता
"थीम चुराई मेरी"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi3L59_i7HOv0E5xnpJ5Gesl2UAS40RpiG7vqR42Xc2AJT7lQYt8vIuYjdMONgb9z5iC8H6glqx-zdjJ0muCOR6d6f4MxaxU1FkQj0H-wJHkRzLqxRYLXsaQ11Wq9WroDvpqR6GqPHZxOwi/s640/29176997_1743526175711936_827698352647365485_n.jpg)
कुछ ने पूरी पंक्ति उड़ाई,
कुछ ने थीम चुराई मेरी।
मैं तो रोज नया लिखता हूँ
रोज बजाता हूँ रणभेरी।
चोरों के नहीं महल बनेंगे,
इधर-उधर ही वो डोलेंगे।
उनको माँ कैसे वर देगी,
उनके शब्द नहीं बोलेंगे...
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माँ से मिलती है बुद्धिमत्ता
बहुत दिनों की ब्रेक विद बिटिया के बाद आज लेपटॉप को हाथ लगाया है, कहाँ से शुरुआत करूं अभी सोच ही रही थी कि बिटिया ने पढ़ाये एक आलेख का ध्यान आ गया। आलेख सेव नहीं हुआ लेकिन उसमें था कि हमारी बुद्धिमत्ता अधिकतर माँ से आती है...
smt. Ajit Gupta
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बेस्वाद ज़िंदगी
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh9wPjMyIoWAplIfwACcvOySoA7g1myyTbd0BvXjlgaX0JPA7tDybFU9QEzXoT03w_zBZ-FtVDej5MzyqwyEp_C0A96FFPKvBlyw1MeFBMu1iuthb-6cEbZUho1j8aJMxjkmG9obSn32-rK/s320/happy-unhappy.jpg)
कैसी विचित्र सी मनोदशा है यह !
भूलती जा रही हूँ सब कुछ इन दिनों !
इतने वर्षों का सतत अभ्यास
अनगिनत सुबहों शामों का
अनवरत श्रम
सब जैसे निष्फल हुआ जाता है
अब अपनी ही बनाई रसोई में
कोई स्वाद नहीं रहा...
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नहीं ये मैं नहीं
नहीं वो भी मैं नहीं
मैं कोई और थी
अब कोई और हो गयी...
vandana gupta
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भारतीय धर्म, दर्शन राष्ट्र -
संस्कृति के विरुद्ध उठती नवीन आवाजें
व उनका यथातथ्य निराकरण
---पोस्ट--षष्ठ --
डा श्याम गुप्त
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhBVpsnXhSxC-F3hXXf4kTNmPniF89tvOVOvxPqeesClqop3fls1HAqLCY1nzejUj3kQIyd39meixbJ5-eMH7fGkC0kFrgGL_vGbCEPWM-MFwwe7KtpV1ulZZ3XAj3pSgBEVToH-esARHo/s128-Ic42/IndianTopBlogs.png)
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कोमल पत्ते
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जिजीविषा
मन की धरती
जब होने लगे पठार
संवेदनाएँ तोड़ने लगें दम
उत्साह डूबने लगे
निराशा के समंदर में
आसपास के सूखे पत्ते
मन में शोर करने लगें...
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर 'मधु'
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुप्रभात मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर
जवाब देंहटाएंसुन्दर मूर्ख दिवस अंक
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार चर्चा .......हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों से सजी आज की चर्चा ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं का संकलन. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा संकलन ।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा.. . मेरी रचना "असहिष्णुता" को स्थान देने हेतु आभार|
जवाब देंहटाएंhttps://meremankee.blogspot.in/2018/03/intolerance.html?m=1