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Friday, April 13, 2018

बैशाखी- "नाच रहा इंसान" (चर्चा अंक-2939)

मित्रों! 
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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अगर मैं कहूं कि 

अंबेडकर भी अपने किस्म के 

जिन्ना थे तो ?  

रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी अगर मैं कहूं कि अंबेडकर भी अपने किस्म के जिन्ना थे तो ? बस फर्क यही है कि जिन्ना देश तोड़ने में तभी सफल हो गए थे , अंबेडकर अब सफल होते दिख रहे हैं... 
Dayanand Pandey  
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'ठ' से 'ठठेरा' ! 

कुछ अलग सा पर गगन शर्मा 
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डर 

डर ?
कैसा डर ?किससे डर ?किस बात का डर ?डरने की वजह ?और फिर डरना ही क्यूँ ?क्या खोने का डर है... 
Sudhinama पर sadhana vaid  
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मी टू-लघुकथा 

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मधुर गुंजन पर ऋता शेखर 'मधु'  
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जब धरती पर  

जगह पड़ जाती है कम 

ऐसा क्यों होता है कि एक स्त्री को हर वक्त अपने स्त्री होने को साबित करना पड़े ? क्या दुनिया भर के समाजों में स्त्री की स्थिति उतनी ही एक जैसी है, जितनी भारतीय समाज में ? गीता दूबे की कविताओं को पढ़ते हुए ऐसे सवालों का उठना स्वाभाविक है... 
लिखो यहां वहां पर विजय गौड़ 
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भूत सेल्फ़ी का 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 
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सत्य और असत्य के युध्द  

हमेशा ही चले हैं 

सत्य और असत्य के युध्द हमेशा ही चले हैं
पालक हैं  हम सब हमारी बदौलत ही पले हैं।

जीना चाहता है हर कोई अपनी जिंदगी यहाँ
मगर जीने की खातिर सब सब को ही छले हैं... 
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अतुकांत कविता  

आरक्षण एक भष्मासुर है
जिनलोगों ने इसकी सृष्टि की
शिव जी की भांति वही आज
उससे बचने के लिए
इधर उधर भाग रहे हैं,
अपने कर्मों पर पछता रहे हैं... 

मेरे विचार मेरी अनुभूति पर 

कालीपद "प्रसाद" 

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दे थप्पड़ और दे थप्पड़ 

राष्ट्रमण्डल खेलों का जुनून सर चढ़कर बोल रहा है और लिखने के लिये समय नहीं निकाल पा रही हूँ, लगता है बस खेलों की यह चाँदनी चार दिन की है तो जी लो, फिर तो उसी अकेली अँधेरी रात की तरह जिन्दगी है। कल शूटिंग के मुकाबले चल रहे थे, महिला शूटिंग में श्रेयसी सिंह ने स्वर्ण पदक जीता। स्वर्ण पदक मिलता इससे पहले ही खेल बराबरी पर थम गया और अब बारी आयी शूट-ऑफ की... 
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6 comments:

  1. शुभ प्रभात
    आभार
    सादर

    ReplyDelete
  2. सुन्दर शुक्रवारीय अंक। आभार आदरणीय 'उलूक' के सूत्र को भी जगह देने के लिये।

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  3. चर्चामंच परिवार को बैसाखी की मंगलकामनाएं

    ReplyDelete
  4. बैसाखी पर्व की सभी बंधु बांधवों को हार्दिक शुभकामनाएं ! बहुत ही सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को भी सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !

    ReplyDelete
  5. सुंदर चर्चा हैं

    ReplyDelete
  6. बैसाखी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं !

    ReplyDelete

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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